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SAIL से रॉयल्टी के 3000 करोड़ की मांग पर लगी रोक Ranchi News

Jharkhand High Court. बुधवार को अदालत ने राज्य सरकार द्वारा जारी मांग पत्र पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही सरकार से जवाब मांगा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 03:41 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 07:34 PM (IST)
SAIL से रॉयल्टी के 3000 करोड़ की मांग पर लगी रोक Ranchi News
SAIL से रॉयल्टी के 3000 करोड़ की मांग पर लगी रोक Ranchi News

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड हाई कोर्ट से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) को अंतरिम राहत मिली है। जस्टिस एके द्विवेदी की अदालत ने राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए मांग पत्र पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। साथ ही, राज्य सरकार से जवाब मांगा है। झारखंड सरकार ने सेल से करीब तीन हजार करोड़ रुपये की मांग की है। मामले में अगली सुनवाई 16 मार्च 2020 को होगी।

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इस संबंध में सेल की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसमें सरकार के मांग पत्र को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान सेल के अधिवक्ता विजयकांत दुबे ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने सेल के चाईबासा स्थित मेगाहाता बुरू, किरीबुरू, दुर्गाइबूरू व धोबिल के लौह अयस्क खदानों के लिए लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का मांग पत्र निर्गत किया है।

इसमें कहा गया है कि सरकारी कंपनियों को द्वितीय नवीकरण की अवधि से लेकर अब तक जमा की गई स्वामित्व (रॉयल्टी) की राशि के बराबर की राशि जमा करनी है। अदालत को बताया गया कि सरकार जिस नियम का हवाला दे रही है, उसके अनुसार यह राशि देय नहीं है। सरकार ने नियमों के बाबत जो विश्लेषण किया है, वह गलत है। यह सेल पर लागू नहीं होता है।

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से इसको लेकर कोई अधिसूचना भी जारी नहीं की गई है, जबकि नियम के तहत मांग पत्र निर्गत करने का आधार केंद्र सरकार की अधिसूचना होनी चाहिए। झारखंड सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में सरकार द्वारा नियमों का विश्लेषण सही है। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा नई अधिसूचना जारी करने की जरूरत नहीं है।

माइनिंग एक्ट की अनुसूची दो के अनुसार रॉयल्टी की दर निर्धारित है। उसी के तहत मांग पत्र जारी हुआ है। इसलिए वादी को अंतरिम राहत नहीं मिलनी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सेल को अंतरिम राहत देते हुए सरकार के मांग पत्र पर रोक लगा दी है।


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