CRPF और झारखंड पुलिस में तनातनी, विधानसभा चुनाव के दौरान शुरू हुआ था विवाद
चुनाव के समय जवानों के साथ जानवरों सा सलूक किए जाने की शिकायत करने वाले सीआरपीएफ के 222 बटालियन के असिस्टेंट कमांडर को जांच के बाद चुनाव कार्य से हटा दिया गया था।
खास बातें
- मामला झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का
- सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट ने लगाया था जवानों के साथ जानवरों जैसा सलूक का आरोप
- जांच में निराधार बताने पर अब झारखंड पुलिस के आइजी को भेजा कानूनी नोटिस
रांची, [दिलीप कुमार]। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और झारखंड पुलिस के बीच तनातनी हो गई है। इसकी वजह विधानसभा चुनाव के क्रम में आरंभ हुआ विवाद है। चुनाव के समय जवानों के साथ जानवरों सा सलूक किए जाने की शिकायत करने वाले सीआरपीएफ के 222 बटालियन के असिस्टेंट कमांडर को जांच के बाद चुनाव कार्य से हटा दिया गया था। जांच में उनके आरोपों को गलत बताया गया था।
चुनाव कार्य से गलत तरीके से हटाए जाने तथा गोपनीय जानकारी सार्वजनिक करने का आरोप लगाते हुए असिस्टेंट कमांडेंट राहुल सोलंकी ने अपने अधिवक्ता अभिनव गर्ग के माध्यम से झारखंड पुलिस के आइजी नवीन कुमार सिंह को लीगल नोटिस भेजा है। उन्होंने लिखा है कि चुनाव आयोग से लेकर मीडिया तक को गलत तथ्य व गलत जानकारी दी गई, जिससे उनकी मानहानि हुई है। झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान आठ दिसंबर की रात रांची के खेलगांव में जवानों से जानवरों जैसा सलूक किया गया और इस तथ्य को छुपाया गया इसलिए आइजी अपना बयान वापस लें। अगर आइजी ऐसा नहीं करेंगे तो उनके विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया अपनाएंगे। राहुल सोलंकी हरियाणा स्थित फरीदाबाद के रहने वाले हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 में उन्हें यहां भेजा गया था।
आइजी को भेजे लीगल नोटिस में असिस्टेंट कमांडेंट राहुल सोलंकी ने आरोप लगाया है कि 08 दिसंबर 2019 को दूसरे फेज के चुनाव के बाद उनकी कंपनी खेलगांव स्पोर्ट्स कांप्लेक्स रांची में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। चुनाव के दौरान केंद्रीय अद्र्धसैनिक बल की प्रशासनिक व लॉजिस्टिक सुविधा राज्य पुलिस प्रशासन की थी, जो नहीं मिली। जवानों को वाटर कैनन से पीने व खाना बनाने के लिए पानी मिला। पानी से बदबू आ रही थी और उसका रंग भी लाल था। जवान थके हुए थे और उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था। मजबूरन जवानों ने गंदे पानी का ही इस्तेमाल किया। नौ दिसंबर 2019 की सुबह परेड के वक्त उनकी कंपनी के जवानों ने इसकी शिकायत की।
असिस्टेंट कमांडेंट ने आगे लिखा है कि वे कमांडिंग अफसर थे और उनकी ड्यूटी थी कि वे अपने जवानों की समस्याओं से उच्चाधिकारियों को अवगत कराएं। उन्होंने ऐसा ही किया। अगले ही दिन यानी 10 दिसंबर 2019 को उनकी ड्यूटी बदल दी गई। उन्हें छत्तीसगढ़ के बीजापुर स्थित यूनिट मुख्यालय में रिपोर्ट करने का आदेश जारी हो गया। उनकी जगह पर कंपनी का प्रभार एक इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी को दे दिया गया।
अगले दिन यानी 11 दिसंबर को खबर आई कि शिकायत करने वाले सीआरपीएफ अधिकारी को चुनाव ड्यूटी से हटाया गया। सोलंकी का आरोप है कि बिना तथ्यों की जांच कराए मीडिया को गलत रिपोर्ट दी गई। इससे उनकी मानहानि हुई है। यह सीआरपीएफ के 80 जवानों के मान-सम्मान की हानि पहुंची है।
असिस्टेंट कमांडर ने आइजी पर यह आरोप लगाया
- मीडिया को गलत जानकारी दी गई। तथ्यों की अनदेखी की गई।
- असिस्टेंट कमांडर को होटल में रहने और जवानों को मझधार में छोडऩे का आग्रह किया गया था।
- कमांडर को टारगेट करना पूरे ट्रूप को टारगेट करने के बराबर है। ऐसा किया गया।
- इस गलत जानकारी के कारण ही सीआरपीएफ को अपने कंपनी कमांडर को बदलना पड़ा।
मेरे पास बहुत सारे जरूरी कार्य हैं। इस पूर्णत: आधारहीन नोटिस पर मैं प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझता हूं।- नवीन कुमार सिंह, आइजी, रांची।
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