लालू से मिले तेजस्वी यादव, बालिका गृहकांड मामले में नीतीश कुमार पर लगाए संगीन आरोप
Lalu Prasad Yadav. लोकसभा चुनाव की आहटों के बीच महागठबंधन में सीटों की दावेदारी को लेकर पेच सुलझाने तेजस्वी यादव रांची के रिम्स में शनिवार को अपने पिता से मिलने पहुंचे थे।
रांची, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनावों के लिए बिहार-झारखंड में विपक्षी महागठबंधन का स्वरूप तय होने की कयासों के बीच बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर संगीन आरोप लगाए हैं। शनिवार को रांची के रिम्स में अपने पिता और चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे तेजस्वी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बालिका गृहकांड मामले में नीतीश कुमार की भी संलिप्तता है। उनसे पूछताछ किया जाना चाहिए।
तेजस्वी ने कहा कि शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों से दरिंदगी के मामले में अभी और बड़े खुलासे होने बाकी हैं। नीतीश कुमार को एक्सप्लेन करना चाहिए। मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और मंजू वर्मा की गिरफ्तारी ने सब कुछ साफ कर दिया है। इस केस को नीतीश कुमार सीबीआइ को भी सौंपने को तैयार नहीं थे, लेकिन अब जांच में परत-दर-परत पूरा मामला खुल रहा है। तेजस्वी ने कहा कि गवाही देने वाली बच्ची का गायब होना भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। नीतीश कुमार के इशारे पर सीबीआइ केस को कमजोर करने में लगी है। ऐसे में इस केस की बिहार से बाहर साकेत कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए।
पिता से मुलाकात के बारे में तेजस्वी ने कहा कि परिवार को उनकी चिंता रहती है। दवा, खाना-पीना और सेहत आदि जानने के लिए वे यहां आए थे। बिहार-झारखंड में विपक्षी महागठबंधन की सीटें तय होने के सवाल पर तेजस्वी यादव ने कहा कि जल्द ही सबकुछ सबके सामने आ जाएगा। माना जा रहा है कि जिन सीटों का पेच उलझ रहा था उसे सुलझा लिया गया है। संभव है कि रविवार या सोमवार को इसका औपचारिक एलान राष्ट्रीय जनता दल की ओर से कर दिया जाए।
चर्चा है कि लालू से मुलाकात के क्रम में तेजस्वी ने बिहार-झारखंड में फंस रहे विपक्षी महागठबंधन के पेच सुलझा लिया है। हालांकि मीडिया को इस बारे में तेजस्वी ने अधिकृत जानकारी नहीं दी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से बिहार में 20 सीटों की दावेदारी और झारखंड में सात सीटों पर संसदीय चुनाव लड़ने की घोषणा के मद्देनजर राजनीति के धुरंधर बाप-बेटे की इस मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है। चर्चा है कि लालू प्रसाद यादव की विरासत को लगभग उनके ही स्टाइल में करीने से संभाल रहे तेजस्वी कांग्रेस को इस चुनाव में इतनी सीटें देने के मूड में नहीं हैं। बहरहाल अब लालू की ओर से तय किए गए फार्मूले का अगले-एक दो दिनों में एलान होने के साथ ही विपक्षी रस्साकशी भी थमने के आसार हैं।
इससे पहले झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री और झारखंड विकास मोर्चा के नेता बंधु तिर्की उनसे मुलाकात कर बाहर निकले। बंधु ने लालू प्रसाद यादव के साथ किसी राजनीतिक बातचीत से साफ इन्कार किया। उन्होंने कहा कि वे लालू प्रसाद की सेहत का हाल जानने आए थे। वे वर्षों से उन्हें जानते हैं, इसलिए कुशलक्षेम पूछने आए थे। बता दें कि जेल प्रशासन की ओर से शनिवार को दोनों को मिलने की मंजूरी दी गई थी। इनसे पहले सीपीआइ की शालिनी मिश्रा ने भी लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की।
लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद झारखंड विकास मोर्चा के महासचिव बंधु तिर्की के चेहरे पर निराशा का भाव नजर आ रहा था। हालांकि वे कुछ भी बोलने से बचते रहे। बताया जा रहा है कि वे कांग्रेस के साथ गोड्डा सीट को लेकर हो रही चिकचिक पर लालू का मंतव्य जानने आए थे। बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अौर पूर्व केंद्रीय मंत्री रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की भी सीटों को लेकर नाराजगी सामने आ चुकी है।
