Move to Jagran APP

षट्तिला एकादशी 30 को, बालाजी की होगी तुलसी अर्चना

सब पापों का नाश करनेवाली षट्तिला एकादशी का व्रत 30 को होगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 02:10 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 02:10 AM (IST)
षट्तिला एकादशी 30 को, बालाजी की होगी तुलसी अर्चना
षट्तिला एकादशी 30 को, बालाजी की होगी तुलसी अर्चना

जागरण संवाददाता, रांची : सब पापों का नाश करनेवाली षट्तिला एकादशी का व्रत 30 को होगा। इस अवसर पर रातू रोड बालाजी मंदिर में विशेष अनुष्ठान होंगे। बालाजी मंदिर के व्यवस्थापक रंजन सिंह रामानुजदास ने बताया कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला के नाम से जाना जाता है जो सब पापों का नाश करनेवाली है। इस दिन प्रात: काल स्नानआदि से निवृत होकर श्रद्धाभाव से नारायण रूप भगवान बालाजी का पूजा-अर्चना करने से विशेष फल मिलता है। व्रत रखकर बालाजी का चंदन अभिषेक के साथ पुष्प, तुलसी, कुमकुम से अर्चना कराएं। तिल से स्नान, तिल का उबटन, तिल का होम, तिल मिला जल पिये, तिल का दान करें और तिल मिला प्रसाद ग्रहण करें। इस प्रकार छह कामों में तिल का प्रयोग करने के कारण ही यह एकादशी षट्तिला कहलाती है। एकादशी तिथि की उत्पति भगवान श्रीमन्नारायण से हुई है। यह परम पवित्र और पुण्य देनेवाली है। यह भगवान को बहुत प्रिय तिथि है। इसमें श्रीतिरूपति की पूजा, उनका ही दर्शन, प्रणाम, प्रदक्षिणा व दान करना चाहिए। यह छह कर्म सारे पापों व दुखों से मुक्त करने वाली है। कलश है विश्व ब्रह्मांड का प्रतीक

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, रांची : गायत्री प्रज्ञा पीठ धुर्वा बस स्टैंड में रविवार को विराट यज्ञ का भूमिपूजन एवं दिव्य मंगल कलश स्थापना कार्यक्रम हुआ। फरवरी में होने वाले 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं संस्कारोत्सव यज्ञ स्थल का भूमिपूजन वैदिक मंत्रों से विधिवत हुआ। साथ ही साथ गुरुवर श्री तपोनिधि के गायत्री तपोभूमि मथुरा से लाए गए दिव्य मंगल कलश का विराट पूजन संपन्न हुआ। इसे सर्व दर्शन हेतु गायत्री प्रज्ञा पीठ मन्दिर में स्थापित किया गया। इसके पूर्व गायत्री मंत्र का जप एवं 40 दिन महायज्ञ तक महा अनुष्ठान करने वाले को संकल्प कराया गया। उन्होंने कहा कि कलश को विश्व ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है। भारतीय संस्कृति में कलश पूजन का बहुत महत्व है। प्रारंभिक कार्यक्रम में गायत्री मंत्र पाठ, गुरु वंदना एवं प्रज्ञा गीत द्वारा इसकी शुरुआत हुई। कर्मकांड के दौरान भूमि पूजन के महत्व पर बताया गया कि भूमि में बीज ही नहीं, संस्कार भी उपजते हैं। भूमि में अच्छे-बुरे संस्कार ग्रहण करने आत्मसात करने की विलक्षण शक्ति होती है। भूमि पूजन का पुण्य कार्य गायत्री के वरिष्ठ एवं वयो वृद्ध साधक हटिया बिरसा नगर निवासी गंगा नंदन सिंह के करकमलों से किया गया। मंगलकलश स्थापना मुख्य ट्रस्टी मनोज कुमार राय सह अंबिका राय द्वारा हुआ। भूमि पूजन की महत्ता एवं कलश पूजन महिमा का वर्णन भी वरिष्ठ प्रज्ञा पुरोहित सुरेंद्र शर्मा ने किया। श्री सूर्य वैदिक महायज्ञ पर भंडारा का आयोजन

जागरण संवाददाता, रांची : सूर्यांश भारत मिशन ट्रस्ट की ओर से रविवार को काके रोड के सीएमपीडीआइ स्थित दुर्गा मंदिर प्रागण में श्री सूर्य वैदिक महायज्ञ एवं महाभोग भंडारा का आयोजन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चर के बीच हवन यज्ञ किया गया। श्री सूर्य वैदिक महायज्ञ में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। हवन कार्य संपन्न कराने में गायत्री परिवार के आचार्यो की प्रमुख भूमिका रही। यज्ञ के समापन पर महाभंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद पाया। आयोजन की व्यवस्था में ट्रस्ट की सचिव शालिनी साहा और अध्यक्ष जितेंद्र कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.