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आयुष्मान नर्सिंग होम ने कोरोना मरीज से वसूले ज्‍यादा रुपये, प्रशासन ने किया शोकॉज Ranchi News

Ranchi Jharkhand News सुमित्रा देवी कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थी। जांच के क्रम में मरीज के परिजन द्वारा बताया गया कि डॉक्टर द्वारा पैसे जमा नहीं करने पर इलाज नहीं करने की धमकी भी दी गई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 04:06 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 05:41 PM (IST)
आयुष्मान नर्सिंग होम ने कोरोना मरीज से वसूले ज्‍यादा रुपये, प्रशासन ने किया शोकॉज Ranchi News
Ranchi Jharkhand News पैसे जमा नहीं करने पर इलाज नहीं करने की धमकी भी दी गई थी।

रांची, जासं। Ranchi Jharkhand News कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज के लिए तय मानक से ज्यादा रुपये वसूल किए जाने की शिकायत को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। रांची जिले के उपायुक्त छवि रंजन ने इस संबंध में आयुष्मान नर्सिंग होम अरसंडे, कांके को शोकॉज जारी कर 24 घंटे के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है। बुकरू, कांके की रहने वाली सुमित्रा देवी के इलाज के लिए आयुष्मान नर्सिंग होम पर तय मानक से ज्यादा वसूली करने का आरोप है। सुमित्रा देवी कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थी।

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जांच में सही पाए गए आरोप

शिकायत मिलने के बाद उपायुक्त छवि रंजन के निर्देशानुसार रांची सदर के कार्यपालक दंडाधिकारी ने नर्सिंग होम में जाकर विभिन्न आयामों के अंतर्गत जांच की। इसमें सरकार के स्तर से कोविड-19 के इलाज हेतु निर्गत दर से ₹62,440 अधिक भुगतान की बात सामने आई। जांच के क्रम में मरीज के परिजन द्वारा बताया गया कि डॉक्टर द्वारा पैसे जमा नहीं करने पर इलाज नहीं करने की धमकी भी दी गई थी।

अस्पताल ने लिखवाया प्रशस्ति पत्र

अस्पताल प्रबंधन ने अपने पक्ष में मरीज के परिजन से प्रशस्ति पत्र भी लिखवा लिया कि मरीज की समुचित देखभाल की गई है। जिला प्रशासन द्वारा स्पष्टीकरण से संबंधित पत्र में इसका उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यदि मरीज और परिजन इलाज से संतुष्ट हैं तो इस प्रकार के प्रशस्ति पत्र की आवश्यकता ही नहीं।

24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश

अस्पताल प्रबंधन के इस कृत्य से आमजनों को भारी मानसिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, साथ ही जिला प्रशासन की छवि भी धूमिल होती है। रांची जिला प्रशासन ने अस्पताल प्रबंधन को 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण देने का निर्देश देते हुए कहा है कि क्यों ना DM Act-2005 और CrPC की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की जाए और संस्थान का अनुबंध रद्द करने की अनुशंसा की जाए।


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