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DGP को पद से हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, झारखंड सरकार व यूपीएससी को दिया नोटिस

Supreme Court News अदालत ने पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे को भी प्रतिवादी बनाए जाने का निर्देश दिया है। अब इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 02:37 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 09:19 PM (IST)
DGP को पद से हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, झारखंड सरकार व यूपीएससी को दिया नोटिस
DGP को पद से हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, झारखंड सरकार व यूपीएससी को दिया नोटिस

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Supreme Court News झारखंड में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और यूपीएससी को नोटिस जारी किया है। अदालत ने पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे को भी प्रतिवादी बनाए जाने का निर्देश दिया है। अब इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। राज्य सरकार की ओर हरीश साल्वे ने पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट में राज्य में प्रभारी डीजीपी बनाए जाने को चुनौती दी गयी है।

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अदालत ने प्रार्थी प्रह्लाद नारायण सिंह को केंद्र और राज्य सरकार के उन दस्तावेजों को अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसके तहत कमल नयन चौबे का तबादला करते हुए एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाया गया है। इस मामले में 21 अगस्त को सुनवाई होने की संभावना है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता वेंकटेश रमन और डॉ. संदीप सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए कमल नयन चौबे को पद से हटाते हुए एमवी राव को प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया है।

सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि राज्य के डीजीपी की नियुक्ति दो साल के लिए होगी और किसी भी राज्य में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति नहीं होगी। कमल नयन चौबे को राज्य का स्थाई डीजीपी बनाया गया था, लेकिन सिर्फ नौ माह बाद ही उन्हें हटा दिया गया। उनकी पोस्टिंग पुलिस आधुनिकीकरण के कैंप कार्यालय दिल्ली में की गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उन्हें दो साल तक डीजीपी पद पर रहना चाहिए था।

कांग्रेस ने कहा, बेवजह बनाया जा रहा मुद्दा

प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर पैदा हुए विवाद पर राजनीति भी शुरू हो गई है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने इसके लिए भाजपा को निशाने पर लिया है। कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि इसे बेवजह मुद्दा बनाया जा रहा है। भाजपा शासित कई राज्यों में निर्धारित अवधि के पहले पुलिस महानिदेशक हटाए गए हैं। इसपर कभी संघ लोक सेवा आयोग ने संज्ञान नहीं लिया। भाजपा को सस्ती राजनीति से बाज आना चाहिए।


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