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बच्चे नहीं, सिस्टम फेल हुआ है साहब

प्रणय कुमार सिंह, रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल की इंटरमीडिएट साइंस के 2018 के परिणाम में 51.66 फीस

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 12:56 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 12:56 PM (IST)
बच्चे नहीं, सिस्टम फेल हुआ है साहब
बच्चे नहीं, सिस्टम फेल हुआ है साहब

प्रणय कुमार सिंह, रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल की इंटरमीडिएट साइंस के 2018 के परिणाम में 51.66 फीसद विद्यार्थी फेल कर गए हैं। जैक फौरन रिजल्ट की समीक्षा की बात कर चुका है। खराब रिजल्ट को ले हो-हल्ला मचा, तो शिक्षा मंत्री ने जैक से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। अब अधिकारी शिक्षकों की क्लास लेने लगेंगे फिर छोटी-मोटी कार्रवाई और दोषारोपण के बाद एक बार फिर से जैक और शिक्षा विभाग उसी राह पर चल पड़ेंगे, जिसका अंत खराब परिणाम पर होता है। लेकिन, जैक व शिक्षा विभाग की कार्यशैली को देखें तो स्पष्ट है कि सिस्टम ने बच्चों को फेल करा दिया।

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सिस्टम ऐसा रहा कि कुछ स्कूलों में बच्चा एक भी नहीं था और सभी विषयों के शिक्षकों ने यूं ही बैठ कर समय बिता दिया, जबकि दूसरी ओर कुछ स्कूलों में बिना शिक्षक के ही बच्चे सालों भर पढ़ाई करते रहे। इसी तरह परीक्षा लेने से लेकर मूल्यांकन तक में लापरवाही चरम पर रही। ऐसी अव्यवस्था के बीच अच्छे रिजल्ट की उम्मीद कैसे की जा सकती है। खराब रिजल्ट को ले दैनिक जागरण ने पहले ही आगाह कर दिया था।

फिजिक्स व केमिस्ट्री के शिक्षक नहीं :

शहर के बीचोंबीच शहीद चौक स्थित मारवाड़ी प्लस टू विद्यालय में करीब दो वर्षो से केमिस्ट्री व और दस माह से फिजिक्स के शिक्षक नहीं हैं। यहां साइंस से 230 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनमें 125 उत्तीर्ण रहे। इसमें 54 प्रथम श्रेणी से पास हुए। दूसरी ओर बीआइटी मेसरा में केमिस्ट्री के शिक्षक यूं ही बैठे रहे। मारवाड़ी स्कूल के प्राचार्य कई बार शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के लिए डीईओ को पत्र लिखे, लेकिन इनकी तंद्रा आज तक नहीं टूटी। यदि यहां केमिस्ट्री व फिजिक्स के शिक्षक होते तो और अच्छा रिजल्ट होता।

मारवाड़ी स्कूल के बगल में ही जिला स्कूल (यहां केवल 16 विद्यार्थी थे) और बालकृष्णा प्लस टू विद्यालय (यहां केवल 19 विद्यार्थी थे)हैं। डीईओ सजग रहते तो इन दोनों स्कूलों से फिजिक्स व केमिस्ट्री के शिक्षकों को मारवाड़ी में कक्षा लेने के लिए कह सकते थे।

छात्राएं नहीं, लेकिन भेज दिया शिक्षक :

मारवाड़ी कन्या पाठशाला में वर्ष 2016 व 2017 में विज्ञान संकाय में एक भी छात्रा ने नामांकन नहीं लिया। छात्राएं नहीं होने पर फिजिक्स और केमिस्ट्री के शिक्षक का दूसरे स्कूल में डिप्यूटेशन कर दिया, जबकि बायोलॉजी की शिक्षिका यहीं रह गई। लापरवाही की हद तो तब हो गई, जब मई 2017 में शिक्षा विभाग ने आंख बंद कर जमशेदपुर से गणित के शिक्षक दयानंद स्वाइन का तबादला शिवनारायण मारवाड़ी प्लस टू में कर दिया। बीते एक वर्ष से दोनों शिक्षक यूं ही बैठे हैं। गणित के शिक्षक का इस स्कूल में स्थानांतरण का निहितार्थ विभाग ही जानता है।

शिक्षक थे, छात्र नहीं :

बीआइटी मेसरा प्लस टू विद्यालय में वर्ष 2017 में साइंस व कॉमर्स दोनों संकायों में एक भी विद्यार्थी नामांकन नहीं लिया। इसके बाद अक्टूबर 2017 में ही प्राचार्या इंदुमति बेक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। पत्र में चारों शिक्षक गणित के पंकज कुमार, केमिस्ट्री के डॉ. सुनील कुमार, बायोलॉजी की ज्येाति सोलंकी व कॉमर्स के विपिन तिवारी का डिप्यूटेशन किसी अन्य स्कूल में करने का अनुरोध किया गया। कोई कार्रवाई नहीं होने पर एक बार फिर नवंबर में प्राचार्या ने डीईओ को पत्र लिखा।

इधर डीईओ रतन महावर का कहना था कि इस संबंध में वह निदेशालय को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन, ये चारों शिक्षकों के मामले में शिक्षा विभाग आज तक आंखें मूंदकर बैठा है। इस स्कूल से साइंस से एक छात्रा परीक्षा में शामिल हुई थी, जो उत्तीर्ण रही।


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