लोकसभा चुनाव की आहटों के बीच बिहार से लेकर झारखंड तक में जिस तरह से सीटों का पेंच फंसा है उससे कहा जा रहा था कि लालू ही इस पर आखिरी मुहर लगाएंगे। कांग्रेस की अधिक सीटों की दावेदारी के कारण अभी झारखंड में भी गोड्डा सीट पर जिच फंसा हुआ है। बिहार में भी जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा को लेकर सीटें तय नहीं हो पाई हैं। जीतन राम इस खेमे से बाहर निकलकर दूसरे विकल्पों पर मंथन करने की बात भी कह चुके हैं।
इधर रिम्स में लालू प्रसाद यादव की देखरेख कर रहे चिकित्सक डॉ उमेश प्रसाद ने बताया कि लालू की तबीयत में सुधार है। ब्लड प्रेशर और शूगर नॉर्मल है। इंसुलिन का डोज बीच-बीच में घटाया-बढ़ाया जा रहा है। ब्लड प्रेशर की दवा का डोज बढ़ाया गया है।
बता दें कि झारखंड में महागठबंधन की पार्टियों का आपसी तालमेल नहीं बैठने के पीछे बाबूलाल बड़ा कारण बनते जा रहे हैं। पार्टी के पास कुल मिलाकर दो विधायक हैं और तीन लोकसभा सीट की दावेदारी कर सबके लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं। ऐसी ही जिद के कारण पिछली बार भी झाविमो महागठबंधन का हिस्सा नहीं बन पाया था। अब इस पूरे प्रकरण में लालू को क्राइसिस मैनेजर के तौर पर देखा जा रहा है।
लालू झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के करीबी रहे हैं और राजद तो उनकी पार्टी है ही। रही बात झारखंड विकास मोर्चा की तो लालू यादव इसके आड़े आ रहे हैं। राज्य में विपक्षी दलों के गठबंधन का स्वरूप तय हो चुका है और सीटों में हेरफेर तो हो सकता है, संख्या में बदलाव के लिए कोई तैयार नहीं है। महज तर्को से किसी सीट पर दावेदारी कोई छोड़ने को तैयार नहीं। इसके लिए फॉर्मूला देना होगा और तमाम फॉमूलों में झाविमो के पास गोड्डा सीट नहीं आ रही है।
सूत्र बताते हैं कि लालू एक बार फिर इस मुद्दे पर कांग्रेस के पक्ष में हैं। ऐसे में महागठबंधन से झाविमो को बाहर का रास्ता देखना पड़े तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। जमशेदपुर से लड़ सकते हैं डॉ. अजय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार जमशेदपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। यह सीट अभी तक झामुमो के कोटे में है लेकिन आपसी तालमेल से बदलाव होने की संभावना बनी हुई है।
मजाक में ही सही खुद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने यह सीट डॉ. अजय को ऑफर की थी और इसके बाद से जमशेदपुर के पूर्व सांसद के समर्थक इस सीट के लिए मोर्चेबंदी में जुट गए हैं। डॉ. अजय और हेमंत सोरेन के बीच केमिस्ट्री ऐसी है कि दोनों एक-दूसरे की भावनाओं का कद्र करते रहे हैं।
झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव ने सार्वजनिक तौर पर गोड्डा से चुनाव लड़ने घोषणा कर दी है। यह घोषणा महज विरोध नहीं बल्कि महागठबंधन से अलग होने की कोशिश भी है। वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस गोड्डा से दावेदारी छोड़ भी दे तो इसके बदले राजद को पलामू सीट देनी पड़ सकती है। इसके लिए झाविमो शायद ही तैयार हो। इससे खाई बढ़ेगी। झाविमो को दो से अधिक सीट देने के लिए गठबंधन की बड़ी पार्टियां तैयार नहीं हो रही हैं।
दूसरा पहलू यह है कि अभी अधिक सीट के लिए दावा ठोक रहा झाविमो आगे चलकर विपक्ष के नेतृत्व का भी दावा ठोक सकता है। जो भी हो, प्रदीप यादव की घोषणा से विपक्ष का समीकरण तो गड़बड़ होता दिख ही रहा है। बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन लालू के प्रभाव में आकर किस नतीजे पर पहुंचता है, जिसका कि एक-दो दिनों में आधिकारिक एलान किया जाएगा।