बाबूलाल दलबदल मामला: झारखंड विधानसभाध्यक्ष को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
Defection Charges of Babulal Marandi Jharkhand दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया था। इसके बाद बाबूलाल ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कहा कि स्पीकर को नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Babulal Marandi Defection Case दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो को सु्प्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष कोर्ट ने स्पीकर की याचिका को खारिज करते हुए वापस झारखंड हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से जुड़े दल-बदल मामले में झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने झारखंड हाई कोर्ट के आदेश में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया और विधानसभा अध्यक्ष की याचिका खारिज कर दी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आपको जो भी कहना है, झारखंड हाई कोर्ट में कह सकते हैं। बाबूलाल मरांडी का पक्ष रखने वाले वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि विधानसभा स्पीकर की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। उनकी ओर से दलील दी गई कि स्पीकर को दलबदल मामले में नोटिस जारी करने का अधिकार है। लेकिन, अदालत ने उनकी दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि आप झारखंड हाई कोर्ट में ही अपना पक्ष रखें। इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई।
बता दें कि इसी मामले में बुधवार (13 जनवरी) को झारखंड हाई कोर्ट में भी सुनवाई निर्धारित है। अब सबकी निगाहें हाई कोर्ट पर होंगी। दरअसल, विधानसभा स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने दसवीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी को दलबदल मामले में नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ बाबूलाल मरांडी ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान उनकी ओर से कहा गया था कि विधानसभा स्पीकर को दल-बदल मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है, इसलिए उनकी नोटिस को रद कर दिया जाए।
इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट ने बाबूलाल मरांडी के मामले में विधानसभा न्यायाधिकरण में होने वाली सुनवाई को स्थगित रखने का आदेश दिया और स्पीकर से जवाब मांगा था। इसी आदेश के खिलाफ झारखंड विधानसभा स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई थी। हालांकि, बाबूलाल मरांडी की ओर से इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी गई थी।