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बूंद-बूंद को तरस रही 70 हजार की आबादी, तीन दशक बाद भी नहीं बुझ रही प्यास

Lohardagga News लोहरदगा नगर परिषद के पदाधिकारी तकनीकी खराबी के कारण जलापूर्ति योजना प्रभावित होने की दुहाई दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि शहर के बरवाटोली के समीप दुर्गा मंदिर निर्माण के दौरान पाइप लाइन को नुकसान पहुंचा है।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 09:38 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:38 AM (IST)
बूंद-बूंद को तरस रही 70 हजार की आबादी, तीन दशक बाद भी नहीं बुझ रही प्यास
बूंद-बूंद को तरस रही 70 हजार की आबादी, तीन दशक बाद भी नहीं बुझ रही प्यास

लोहरदगा, जागरण संवाददाता। लोहरदगा शहर की वर्तमान समय में आबादी लगभग 70 हजार है। शहर में प्रतिदिन कम से कम दस लाख लीटर पानी की आवश्यकता लोगों को है। इसके विपरीत सप्ताह में दो से तीन दिन सिर्फ दो लाख 40 हजार गैलन पानी की आपूर्ति हो पा रही है। पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से लोहरदगा शहर की जलापूर्ति समस्या का हल नहीं निकल सका है। शहर के लोग आज भी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर नगर परिषद की उदासीनता सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी आम आदमी के प्रति उदासीन नजर आती है। हाल ऐसा है कि शहरी जलापूर्ति योजना के तहत शहर के ज्यादातर हिस्सों में पिछले नौ दिनों से जलापूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी है। जलापूर्ति व्यवस्था को लेकर कोई ठोस पहल नहीं किए जाने के बजाय सिर्फ राजनीति ही होती हुई नजर आ रही है। शहर के लोग हैंडपंप, वैट, सार्वजनिक कूप आदि पर अपनी दैनिक जरूरत के पानी के लिए निर्भर होकर रह गए हैं। शहर के लोगों को जलापूर्ति समस्या का निराकरण नहीं मिल पा रहा है।

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तकनीकी खराबी की देर है दुहाई

लोहरदगा नगर परिषद के पदाधिकारी तकनीकी खराबी के कारण जलापूर्ति योजना प्रभावित होने की दुहाई दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि शहर के बरवाटोली के समीप दुर्गा मंदिर निर्माण के दौरान पाइप लाइन को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा कोयल में इनफील्ट्रेशन वेल में मोटर खराब हो जा रहा है। विगत बरसात के समय पूरा पंपहाउस पानी में डूब गया था। जिसकी वजह से बार-बार मोटर पंप में खराबी आ रही है।

विरासत में मिला जर्जर प्लांट 

लोहरदगा शहरी जलापूर्ति योजना का संचालन पहले पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के माध्यम से किया जाता था। बाद में इसे नगर परिषद ने अपने अधीन ले लिया। अब अधिकारियों का तर्क है कि उन्हें विरासत में जर्जर जलापूर्ति प्लांट दिया गया। जिसकी वजह से वर्तमान समय में ऐसी हालत है। पेयजल और स्वच्छता प्रमंडल का पूर्ण रुप से सहयोग भी नहीं मिल पाता है। समस्या इतनी ज्यादा है कि उसका समाधान करने में ही ज्यादातर वक्त गुजर जाता है, फिर लोगों को पानी भला कहां से उपलब्ध कराएं।प्

प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की आवश्यकता

लोहरदगा शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की आवश्यकता है। यह आंकड़ा नगर परिषद का है। इसके विपरीत शहर के बरवाटोली स्थित जल मीनार से एक लाख गैलन, नगर परिषद के पुराने कार्यालय परिसर स्थित जल मीनार से एक लाख गैलन और पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल परिसर स्थित जल मीनार से 40 हजार गैलन पानी की आपूर्ति होती है। स्थिति यह है कि अभी भी शहर के 70 हजार की आबादी में से ज्यादातर आबादी को पाइप लाइन से जोड़ा ही नहीं जा सका है। हर दिन शहर में कम से कम 10 लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। इसके विपरीत 10 लाख लीटर तो दूर की बात, लोगों को हर दिन एक वक्त भी पानी नहीं मिलता रहा।

जलापूर्ति समस्या के समाधान में लगेगा वक्त

लोहरदगा नगर परिषद क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जलापूर्ति समस्या का समाधान तत्काल नहीं मिल सकता है। दो नए टावर का निर्माण किया जाना है। इसमें अभी तीन से चार साल का वक्त लग सकता है। हालांकि शहर के बरवाटोली में नए टावर के निर्माण को लेकर प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इसके बाद नगर परिषद के पुराने कार्यालय परिसर में नए टावर का निर्माण किया जाएगा। हर एक टावर साढ़े तीन लाख गैलन का होगा। नए टावर का निर्माण होने से जलापूर्ति की समस्या से निदान मिलेगा। साथ ही पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा होने से भी लोगों को काफी हद तक समस्या का समाधान मिल पाएगा।

राजस्व से तीन गुना ज्यादा है जलापूर्ति खर्च

लोहरदगा शहर में वर्तमान समय में 2600 जलापूर्ति कनेक्शन धारी हैं। जबकि 1500 अवैध कनेक्शनधारी भी हैं। शहरी जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन में हर साल लगभग 35 लाख रुपये का खर्च आता है। इसके विपरीत नगर परिषद को हर साल 12 लाख रुपये का राजस्व ही मिल पाता है। यह समझा जा सकता है कि नगर परिषद को जितना राजस्व मिलता है, उसका तीन गुना ज्यादा खर्च जलापूर्ति व्यवस्था को चलाने में आता है। यह अलग बात है कि इस खर्च के बावजूद लोगों को कितना पानी मिल पाता है।

बिजली समस्या भी गंभीर मुद्दा

लोहरदगा शहरी जलापूर्ति योजना में बिजली समस्या भी एक गंभीर मुद्दा है। जलापूर्ति टावर को भरने के लिए जितनी बिजली और जितना समय चाहिए, उतनी बिजली और उतनी समय तक बिजली नहीं मिल पाती है। जिसकी वजह से जलापूर्ति टावर भर नहीं पाता है और जलापूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाती है। कोयल नदी में इंटेक वेल के निर्माण कार्य को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। लेयर पाइप लाइन और ढक्कन लगाना अभी भी बाकी है। इसमें भी अभी समय लगेगा। ऐसे में तत्काल समस्या का समाधान नहीं होगा।जलापूर्ति समस्या के समाधान को लेकर नगर परिषद संकल्पित है। तकनीकी कारणों की वजह से समस्या आ रही है। जल्द ही सभी समस्याओं को दूर किया जाएगा। इसके अलावा जलापूर्ति को लेकर फिर एक बार नए सिरे से निविदा आमंत्रित की गई है। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जलापूर्ति समस्या का समाधान होने की उम्मीद है।देवेंद्र कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, लोहरदगा


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