Jharkhand: हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी हो रही देरी, नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल हो रहीं याचिकाएं
Jharkhand High Court News सोनी कुमारी के मामले में हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य के 11 गैर अधिसूचित जिलों में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखी जाए। इस पर कभी भी रोक नहीं थी।
रांची, [मनोज सिंह]। सोनी कुमारी बनाम झारखंड सरकार के मामले में हाई कोर्ट वृहद पीठ का फैसला आने के बाद भी वैसे अभ्यॢथयों को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ रही है जिनका शिक्षक पद पर चयन हो गया है। हाई कोर्ट में अब याचिका दाखिल कर नियुक्ति की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरी करने की मांग की जा रही है। अब तक झारखंड हाई कोर्ट में कई अभ्यर्थी याचिका दाखिल भी कर चुके हैं।
दरअसल, सोनी कुमारी के मामले में हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य के 11 गैर अधिसूचित जिलों में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को जारी रखा जाए। इस पर कभी भी किसी प्रकार की रोक नहीं थी। इसके बाद भी मामले में अंतिम फैसला आने तक राज्य सरकार की ओर से नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगी थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार की ओर से भले ही कहा जा रहा है कि गैर अधिसूचित जिलों में नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है, लेकिन अगर ऐसा होता तो हाई कोर्ट में नियुक्ति की मांग को लेकर याचिकाएं नहीं दाखिल होती।
पिछले दिनों हाई कोर्ट में ऐसी याचिकाएं दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि एक साल पहले परिणाम जारी कर दिया और उनका नाम मेरिट लिस्ट में भी है, लेकिन अभी तक जेएसएससी की ओर से नियुक्ति की अनुशंसा नहीं की गई है। ऐसे में नियुक्ति प्रक्रिया में देरी हो रही है। हालांकि इस तरह के मामले में पहले राज्य सरकार और जेएसएससी की ओर से हाई कोर्ट में कहा जाता रहा है कि सोनी कुमारी के मामले में अंतिम फैसला आने के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ होगी। अब इस मामले में फैसला आए हुए एक माह से ज्यादा का समय बीत गया है। फिर भी नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए अभ्यॢथयों को हाई कोर्ट की शरण में आना पड़ रहा है।
यह है सोनी कुमारी का मामला
दरअसल, झारखंड सरकार ने जुलाई 2016 में नियोजन नीति की अधिसूचना जारी की थी। इसमें 13 अधिसूचित व 11 गैर अधिसूचित जिले घोषित किए गए। इसमें कहा गया कि अधिसूचित जिलों के तृतीय एवं चतुर्थवर्ग के सभी पद वहां के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रहेंगे। इसके बाद जेएसएससी की ओर से हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया, जिसमें नियोजन नीति के प्रावधानों की शर्त दी गई थी।
इसके चलते 13 अधिसूचित जिलों में गैर अधिसूचित जिले के अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सकते थे। इसके बाद सोनी कुमारी ने इसको हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि सरकार की नियोजन नीति असंवैधानिक है, क्योंकि किसी भी हाल में शत-प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने सरकार की नियोजन नीति को असंवैधानिक घोषित कर दिया और गैर अधिसूचित जिलों में नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने का आदेश दिया था।