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Study Started From NABARD: थम नहीं रही सीडी रेशियो में गिरावट, अब नाबार्ड सुझाएगा रास्ता

Study Started From NABARD अर्थव्यवस्था की गाड़ी काफी हद तक पटरी पर आ गई है। जीडीपी(GDP) के आंकड़े में सुधार जारी है। जीएसटी कलेक्शन(GST Collection) भी पिछले तमाम रिकार्ड तोड़ रहा है। इसके बावजूद झारखंड में बैंकों(Banks In Jharkhand) का सीडी रेशियो (क्रेडिट-जमा अनुपात) नहीं सुधर रहा है।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 08:29 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 08:30 PM (IST)
Study Started From NABARD: थम नहीं रही सीडी रेशियो में गिरावट, अब नाबार्ड सुझाएगा रास्ता
Study Started From NABARD: थम नहीं रही सीडी रेशियो में गिरावट, अब नाबार्ड सुझाएगा रास्ता

रांची(आनंद मिश्र)। Study Started From NABARD: अर्थव्यवस्था की गाड़ी काफी हद तक पटरी पर आ गई है। जीडीपी(GDP) के आंकड़े में सुधार जारी है। जीएसटी कलेक्शन(GST Collection) भी पिछले तमाम रिकार्ड तोड़ रहा है। इसके बावजूद झारखंड में बैंकों(Banks In Jharkhand) का सीडी रेशियो (क्रेडिट-जमा अनुपात) नहीं सुधर रहा है। सीडी रेशियो(CD Ratio) में गिरावट का दौर अब चिंताजनक स्थिति तक पहुंच गया है। सुधार की दम तोड़ती उम्मीदों के बीच अब नाबार्ड(NABARD) (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) बैंकों को सीडी रेशियो सुधारने का रास्ता सुझाएगा। नाबार्ड ने इस बाबत अध्ययन शुरू कर दिया है, जल्द ही झारखंड राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी(Jharkhand State Level Bankers Committee) को इसकी सीडी रेशियो सुधारने का रोड मैप सौंपा जाएगा, जिस पर राज्य के सभी बैंकों को अमल करना होगा।

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झारखंड में बैंकों का सीडी रेशियो सितंबर तिमाही में गिरकर 39.67 प्रतिशत पर पहुंच गया है। जून तिमाही में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी, जबकि पिछले साल समान अवधि (30 सितंबर 2020) में यह 50.04 प्रतिशत पर था। जाहिर है पिछले एक वर्ष में दस प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। प्राथमिक क्षेत्र, कृषि व एमएसएमई जैसे सभी सेक्टर के ऋण प्रवाह में गिरावट दर्ज की गई है। हाल ही में एसएलबीसी की बैठक में इन आंकड़ों को साझा किया गया है। नाबार्ड पिछले कई माह से इस मामले को उठाता रहा है। नाबार्ड की ओर से सीडी रेशियो के कारण तलाशने के लिए एक तीसरी एजेंसी के अध्ययन का सुझाव दिया गया था। बैंकों ने अब नाबार्ड को ही यह जिम्मेदारी सौंप दी है। नवंबर माह में इस बाबत नाबार्ड ने अध्ययन शुरू किया है। सीडी रेशियो की गिरावट ऋण प्रवाह में गिरावट का दर्शाती है। जाहिर है बैंक राज्य में जमा के सापेक्ष कर्ज देने में कोताही बरत रहे हैं। इसे चिंताजनक स्थिति बताया जा रहा है।

इन क्षेत्रों में दर्ज की गई गिरावट :

  • प्राथमिक क्षेत्र में वर्ष दर वर्ष के आधार पर 6.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। राशि में बात करें तो यह 10,970 करोड़ रही।
  • सितंबर 2020 की तुलना में कृषि ऋण में सितंबर 2021 तिमाही में 3,421 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
  • बैंकों की कुल कृषि साख वर्तमान में 12,214 करोड़ आंकी गई है, जो कि सकल ऋण 14.46 प्रतिशत है। यह राष्ट्रीय मानक 18 प्रतिशत से कम है।
  • आवास ऋण के तहत पिछले वर्ष की तुलना में 1.85 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष दर वर्ष 174 करोड़ की गिरावट दर्ज हुई है।
  • अल्पसंख्यक समुदायों के बीच ऋण प्रवाह में पिछले वर्ष के मुकाबले 4361 करोड़ की कमी आई।
  • महिलाओं के लिए ऋण प्रवाह में पिछले वर्ष की तुलना में 134 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।
  • एससी-एसटी के लिए ऋण प्रवाह में पिछले वर्ष के मुकाबले 3267 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई।

फंसा कर्ज भी गिरावट का बड़ा कारण :

झारखंड में बैंकों का फंसा या डूबा कर्ज भी सीडी रेशियो में कमी की एक वजह बताया जा रहा है। एनपीए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। ग्रास एनपीए 9.21 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर है। पिछले वर्ष सितंबर 2020 में यह महज 6.38 प्रतिशत था। जाहिर है लगभग तीन प्रतिशत का एनपीए पिछले एक वर्ष में बढ़ा है। जब कर्ज फंसता है तो बैंक लोन देने में सतर्कता बरतते हें, जिसका असर गिरते सीडी रेशियो के रूप में दिखता है। हालांकि, बैंक प्रत्यक्ष तौर पर इसे बात को नकारते हैं।

विस्तृत रिपोर्ट जनवरी 2022 में एसएलबीसी को सौंपी जाएगी: सीजीएम, नाबार्ड

नाबार्ड, सीजीएम डा. जीके नायर ने कहा कि झारखंड में बैंकों का समेकित सीडी रेशियो करीब चालीस प्रतिशत के आसपास है, जो कि राष्ट्रीय मानक 60 प्रतिशत से काफी कम है। सहकारी बैंकों का सीडी रेशियो तो काफी कम है। मार्च-21 की रिपोर्ट के अनुसार सहकारी बैंकों का सीडी रेशियो महज 12.50 प्रतिशत रहा है। राज्य के विकास, विशेषकर कमजोर वर्ग के विकास के लिए ऋण प्रवाह को गति देने की जरूरत है। कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सीडी रेशियो में सुधार के लिए नाबार्ड ने अध्ययन शुरू किया है। जिसकी विस्तृत रिपोर्ट जनवरी 2022 में एसएलबीसी को सौंपी जाएगी।


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