झामुमो बनेगा विपक्षी महागठबंधन की धुरी, कोशिशें हुई तेज
झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास तीन सांसद और 19 विधायक हैं।
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर विपक्षी महागठबंधन की कवायद तेज हो गई है। नई दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर हुई विपक्षी दलों की बैठक से इसे काफी बल मिला है। झारखंड मुक्ति मोर्चा इस महागठबंधन का सबसे बड़ा दल होगा। इसकी वजह भी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास तीन सांसद (एक राज्यसभा सदस्य समेत) और 19 विधायक हैं। इस लिहाज से वह कांग्रेस सरीखे राष्ट्रीय दल समेत अन्य विपक्षी दलों से काफी आगे हैं।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास है। विधानसभा में जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा काफी मुखर है वहीं सदन के बाहर भी वह सत्ताधारी भाजपा गठबंधन को टक्कर देता नजर आता है। हाल ही में लिट्टीपाड़ा में हुए विधानसभा उपचुनाव में अपनी सीट बरकरार रखकर उसने इसका प्रमाण भी दिया है। लिहाजा भविष्य में राज्य स्तर पर बनने वाले विपक्षी महागठबंधन की धुरी झारखंड मुक्ति मोर्चा बनेगा और उसके नेता हेमंत सोरेन इस कुनबे के स्वाभाविक मुखिया।
2014 के विधानसभा चुनाव में राजद को छोड़कर अन्य दलों ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ चुनावी गठबंधन में कोताही बरती तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इस बार इसे लेकर सभी दलों में स्वर उभर रहे हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को साथ लेकर चुनाव में भाजपा गठबंधन को टक्कर दिया जाए। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सीधे झारखंड मुक्ति मोर्चा के संपर्क में भी है। पार्टी के पास अब गठबंधन कर राजनीति करने के अलावा कोई चारा भी नहीं बचा है। राज्य में कई गुटों में बंटी कांग्रेस के पास कोई करिश्माई नेतृत्व नहीं है।
बाबूलाल का रुख फिलहाल अस्पष्ट
झारखंड विकास मोर्चा के प्रमुख बाबूलाल मरांडी का फिलहाल विपक्षी महागठबंधन को लेकर रूख स्पष्ट नहीं है। बाबूलाल कांग्रेस के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन बाद में यह गठबंधन टूट गया। नई दिल्ली में हुई विपक्षी दलों की बैठक में भी शामिल होने से उन्होंने परहेज किया। पार्टी नेताओं के मुताबिक इसका राजनीतिक मायने-मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए लेकिन बाबूलाल मरांडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक मंच पर लाना थोड़ा मुश्किल होगा। दोनों दलों की तल्खी समय-समय पर सामने भी आती रही है।
एक मंच पर विपक्षी दल आएंगे तो बेहतर परिणाम निकलेगा
झारखंड मुक्ति मोर्चा शुरू से समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेकर चलने का हिमायती रहा है। नई दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से सकारात्मक बातचीत भी हुई है। बड़े मुद्दों पर हम साथ-साथ आंदोलन भी करते रहे हैं। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों से लोग परेशान हैं। एक मंच पर तमाम विपक्षी दल आएंगे तो उसका बेहतर परिणाम निकलेगा।
-हेमंत सोरेन-कार्यकारी अध्यक्ष, झामुमो
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