झारखंड के सभी सरकारी भवन सौर ऊर्जा से होंगे लैस, 1500 इमारतों पर लगेंगे सोलर पैनल
सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट की अगुआई में राजधानी में सेमिनार का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, रांची। सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड), झारखंड रिन्यूबल एनर्जी डेवलपमेंट (जेरेडा) एवं केंद्रीय विवि झारखंड की ओर से सोलर एनर्जी पर आयोजित सेमिनार में प्रधान सचिव (ऊर्जा) नितिन मदन कुलकर्णी ने सीड के अध्ययन की तारीफ करते हुए कहा कि इससे सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत करीब एक लाख मेगावाट रूफटॉप से सोलर बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 2019 तक 48 हजार मेगावाट तक के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है। अभी हम 2538 मेगावाट का ही उत्पादन कर पा रहे हैं। हमें रूफटॉप पर ध्यान देने की जरूरत है।
राज्य के सरकारी भवन को कवर करने की योजना है। जितने सिविल कोर्ट हैं, उन्हें कवर करना है। अभी आठ सिविल कोर्ट ही सोलर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं। राज्य में 1500 से अधिक भवनों पर लगना है। इसमें विवि, कस्तूरबा स्कूल, सरकारी भवन और अन्य संस्थाएं शामिल हैं। तीन-चार साल के अंदर हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।
एप हो चुका है लांच
उन्होंने कहा कि ऊर्जा ग्रीड में भेजने से भी पैसा मिलेगा। 2013-14 के मुकाबले 40 फीसद सस्ता हुआ है। वहीं, एक यूनिट का पचास पैसा मिलता था। अब इसे और बढ़ाया जाएगा। सोलर ऊर्जा को बढ़ाने के लिए एप भी लांच हो चुका है, जिस पर शुरू से लेकर अंत तक की पूरी जानकारी वहां उपलब्ध है। इसके व्यापक प्रचार की जरूरत है।
सोलर पार्क के लिए चान्हो में जमीन चिह्नित
उन्होंने बताया कि सोलर पार्क का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। उम्मीद है कि उस पर जल्द निर्णय आ जाएगा। पार्क के लिए चान्हो में जमीन चिह्नित की गई है। हम चाहते हैं कि लोग हेलीकाप्टर या हवाई जहाज से रांची शहर को देखें तो उन्हें रूफटॉप ही नजर आए।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार झारखंड के शहरों में सोलर रूफटॉप बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए एक सोलर रूफटॉप नीति लेकर आ रही है। यह न केवल राज्य के लिए सौर ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने में ऊर्जा विभाग को सक्षम करेगा, बल्कि झारखंड के लोगों को गुणवत्तापूर्वक बिजली प्रदान करने की हमारी महत्वाकाक्षा को भी पूरा करेगी।
बेच भी सकते हैं अतिरिक्त बिजली
जेरेडा के निदेशक निरंजन कुमार ने कहा कि सोलर ऊर्जा में असीम संभावना है। यहां रांची में क्लाउड के समय भी सोलर से 50 से 60 फीसद ऊर्जा का उत्पादन हो जाता है। सोलर ऊर्जा के लिए सरकार भी सब्सिडी देती है। पहले की अपेक्षा यह अब सस्ता हुआ है।
अतिरिक्त बिजली आप बेच भी सकते हैं। पहले प्रति यूनिट 50 पैसे रेट था, लेकिन अब यह तीन रुपये के आस-पास होगा। इससे कोई नुकसान नहीं है। उन्होंने बताया कि रांची और जमशेदपुर में एक हजार मेगावट सोलर बिजली उत्पादन की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि झारखंड की सोलर रूफटॉप नीति (इसकी अधिसूचना के बाद) निश्चित रूप से सोलर पावर प्रोजेक्ट की स्थापना में मदद देगी और जैसा कि सीड ने राची व जमशेदपुर में सोलर रूफटॉप की संभावना का आकलन किया है, उसे और वर्ष 2022 में राज्य में सोलर रूफटॉप के 500 मेगावाट के टारगेट को भी हासिल करने में सहायता प्रदान करेगी।
जेरेडा राज्य के किसी भी हिस्से में सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए जरूरी मदद करने को तत्पर है। उन्होंने आगे कहा, झारखंड के लिए एक सोलर रोडमैप तैयार कर रहे हैं ताकि झारखंड सोलर पॉलिसी-2015 के तहत तय उद्देश्यों व लक्ष्यों को हासिल कर सकें।
रिसर्च रिपोर्ट में सरप्लस एनर्जी पर फोकस
इस मौके पर सीड द्वारा रिसर्च रिपोर्ट रि-पाव¨रग झारखंड असेसमेंट ऑफ सोलर रूफटॉप पोटेंसियल ऑफ रांची एंड जमशेदपुर का विमोचन भी किया गया। रिपोर्ट झारखंड के दो प्रमुख शहरों रांची व जमशेदपुर में सोलर रूफटॉप प्रणाली की संभावना की पड़ताल करती है।
रिपोर्ट के अनुसार इन दो शहरों में करीब एक गिगावाट बिजली उत्पादन की संभावना है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार और निवेश के अवसर भी पैदा होंगे। सीड के सीइओ रमापति कुमार ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अभी बिजली घाटे की उच्च स्थिति, ऊर्जा सुरक्षा के परिदृश्य एवं बढ़ते वायु प्रदूषण के बरक्त सोलर ऊर्जा लाभदायक है।
यह प्रकृति के लिए भी हानिकारक नहीं है। वहीं, अगले दो सालों में पांच सौ मेगावाट के झारखंड के सोलर रूफटॉप टारगेट को हासिल करने में मदद मिल सकती है।
इस रिपोर्ट के निष्कर्ष यह संकेत करते हैं कि राची व जमशेदपुर में उनके सोलर रूफटॉप की पूर्ण संभावना के लिए करीब 52 अरब रुपये का विशाल निवेश होगा, साथ ही इससे करीब 24 हजार नए रोजगार का सृजन अकेले इन दोनों शहरों में होगा। अन्य शहरों में सोलर रूफटॉप की संभावना के आकलन और उसे जोड़ने के बाद निश्चित रूप से झारखंड को देश का अगला 'सोलर डेस्टिनेशन' बनाया जा सकता है।
ऐसे में झारखंड आसानी से अपनी ऊर्जा व बिजली जरूरतों को पूरा कर सकता है और अपने यहा सोलर संभावना का दोहन करके एनर्जी के मामले में 'सरप्लस स्टेट' बन सकता है।
कार्यक्रम में केंद्रीय विवि के प्रो एसके समदर्शी, रवींद्र नारायण सिंह, रमेश ठाकुर, प्रभात कुमार, राकेश झा, दिशा अग्रवाल, सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट, शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन एवं नीरज कुलदीप, प्रोग्राम एसोसिएट, कौंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर आदि ने विचार रखे। संचालन प्रज्ञा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अभिषेक कुमार ने किया।