प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर जीवन जीने की कला सिखाता है सरहुल
पूर्व विधायक रामकुमार पाहन ने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर जीवन जीने की कला सिकखात है सरहुल।
अनगड़ा : पूर्व विधायक रामकुमार पाहन ने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर जीवन जीने की कला ही सरहुल महापर्व है। पाहन सालहन में आयोजित सरहुल पूजा के मौके पर बोल रहे थे। रामकुमार पाहन व गाव के पाहन रंजन पाहन ने सरना में रंगवा मुर्गे की बलि देकर विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की। मौके पर डा. रिझू नायक, ग्रामप्रधान शिबू मुंडा, भाजयुमो जिला मीडिया प्रभारी रामसाय मुंडा, रामपद चौधरी, बरतू मुंडा, भोला करमाली, रोहित करमाली, विजय करमाली, सुनील मुंडा सहित अन्य उपस्थित थे। इधर, बजरंग चौक स्थित सरना में श्रद्धा सरना समिति के तत्वावधान में पूजा की गई। मौके पर राजदेव पाहन, राजेंद्र मुंडा, जैलेंद्र कुमार, अनगड़ा प्रमुख अनिता गाड़ी आदि थे। इधर, मानव सरना समिति गेतलसूद के द्वारा करंज टोली सरना में पूजा की गई। मौके पर अध्यक्ष अनिल मुंडा, सचिव मंशू मुंडा, कोषाध्यक्ष उषा देवी, सीताराम मुंडा आदि थे।
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संसू, नामकुम : सरहुल पूजा के अवसर पर नामकुम की विभिन्न जगहों पर कोरोना के नियमों के साथ अखरा व सरनास्थलों पर सरहुल की पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान नामकुम प्रखंड की ओर से नामकुम बाजारटाड़ में अध्यक्ष बिरसा पाहन, किरण संगा, विनोद एक्का और सोनल कच्छप की अगुवाई में सखुआ वृक्ष की विशेष तौर से पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान पाहन ने पूजा के दौरान घड़े में रखे पानी को देखकर इस वर्ष भरपूर बारिश और अच्छी फसल की भविष्यवाणी की। मौके पर बिरसा उरांव, शनिचरवा उरांव, करमा गाड़ी, राजेश कोरियार, जोन कोरियार, बादल संगा, विपिन टोप्पो, संयज लकड़ा, सहित अन्य मौजूद थे।
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आदिवासियों का प्रमुख पर्व है सरहुल
कांके : सरहुल झारखंड के आदिवासियों का प्रमुख पर्व है। मूलत: यह प्रकृति की आराधना का पर्व है। उक्त बातें पूर्व सासद रामटहल चौधरी ने कही। वे कांके प्रखंड के मारवा में आयोजित सरहुल पूजा के दौरान बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कोरोना वायरस को देखते हुए सरनास्थल पर पाहन, सरना समिति के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मास्क पहनकर एवं सैनिटाइजर का प्रयोग कर पूजा की।
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रातू प्रखंड में निभाई गई औपचारिकता
संसू, रातू : रातू तथा आसपास के सरनास्थलों में पूजा-अर्चना कर सरहुल की औपचारिकता निभाई गई। सभी गावों के सरनास्थल में गाव के पाहन द्वारा पूजा-अर्चना की गई। कोरोना के चलते लगातार दूसरे वर्ष क्षेत्र में सरहुल का जुलूस कहीं नहीं निकाला गया। बड़कटोली अखड़ा में पूजा कर पाहन एसबीएल परिसर स्थित सरना स्थल पहुंचे। यहां पूजा-अर्चना कर मुर्गा की बलि दी गई। पूजा में मात्र पाहन, पईनभोरा, कोटवार शामिल हुए। शुक्त्रवार को फुलखोंसी कार्यक्रम किया जाएगा। मौके पर झखराटाड में मुन्ना पाहन के दिशा निर्देश पर पूजा हुई।
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