Supreme Court: झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव 15 तक रांची कोर्ट में करें सरेंडर
Yogendra Sao. सुप्रीम कोर्ट ने योगेन्द्र साव मामले में हजारीबाग से सभी मामलों को एक तय समय में रांची की अदालत में ट्रांसफर करने और स्पीडी ट्रायल करने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली/रांची, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को 15 अप्रैल तक रांची की निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को साव की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि साव को सोमवार तक रांची कोर्ट में आत्मसमर्पण करना होगा। सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के वकील तपेश कुमार सिंह ने शीर्ष अदालत को बताया कि योगेंद्र साव के खिलाफ चल रहे बरकागांव केस सहित सभी 18 मामलों के केस रेकाॅर्ड हजारीबाग से रांची की अदालत में स्थानांतरित हो गए हैं। साव रांची में संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर सकते हैं।
इससे पहले 4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने पर योगेंद्र साव की जमानत रद कर दी थी और हजारीबाग के सभी मामलों को सुनवाई के लिए रांची की निचली अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट के आदेश में सरेंडर करने के लिए अदालत निर्धारित नहीं की गई थी। योगेंद्र साव ने नई अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि जब तक हजारीबाग से उनके मामले रांची ट्रांसफर नहीं हो जाते, तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए और उन्हें किस अदालत में सरेंडर करना है, इसकी जानकारी दी जाए। सभी मामलों का स्पीडी ट्रायल किया जाए।
शीर्ष अदालत का शुक्रवार का आदेश साव की उसी याचिका पर आया है, जिसमें उन्होंने आत्मसमर्पण के लिए कोर्ट तय करने की मांग की थी। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अप्रैल को साव की लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार करने की मांग वाली याचिका खारिज कर कहा था कि साव ने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया है।
बता दें कि योगेंद्र साव और उनकी पत्नी विधायक निर्मला देवी के खिलाफ झारखंड के हजारीबाग कोर्ट में18 मुकदमे चल रहे हैं। जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रांची स्थानांतरित कर दिया गया है। साव 2013 में झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में मंत्री बने। वह एक दर्जन से अधिक मामलों में दंगा और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपी हैं।
योगेंद्र साव और निर्मला देवी दोनों को शीर्ष अदालत ने 15 दिसंबर, 2017 को जमानत दी थी और जमानत की शर्त के रूप में भोपाल में रहने का निर्देश दिया था। इस क्रम में भोपाल के पुलिस अधीक्षक को सूचित करने के बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा में अदालती सुनवाई के लिए झारखंड जाने की अनुमति दी गई थी। उच्चतम अदालत ने साव के बारे में पहले कहा था कि भोपाल के स्थानीय अधिकारियों की अनदेखी कर साव ने अदालत के निर्देशों की अनदेखी कर जमानत शर्तों का खुला उल्लंघन किया।