भारत बंद के दौरान लाठीचार्ज और छात्राओं से बदसलूकी के खिलाफ आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन
भारत बंद के दौरान पुलिस के लाठीचार्ज और छात्राओं से बदसलूकी मामले में आदिवासी संगठनों ने राजभवन का घेराव किया।
रांची, जेएनएन। भारत बंद के दौरान पुलिस के लाठीचार्ज और छात्राओं से बदसलूकी मामले में विभिन्न आदिवासी संगठनों के सदस्य, विपक्षी राजनीतिक दलों ने आज रांची के मोरहाबादी से जुलूस निकाला। राजभवन का घेराव किया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, पूर्वमंत्री बंधु तिर्की, गीता उरांव समेत कई नेता मौजूद थे। बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी आंदोलन में शामिल हुए। सैकड़ों लोग मार्च में शामिल हुए। इस मौके पर लोगों ने एसडीओ अंजली यादव और रघुवर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
लोगों को संबोधित करते पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी।
जानें, क्या है मामला
भारत बंद के दौरान लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले दागने, आदिवासी छात्रावास में घुस कर गिरफ्तारी व महिलाओं ने बदसुलूकी, संजय महली समेत अन्य के खिलाफ झूठी एफआईआर के विरोध में 3 अप्रेल को समस्त एसटी-एससी छात्र संगठनों व सामाजिक संगठनों की ओर से शहर में कैंडल मार्च निकाला गया था। कैंडल मार्च जेल चौक से जुलूस की शक्ल में निकलकर अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचा। अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचकर सरकार विरोधी नारे लगाए गए। इसके बाद सरकार व पुलिस-प्रशासन का पुतला फूंका गया। छात्रों ने एफआईआर वापस लेने और अधिकारी पुलिसकर्मिर्यो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
राजभवन के पास प्रदर्शन में शामिल महिलाएं।
विरोध को दबाने के लिए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई :
आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील राम ने 3 मार्च को कहा कि आजादी के 70 वर्ष के बाद भी एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में सरकार द्वारा लोकतात्रिक विरोध को दबाने के लिए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की गई। यह पुलिसिया कार्रवाई लोकतंत्र का गला घोटने वाली है। जबकि आवाज पीड़ित व शोषित दलित और आदिवासियों की है। सुशील राम ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में झारखंड के आदिवासी और यहा के छात्र अपने संवैधानिक अधिकारों से पीछे नहीं हटेंगे। जरूरत पड़ने पर उग्र आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे। कैंडल मार्च में पूर्व मंत्री बंधू तिर्की, झारखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष महुआ माजी, दुर्गा उरांव, महादेव उरांव, प्रेमशाही मुंडा, मिथुन, पंकज, अनूप, मीनू, अरविंद, अजय कुमार भगत , जॉन मिंज, राकेश मिंज, दुर्गा उरांव, महादेव उरांव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल थे।
प्रदर्शन करते आदिवासी छात्र संघ के सदस्य।
छात्रों ने कहा, अपराधियों जैसा सुलूक किया गया :
आदिवासी छात्र संघ के छात्रों का कहना है कि भारत बंद के दौरान लोकतात्रिक ढंग से विरोध दर्ज करवा रहे थे। लेकिन पुलिस द्वारा अपराधियों जैसा सुलूक करते हुए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की। प्रशासन ने पूर्व नियोजित षड्यंत्र की तरह बालिका छात्रावास में पुरुष पुलिसकर्मी घुसकर छात्राओं से बदसुलूकी की। इसमें कई छात्राओं के कपड़े भी फट गए। यह आदिवासियों और दलितों की आवाज दबाने की बड़ी साजिश है।