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पिछड़ों को 27 फीसद मिले आरक्षण : सुदेश महतो

रविवार को विधानसभा मैदान में पिछडों को 27 फीसद आरक्षण देने की मांग को लेकर लोगों ने नारे बुलंद किए। पूरे राज्य से लोग आए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 07:00 AM (IST)
पिछड़ों को 27 फीसद मिले आरक्षण : सुदेश महतो
पिछड़ों को 27 फीसद मिले आरक्षण : सुदेश महतो

जागरण संवाददाता, रांची : रविवार को विधानसभा मैदान पिछडों को 27 फीसद आरक्षण देने की मांग से गूंज उठा। अखिल भारत पिछड़ा वर्ग संघ एवं अखिल झारखंड पिछड़ा वर्ग महासभा के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय अधिवेशन सह राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन किया गया था। बतौर मुख्य अतिथि सभा को संबोधित करते हुए आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि पिछड़ों को 27 फीसद आरक्षण मांग नहीं, हक है। आरक्षण सिर्फ आर्थिक आधार नहीं बल्कि भागीदारी व हिस्सेदारी का मसला है। उन्होंने गरीब सवर्णो को दिए गए आरक्षण के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रदेश में एक बड़ा वर्ग संवैधानिक निर्णय का इंतजार कर रहा है। 2002 में मंत्रिमंडलीय उप समिति ने 73 फीसद आरक्षण की अनुशंसा की थी। सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव भी पारित किया था। हालांकि बाद में न्यायिक स्तर पर कोई पहल नहीं की गई। कहा, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व आंध्र प्रदेश में पिछड़ों को 30 से 50 फीसद तक आरक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड में की गई सामाजिक व आर्थिक जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा कि 27 फीसद आरक्षण की मांग फिर से दोहराई जा रही है। राज्य सरकार से कहा गया है कि पूर्व झारखंड में पिछड़ों की संख्या 52 फीसद के बाद भी आरक्षण सीमा 27 फीसद से घटाकर 14 फीसद की गई है। संविधान के विपरीत जाकर यह फैसला लिया गया है। इस अवसर पर आजसू के डॉ. देवशरण भगत, पूर्व डीआइजी सुबोध प्रसाद, रामाकांत ठाकुर, अखिल भारत पिछड़ा वर्ग संघ के अध्यक्ष इंद्र कुमार चंदापुरी, एआइबीसीएफ उत्तर प्रदेश के संयोजक डॉ. कौशलेंद्र, चेन्नई से आए जी करूणानिधि, संघ के राष्ट्रीय महासचिव व झारखंड प्रभारी सुशील कुमार सिंह, दामोदर दास गंगवार, बाल गोविंद प्रजापति, लालचंद महतो समेत कई उपस्थित थे।

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आरक्षण की लड़ाई को अंतिम मुकाम तक पहुंचाने के लिए गोलबंद होने का भी काम करेंगे। पिछड़ा वर्ग अब जग गया है। सरकार इस बड़ी आबादी की भावना का ख्याल करे, अन्यथा अंजाम भुगतना होगा।

- उमाकांत रजक, पूर्व मंत्री, झारखंड।

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आरक्षण आर्थिक सुधार का कार्यक्रम नहीं है। सभी जातियों को समानुपातिक लाभ मिलना चाहिए। झारखंड शहीदों की कुर्बानी से बना है, न कि अनुदान से। हालांकि आज हमारा ही संसद हमारा दोहन कर रहा है। हमें सामाजिक न्याय चाहिए।

- रामचंद्र सहिस, विधायक।

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जब सवर्णो को 10 फीसद आरक्षण मिल सकता है तो झारखंड में भी पिछड़ों को 73 फीसद आरक्षण का बिल पास हो सकता है। मंडल आयोग के तहत 73 फीसद का आरक्षण नहीं मिला तो पूरे भारत में आंदोलन होगा। ओबीसी को क्रीमी लेयर व नन-क्रीमी लेयर में बंटवारा करने की जरूरत नहीं है।

- प्रदीप ढोबले, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग कर्मचारी संघ।

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हम पिछड़े लोग भी इकट्ठा हो सकते हैं। हमें अपनी ताकत का इस्तेमाल कर आरक्षण प्राप्त करना होगा। हम सरकार से पिछड़ों के आरक्षण की याचना नहीं कर रहे हैं। पिछड़ा वर्ग अब आरक्षण के सवाल पर हाथ नहीं फैलाएगा।

- सुमिता पाटिल, अध्यक्ष, मूल निवासी महिला संघ मुंबई।

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महाधिवेशन में पारित किए गए प्रस्ताव

- झारखंड में पिछड़ों को 27 फीसद आरक्षण लागू हो।

- अनुसूचित जनजाति को 32 फीसद आरक्षण का लाभ दिया जाए।

- अनुसूचित जाति को 14 फीसद आरक्षण का लाभ दिया जाए।

- मंडल आयोग के सभी सिफारिशों को देश में लागू करें।

- सरकारी व अर्धसरकारी क्षेत्रों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू किया जाए।

- 13 प्वाइंट रोस्टर को निरस्त कर 200 प्वाइंट रोस्टर को पुन: बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया जाए।


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