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दिल्ली के रोहिणी की घटना के बाद झारखंड के अदालतों की भी सुरक्षा बढ़ी

Rohini Court Shootout Jharkhand News धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड के बाद से ही अदालतों की सुरक्षा कड़ी करने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि वकीलों को अभी भी बिना सुरक्षा जांच के ही भीतर जाने दिया जा रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 12:59 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 01:03 PM (IST)
दिल्ली के रोहिणी की घटना के बाद झारखंड के अदालतों की भी सुरक्षा बढ़ी
Rohini Court Shootout, Jharkhand News अदालतों की सुरक्षा कड़ी करने की प्रक्रिया चल रही है।

रांची, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में सरेआम घुसकर अपराधी द्व्रारा हत्या कर दिए जाने की घटना के बाद झारखंड में भी अदालतों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हालांकि धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या के बाद से ही राज्य में न्यायालयों की सुरक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इस मामले में सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने भी सरकार को कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य भर की अदालतों में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ी हुई है।

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जज उत्तम आनंद की हत्या के बाद एसएसपी, कोतवाली एएसपी, कोतवाली इंस्पेक्टर आदि ने अदालत की सुरक्षा का आडिट किया था। इसके बाद सुरक्षा बढ़ाने पर सहमति बनी थी। रांची के डेली मार्केट थाने में तैनात इंस्पेक्टर राजेश सिन्हा को एक दिन पहले ही कोर्ट प्रभारी बनाया गया है। स्थानीय थाने की गश्ती पार्टी भी कोर्ट के आसपास ही रहती है। अन्य जिलों की अदालतों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है

वकीलों को बिना जांच जाने दिया जा रहा अंदर

हालांकि दिल्ली की घटना के एक दिन बाद भी रांची समेत तमाम कोर्ट में जांच की व्यवस्था फुलप्रूफ नजर नहीं आई। वकीलों को अभी भी बिना जांच के प्रवेश दिया जा रहा है। वकीलों की गाड़‍ियां बिना चेक हुए ही आ-जा रही है।

सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद भी बढ़ी थी सतर्कता

हजारीबाग कोर्ट परिसर में दो जून 2015 को गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव व दो अन्य कैदियों की एके-47 से गोली मारकर हत्या के बाद से ही राज्य की सभी अदालतों की सुरक्षा कड़ी की गई थी। उसके बाद सभी अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद के साथ-साथ अदालत के सभी प्रवेश व निकासी द्वार पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। अदालत की चारदीवारी भी ऊंची की गई थी। प्रवेश द्वार पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) लगाए गए थे। अब अदालत में डीएफएमडी नहीं दिखते। सीसीटीवी कैमरे की क्षमता भी पर्याप्त नहीं है। इस पर हाई कोर्ट कई बार सरकार व अफसरों को सख्त हिदायत दे चुका है।

उच्च गुणवत्ता के सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत

इसी माह हाई कोर्ट ने अदालतों की सुरक्षा पर सरकार से जवाब-तलब किया था। यह भी पूछा गया था कि अदालतों की सुरक्षा के लिए पुलिस का अलग कैडर कब तक बन जाएगा। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया है कि राज्य के 20 जिला और चार अनुमंडल न्यायालय में सीसीटीवी लगा दिए गए हैं। अन्य अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया जारी है। हाई कोर्ट ने अधिकारियों से कहा है कि अदालतों में उच्च गुणवत्ता के सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। जैप आइटी को सीसीटीवी कैमरा लगाने की जिम्मेदारी मिली है, जिसे शीघ्र डीपीआर तैयार करने का आदेश हुआ है।


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