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Sawan 2021: इस वर्ष भी कोरोना की भेंट चढ़ गया सावन बाजार, छोटे दुकानदार सबसे ज्यादा निराश

Shravani Mela 2021 Jharkhand News Sawam 2021 अपर बाजार के थोक व्यापारी अजय मलकानी बताते हैं कि वो 1996 से कांवड़ यात्रा का सामान बेच रहे हैं। इसमें कांवड़ से लेकर कपड़ा और जलभरी लोटा भी शामिल है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 04:40 PM (IST)
Sawan 2021: इस वर्ष भी कोरोना की भेंट चढ़ गया सावन बाजार, छोटे दुकानदार सबसे ज्यादा निराश
Shravani Mela 2021, Jharkhand News, Sawam 2021 सावन को लेकर एक दुकान में मिलते केसरिया कपड़े। फाइल फोटो

रांची, जासं। श्रद्धालुओं से लेकर दुकानदार वर्ग तक वर्षभर भगवान शिव का पवित्र महीना सावन मास का इंतजार करते हैं। मगर इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण कांवर यात्रा नहीं होगी। मेला का भी आयोजन नहीं होगा। ऐसे में इस वर्ष भी सावन का बाजार संक्रमण की भेंट चढ़ जाएगा। सावन शुरू होने में एक सप्ताह से कम का वक्त रह गया है। मगर बाजार में हलचल बिल्कुल नहीं दिख रही है। आमतौर पर केसरिया कपड़ों, सुंदर कांवर और पूजा सामग्री से सजा रहने वाला बाजार सुना है। इसका असर बाजार व्यापारियों पर पड़ा है।

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अपर बाजार के थोक व्यापारी अजय मलकानी बताते हैं कि वे 1996 से कांवर यात्रा का सामान बेच रहे हैं। इसमें कांवर से लेकर कपड़ा और जलभरी लोटा भी शामिल है। वो बताते हैं कि अपर बाजार से केवल रांची ही नहीं, बल्कि अनगड़ा, कांके, ओरमांझी, सिल्ली, खूंटी, बुंडू, मांडर, बेड़ो, पतरातू, गोला, तमाड़, मुरहू, खलारी, मुरी सहित कई स्थानों के छोटे बाजारों में माल जाता था। अकेले अपर बाजार में एक महीने में कम से कम दस से पंद्रह करोड़ का थोक काम होता था।

इसके बाद शहर के अलग-अलग हिस्सों में फुटपाथ पर सजने वाली दुकान का अर्थव्यवस्था में अलग से योगदान होता था। मगर दो साल से बड़ा नुकसान हुआ है। हालांकि बड़े व्यापारियों ने अपने इस मौसमी काम को छोड़कर कुछ और शुरू कर दिया है। मगर फुटपाथ पर सावन का दुकान लगाने वाले छोटे दुकानदारों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। डोरंडा में कांवर बनाने का काम करने वाले सुनील गुप्ता बताते हैं कि कांवर बनाने का काम केवल सावन में करते हैं। वैसे फोटो फ्रेम बनाने का काम है।

वे बताते हैं कि पहले चीन से कांवर में सजाने के लिए फूल आदि आता था। अभी दो वर्ष से कोरोना के कारण सब बंद है। सावन में कम से कम एक से दो लाख तक का कांवर बनाकर अलग-अलग जगहों पर सप्लाई देते थे। अभी पिछले वर्ष जो कांवर बनाई गई थी, वह अभी तक गोदामों में पड़ी हुई है। पिछले वर्ष कांवर व अन्य पूजा सामग्री में बेहद नुकसान हुआ था। उसकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है। सोचा था कि इस वर्ष सरकारी आदेश के अनुसार देवघर का बाबा मंदिर और रांची के पहाड़ी मंदिर को खोलने की अनुमति दी जाएगी। मगर कोरोना की संभावित तीसरी लहर के कारण ऐसा हो नहीं सकेगा।


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