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SFSL Jharkhand: 60 दिनों में कैसे दें जांच रिपोर्ट, यहां 16 की जगह हैं सिर्फ 3 वैज्ञानिक; 400 मामले लटके

SFSL Jharkhand राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों की भारी कमी है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि पीड़‍ितों को इंसाफ कैसे मिलेगा। त्वरित न्याय कैसे होगा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 01:15 PM (IST)
SFSL Jharkhand: 60 दिनों में कैसे दें जांच रिपोर्ट, यहां 16 की जगह हैं सिर्फ 3 वैज्ञानिक; 400 मामले लटके
SFSL Jharkhand: 60 दिनों में कैसे दें जांच रिपोर्ट, यहां 16 की जगह हैं सिर्फ 3 वैज्ञानिक; 400 मामले लटके

रांची, [दिलीप कुमार]। इंसाफ कैसे मिलेगा। त्वरित न्याय कैसे होगा। वैज्ञानिक साक्ष्य की जांच शीघ्र पूरी कैसे होगी। पीडि़तों के ऐसे तमाम सवालों से राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल) भी जूझ रहा है। यहां वैज्ञानिकों की भारी कमी है। दुष्कर्म व प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंसेज (पोक्सो) एक्ट के कांडों में 60 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट देने की बाध्यता को पूरा करने में एसएफएसएल हांफ रहा है। ऐसे कांडों के साक्ष्यों की जांच जीव विज्ञान सेक्शन में होती है, जहां 16 वैज्ञानिकों का स्वीकृत पद होने के बावजूद मात्र तीन से ही काम चलाया जा रहा है।

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गृह विभाग में जब वैज्ञानिकों की कमी का मामला पहुंचा, तो वहां भी मंथन जारी है। सरकार को बताया गया है कि जीव विज्ञान सेक्शन में तीन तरह की जांच होती है, जिसमें जीव विज्ञान प्रशाखा, सीरम विज्ञान प्रशाखा व डीएनए प्रशाखा शामिल हैं। तीनों प्रशाखा में एक-एक वैज्ञानिक यानी कुल तीन वैज्ञानिक होने के चलते कांडों के निष्पादन की गति बहुत ही धीमी है। पदाधिकारियों की कमी के कारण जीव विज्ञान सेक्शन में दिन-प्रतिदिन लंबित कांडों में बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में तीनों प्रशाखाओं में लंबित कांडों की संख्या करीब 400 से अधिक हो चुकी है।

जांच में देरी होगी तो रिपोर्ट की गुणवत्ता भी होगी प्रभावित

वैज्ञानिकों-विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने के पीछे एसएफएसएल ने तर्क दिया है कि जांच में जितनी देरी होगी, जांच रिपोर्ट की गुणवत्ता उतनी ही प्रभावित होगी। जीव विज्ञान, सीरम व डीएनए प्रशाखा में दुष्कर्म व पोक्सो एक्ट के अधीन दर्ज मामले आते हैं। इनमें 60 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट न्यायालय में भेजना आवश्यक होता है। तीनों प्रशाखा में साक्ष्यों को अधिक दिनों तक लंबित रखने से साक्ष्यों की गुणवत्ता प्रभावित होने की संभावना भी बनी रहती है। ऐसे में जांच रिपोर्ट का परिणाम प्रभावित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में न्यायालयों से प्रतिकूल टिप्पणी की आशंका बनी रहती है।

इस प्रशाखा में इतने हैं वैज्ञानिकों के सृजित पद

प्रशाखा - सृजित पद

  1. आग्नेयास्त्र  - 12
  2. भौतिकी  - 04
  3. विष विज्ञान - 12
  4. सामान्य रसायन - 04
  5. नारकोटिक्स - 02
  6. विस्फोटक - 06
  7. जीव विज्ञान - 06
  8. सीरम विज्ञान - 04
  9. डीएनए - 06
  10. लाई डिटेक्शन - 02
  11. फोटोग्राफी - 02
  12. डॉक्यूमेंट - 02
  13. साइबर फॉरेंसिक - 03
  14. फॉरेंसिक इंजीनियरिंग एंड इंस्ट्रूमेंटेशन - 01 

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