जर्जर हॉस्टलों में जान जोखिम में डाल रहते हैं छात्र
राजधानी के कई सरकारी हॉस्टलों की स्थिति इतनी जर्जर है कि विद्याथी परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, रांची : राजधानी के कई सरकारी हॉस्टलों की स्थिति इतनी जर्जर है कि छात्र-छात्राएं परेशानी झेलते हुए जान-जोखिम में डालकर रह रहे हैं। यहां न मेस चलता है और न ही पानी की समुचित व्यवस्था है। शौचालय की स्थिति बद से बदतर है। बरसात में तो कमरे के सामान इधर से उधर करने में ही समय बीत जाता है। क्योंकि छत से पानी टपकता रहता है। राज्य के विभिन्न जिलों से छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने रांची आते हैं। आर्थिक तौर पर कमजोर छात्र-छात्राओं को रहने के लिए कम खर्च में जगह चाहिए। इसलिए वे हॉस्टल की स्थिति जानते हुए भी वहीं रहना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें काफी मशक्कत भी करनी पड़ती है। एक-एक को हो रिनोवेशन ताकि खाली नहीं करना पड़े
रांची विवि प्रशासन ने बुधवार को मोरहाबादी स्थित पीजी हॉस्टल नंबर-2 को तत्काल खाली करने संबंधित आदेश हॉस्टल में चस्पा दिया है। विवि ने इस हॉस्टल को जर्जर घोषित कर दिया। यहां करीब 300 स्टूडेंट्स रहते हैं। दो ब्लॉक में बंटे इस हॉस्टल में तीन-तीन फ्लोर है। इनमें 63 तीन बेड वाला व 36 एक बेड वाला कमरा है। कॉमन रुम व किचन की छत जर्जर है। इसलिए यहां मेस भी नहीं चलता है। छात्र खुद के पैसे से पानी के लिए मोटर व टंकी की व्यवस्था किए हैं। विवि के निर्देश से छात्र परेशान हैं। उनका कहना है हॉस्टल पूरी तरह से खाली नहीं कराया जाए, बल्कि एक-एक फ्लोर कर रिनोवेशन कराया जाए। इससे हॉस्टल खाली नहीं करना पड़ेगा। दो वर्षो पूर्व यूजीसी व हॉस्टल-1 में ऐसी व्यवस्था करके ही रिनोवेशन कराया गया था।
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छत में बांध दिया है प्लास्टिक
रांची वीमेंस कॉलेज के सांइस ब्लॉक में कल्याण विभाग द्वारा संचालित सरना आदिवासी बालिका महाविद्यालय छात्रावास की स्थिति भी जर्जर है। यहां 12 कमरे में करीब 80 छात्राएं रहती हैं। किचन व बरामदे के छत की स्थिति इतनी खराब है कि छत में प्लास्टिक बांध दिया है। बरसात में दीवार पसीजने से परेशानी बढ़ जाती है।
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रिनोवेशन के ऐसे तरीके से खाली नहीं करना पड़ा
वीमेंस कॉलेज में ही कल्याण विभाग द्वारा संचालित भागीरथी छात्रावास का रिनोवेशन होने से छात्राएं आराम से रहती हैं। इसी के बगल में आदिवासी छात्रावास (आकांक्षा) में रिनोवेशन का कार्य चल रहा है। बारी-बारी से एक-एक रुम का रिनोवेशन होने से छात्राएं एक से दूसरे कमरे में शिफ्ट कर जाती हैं। इससे इन्हें हॉस्टल खाली नहीं करना पड़ा। इधर बरियातू स्थित रांची विवि के हॉस्टल का रिनोवेशन होने से विद्यार्थियों की परेशानी दूर हो गई है। बाथरूम में दरवाजा तक नहीं
आदिवासी बालक छात्रावास हातमा में 26 कमरे हैं और यहां करीब 100 छात्र रहते हैं। वर्ष 2003 से कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस हॉस्टल सबकुछ बेकार है। बारिश में छत से पानी टपकता है तो बाथरूम में गेट तक नहीं है। छज्जा कब गिर जाए पता नहीं।
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बना रहता है डर कि छत गिर न जाए
मोरहाबादी स्थित वीर बुधु भगत आदिवासी छात्रावास ए और बी करीब 160 विद्यार्थी रहते हैं। वर्ष 2003 में कल्याण विभाग द्वार बनाए गए इस हॉस्टल मेस तो है लेकिन इतना जर्जर है कि खाना बनाना असंभव है। छत टूटकर गिरता रहता है। ऐसे में हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। बरसात में स्थिति अधिक खराब हो जाती है।