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दलबदल करने वाले छह विधायकों पर लटकी तलवार, फैसला 20 को

झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायकों के दलबदल मामले में स्पीकर कोर्ट 20 को करेगा फैसला

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 07:50 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 07:50 AM (IST)
दलबदल करने वाले छह विधायकों पर लटकी तलवार, फैसला 20 को
दलबदल करने वाले छह विधायकों पर लटकी तलवार, फैसला 20 को

रांची, राज्य ब्यूरो : झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायकों के दलबदल मामले में स्पीकर कोर्ट 20 फरवरी को अपना फैसला सुनाएगा। 12 दिसंबर 2018 को कोर्ट ने सुनवाई की प्रक्रिया पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। लगभग चार वर्ष पुराने मामले में आने वाले इस फैसले को लेकर लोगों की निगाहें स्पीकर पर है।

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बताते चलें कि विधानसभा चुनाव 2014 के बाद झाविमो के टिकट से जीत हासिल करने के बाद छह विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इनमें अमर कुमार बाउरी (चंदनक्यारी), रणधीर सिंह (सारठ), गणेश गंझू (सिमरिया), आलोक चौरसिया (डालटेनगंज), नवीन जायसवाल (हटिया) तथा जानकी प्रसाद यादव (बरकट्ठा) शामिल थे। झाविमो ने इसे दलबदल का मामला करार देते हुए संबंधित विधायकों की सदस्यता रद करने के लिए स्पीकर कोर्ट में याचिका दायर की थी।

प्रतिवादी पक्ष (भाजपा) की ओर से इस मामले में 78 गवाहों की सूची दी गई थी, जिनमें से 57 की गवाही हुई। झाविमो की ओर से कुल आठ गवाहों ने अपनी गवाही दर्ज कराई। सुनवाई के लिए कुल 97 तिथियां मुकर्रर की गई थी, जबकि कुल 64 सुनवाई हुई।

प्रतिकूल फैसले से सरकार पर असर

अगर स्पीकर कोर्ट ने विधायकों के दलबदल को गलत करार दिया तो उनकी सदस्यता जा सकती है। ऐसे में भाजपा के विधायकों की संख्या घटकर 37 रह जाएगी। ऐसे में सरकार की स्थिरता पर भी संकट खड़ा होगा और आजसू समेत निर्दलीय विधायकों पर निर्भरता बढ़ेगी।

विधानसभा में दलीय स्थिति

भाजपा - 43

झामुमो - 19

कांग्रेस - 09

आजसू - 04

झाविमो - 02

भाकपा (माले) - 01

बसपा - 01

मासस - 01

निर्दलीय - 01

कुछ ऐसा होगा असर

-छह विधायक अयोग्य हुए, फिर भी सत्तापक्ष के पास बचेंगे आजसू को मिलाकर - 41 विधायक (आजसू के एक विधायक दल से सस्पेंड हैं।)

-बदली स्थिति में सरकार की निर्भरता आजसू पार्टी और निर्दलीयों पर ज्यादा होगी।

-अगर विधायकों की सदस्यता बरकरार रही तो झाविमो को लगेगा झटका।

ंफ्लैशबैक

- विधानसभा चुनाव 2014 में झाविमो के टिकट से जीत हासिल करने के बाद पार्टी के छह विधायकों ने ग्रहण कर ली थी भाजपा की सदस्यता।

- झाविमो (वादी पक्ष) ने इस दलबदल का मामला ठहराया। भाजपा (प्रतिवादी पक्ष) झाविमो के विलय का दावा करती रही।

- बतौर झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने 11 फरवरी 2015 तथा झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने 25 मार्च 2015 को स्पीकर कोर्ट में दायर की याचिका। नेताओं ने संबंधित विधायकों की सदस्यता रद करने की वकालत की।

- 15 फरवरी 2015 को स्पीकर कक्ष के बंद केबिन में, जबकि 25 मार्च 2015 से खुले इजलास में शुरू हुई सुनवाई।

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दलबदल करने वालों दावा

विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की, बल्कि पूरी पार्टी का ही विलय भाजपा में हो गया है। झाविमो के आठ विधायकों में से छह भाजपा में शामिल हो गए। चूंकि यह आंकड़ा दो तिहाई होता है, ऐसे में विलय को गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता।

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झाविमो का जवाब

प्रतिवादी पक्ष का तर्क कहीं नहीं टिकता।पहली बार चार और दूसरी बार दो विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ली। इस तरह दो तिहाई की बात खारिज हो जाती है। विलय के लिए यह जरूरी है कि इससे संबंधित बैठक पार्टी अध्यक्ष बुलाए, जिसमें केंद्रीय समिति के सदस्यों की उपस्थिति हो, लेकिन बैठक दल बदलने वाले विधायकों में से एक जानकी प्रसाद यादव ने बुलाई थी। ---

छह में से दो विधायक मंत्री, तीन बोर्ड-निगम के अध्यक्ष

भाजपा में शामिल होने वाले छह विधायकों में से अमर कुमार बाउरी राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार तथा रणधीर सिंह कृषि मंत्री हैं। इससे इतर जानकी यादव झारखंड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष, गणेश गंझू झारखंड कृषि विपणन बोर्ड और आलोक चौरसिया वन विकास निगम के अध्यक्ष हैं।


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