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Big Alert : Power crisis उत्तर प्रदेश,पंजाब, बिहार व दिल्ली समेत कई राज्यों में गहरा सकता है बिजली संकट

उत्तर प्रदेश दिल्ली बिहार और पंजाब में बिजली संकट उत्पन्न होने की आशंका जताई जा रही है। इन राज्यों के पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है। सीसीएल की आम्रपाली परियोजना से उत्‍पादन न हो पाने के कारण कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है।

By Uttamnath PathakEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 08:31 PM (IST)
Big Alert : Power crisis उत्तर प्रदेश,पंजाब, बिहार व दिल्ली समेत कई राज्यों में गहरा सकता है बिजली संकट
big power cirsis आम्रपाली कोल परियोजना, टंडवा

जुलकर नैन, चतरा : उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार और पंजाब में बिजली संकट उत्पन्न होने की आशंका जताई जा रही है। इन राज्यों के पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है। एक-दो दिन के भीतर कोयले की आपूॢत नहीं होने से वहां बिजली उत्पादन ठप हो सकता है। सीसीएल की आम्रपाली परियोजना से उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के प्लांटों को कोयले की आपूॢत होती रही है। परियोजना में पिछले आठ दिन से कोयले की ढुलाई और खनन का काम ठप है। प्रतिदिन पांच करोड़ का नुकसान हो रहा है। आम्रपाली परियोजना से शिवपुर रेलवे साइडिंग तक कोयला ट्रांसपोॄटग का ठेका अंबे माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी नकास के जिम्मे था। नकास का ठेका 20 जुलाई को समाप्त हो गया और अगले तीन वर्ष के लिए आरकेटीसी नामक दूसरी एजेंसी को परिवहन का काम दे दिया गया है। बताया जा रहा है कि एजेंसी बदलने से ही विवाद उत्पन्न हुआ है। झमेला परिवहन वाली सड़क को लेकर है। आम्रपाली से शिवपुर साइडिंग तक सड़क का कुछ भाग रैयती जमीन पर है। जब सड़क का निर्माण हो रहा था तो सीसीएल ने संबंधित रैयतों की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया था। उसका मानना था कि यह जमीन परियोजना क्षेत्र से बाहर है। बाद में शिवपुर साइडिंग का निर्माण हुआ तो वह जमीन कोयला ढुलाई के मार्ग में आ गई तो सीसीएल प्रबंधन को अपनी गलती का एहसास हुआ। अब उस जमीन से होकर कोयला ढोने पर रैयतों ने रोक लगा दी है। वह सीसीएल से उस जमीन का अधिग्रहण, उसके एवज में मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग कर रहे हैं।

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सीसीएल प्रबंधन के अनुसार आउटसोॄसग कंपनी अंबे माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड आंदोलन को हवा देकर अपना हित साधना चाहती है। यह पूरी तरह सीसीएल प्रबंधन को परिवहन कंपनी को बदलने पर मजबूर कर देने की चाल है। इसी के तहत उसने संबंधित रैयतों से जमीन का चार वर्षों तक लीज के लिए एकरारनामा करा लिया है। और अब उन्हेंं आगे कर आरकेटीसी को कोयले की ढुलाई नहीं करने दे रही है। इन दोनों कंपनियों की लड़ाई में नुकसान सीसीएल एवं राज्य सरकार को हो रहा है। सीसीएल प्रबंधन ने इस पूरे मामले की जानकारी जिला प्रशासन को देते हुए परिवहन कार्य शुरू कराने की गुहार लगाई है। उपायुक्त अंजलि यादव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित रैयतों से वार्ता के लिए सिमरिया एसडीओ सुधीर कुमार दास को भेजा था। एसडीओ वहां पर दो दौर में वार्ता कर चुके हैं। लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं निकला है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि उपायुक्त जल्द ही कठोर निर्णय ले सकती हैं। बातचीत जारी है, उम्‍मीद है कि बुधवार तक गतिरोध खत्‍म कर कोयले की ढुलाई का परिचालन शुरू किया जा सकता है।

कोट

कोयले की दिक्कत हो रही है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार समेत कई राज्यों के पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक खत्म हो रहा है। कई जगहों पर बिजली की समस्या उत्पन्न हो रही है। ट्रांसपोॄटग का ठेका दूसरी कंपनी ने लिया है। परिवहन का कार्य उसी को शुरू करना है। एनआइटी में समय निर्धारित रहता है। पुरानी कंपनी व्यवधान उत्पन्न कर रही है। जिला प्रशासन को पूरे मामले से अवगत करा चुके हैं।

आरके सिंह, महाप्रबंधक, आम्रपाली कोल परियोजना, टंडवा।


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