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Jharkhand Sports: खेल में छह गोल्ड... स्नातक तक की पढ़ाई...आज ईंट ढो रही झारखंड की बेटी

Jharkhand Sports राज्य की कई खेल प्रतिभाएं आज पूरी दुनिया में झारखंड का मान बढ़ा रही हैं। इनमें से कुछ खिलाडिय़ों को जहां सरकारी और गैर सरकारी स्तरों पर कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गईं वहीं कई खिलाड़ी आज भी इसकी बाट जोह रहे हैं।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 05:07 PM (IST)
Jharkhand Sports: खेल में छह गोल्ड... स्नातक तक की पढ़ाई...आज ईंट ढो रही झारखंड की बेटी
छह गोल्ड मेडल जीतने वाली हैंडबाल खिलाड़ी रजनी कुमारी ईंट ढोने को मजबूर है।

लातेहार {उत्कर्ष पांडेय}। राज्य की कई खेल प्रतिभाएं आज पूरी दुनिया में झारखंड का मान बढ़ा रही हैं। इनमें से कुछ खिलाडिय़ों को जहां सरकारी और गैर सरकारी स्तरों पर कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गईं, वहीं कई खिलाड़ी आज भी इसकी बाट जोह रहे हैं। छह गोल्ड मेडल जीतने वाली हैंडबाल खिलाड़ी रजनी कुमारी भी इन्हीं में से एक है। लातेहार जिले के गुरीटांड गांव की रहने वाली रजनी वर्तमान में ईंट ढोने को मजबूर है। इस एवज में उसे रोजाना 180 रुपये मजदूरी मिलती है, जिससे उसका घर चलता है। रजनी ने वर्ष 2008 से वर्ष 2015 तक अपने खेल करियर के दौरान राजधानी रांची से लेकर पंजाब, असम, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, त्रिपुरा समेत विविध स्थानों पर छह गोल्ड मेडल जीतकर झारखंड का गौरव बढ़ाया था।

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दैनिक जागरण से बात करते हुए रजनी ने कहा कि पिता मेघू मुंडा की मृत्यु के बाद मां सोहरी देवी मजदूरी कर हम पांच बहनों का भरण पोषण करती थी। इस बीच तीन बहनों की शादी हो गई और 2015 के बाद मां की तबीयत खराब रहने लगी। इससे घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। इसके बाद छोटी बहन व मां के भरण पोषण की जिम्मेदारी मुझपर आ गई। और खेल पीछे छूट गया। लेकिन नौकरी की उम्मीद में पढ़ाई नहीं छोड़ी। दिनभर मजदूरी और रात में पढ़ाई करती रहीं। अंतत: 2017 में भूगोल विषय से स्नातक की। इसके बाद प्रखंड से जिला मुख्यालय तक नौकरी के लिए दौड़ लगाती रहीं, लेकिन आश्वासनों के सिवाय कुछ भी नहीं मिला।

सिर्फ मेडल से पेट नहीं भरता, जीने के लिए रोटी चाहिए

रजनी ने बताया कि शुक्रवार को साप्ताहिक बाजार का दिन छोड़कर हर दिन काम मिल जाता है। सुबह आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक सिर पर ईंट ढोने के एवज में रोजाना 180 रुपये मिलते हैं। इसी से बूढ़ी मां की दवा और दोनों बहनों की जरूरतें पूरी करती हूं। जब मैं दसवीं में थी, लोग कहते थे मन लगाकर खेलोगी तो जीवन में कभी पैसे की तंगी नहीं होगी। मैंने ऐसा ही किया, परंतु किस्मत ने खिलाड़ी से दिहाड़ी बना दिया।

खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने की दिशा में सरकार तत्पर है। रजनी के मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए उसकी यथासंभव मदद की जाएगी। सरकार की ओर से उसे पुरस्कृत भी किया जाएगा।

- शिवेंद्र सिंह, जिला खेल पदाधिकारी लातेहार।


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