निकाय चुनावः विपक्षी एका के दावों ने तोड़ा दम, सभी दलों ने एक दूसरे के खिलाफ खोला मोर्चा
निकाय चुनाव में विपक्षी एकता की कलई खुल गई। चुनाव में तकरीबन सभी दलों ने एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। पिछले दिनों नई दिल्ली में सोनिया गांधी की डिनर पार्टी में भाजपा के खिलाफ बिगुल फूंका गया, विपक्षी एकता का नारा बुलंद किया गया। झारखंड से झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी भी इस पार्टी का हिस्सा बने। लेकिन एक सप्ताह भी नहीं बीता निकाय चुनावों में विपक्षी एकता की कलई खुल गई। चुनाव में तकरीबन सभी दलों ने एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
विपक्ष के लिए संतोष की बात यह है कि सत्ताधारी दल भाजपा के साथ आजसू भी मैदान में है। हालांकि, विपक्षी दलों ने निकाय चुनाव को लेकर किसी तरह के गठबंधन की घोषणा नहीं की थी। लेकिन आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिहाज से अहम माने जाने रहे इस चुनाव में इनके साझा प्रत्याशी देने के कयास लगाए जा रहे थे। सारे कयास धरे रहे।
चुनाव में कांग्रेस और झामुमो तो तकरीबन सभी सीटों पर आमने-सामने हैं। राजद और झाविमो भी प्रत्याशी देने में पीछे नहीं रहे हैं। राजद और झाविमो जैसे दल तो भाजपा व अन्य दलों से नाराज लोगों का ठिकाना भी बने हैं। चुनाव में सभी दलों के अपने-अपने नारे हैं, वादे हैं। चुनाव निहायत स्थानीय मसलों पर लड़ा जाएगा, लेकिन परिणाम स्थानीय नहीं होगा।
आगामी चुनावों पर भी पड़ेगा असर
झारखंड में अगले वर्ष लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव होने हैं। शहरी निकाय चुनाव का परिणाम कम से कम शहरी क्षेत्रों में दलों की जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए काफी होगा। अगर विपक्ष एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ चुनाव में उतरता और परिणाम यदि उसके पक्ष में होते तो इसका कुछ हद तक लाभ लोकसभा और विधानसभा के अगले चुनाव में मिल सकता है। लेकिन स्थिति जुदा है। हालांकि दलों को अपनी वास्तविक हकीकत का भी भान होना चाहिए।