Weekly News Roundup Ranchi: मंत्री जी की चाय पीकर कूल हैं सचिव महोदय
Weekly News Roundup. मास्टर साहब लेकर अधिकारी तक अपना दामन बचाने के लिए मंत्री जी से रिश्ता जोडऩे में लगे हैं।
रांची, [प्रणय कुमार सिंह]। नई सरकार बनने के बाद हर विभाग की तरह शिक्षा विभाग में भी हलचल तेज है। मास्टर साहब लेकर अधिकारी तक अपना दामन बचाने के लिए मंत्री जी से रिश्ता जोडऩे में लगे हैं। मां सरस्वती की पूजा भी संपन्न हो गई है। स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई में तेजी आ रही है। रिजल्ट जो अच्छा लाना है। कोचिंग संस्थानों में बच्चे समय बीता रहे हैं। आइए जानते हैं क्या रही शिक्षा के क्षेत्र में सप्ताहभर की हलचल...
मां सरस्वती करेंगी बेड़ा पार
सरस्वती पूजा खत्म हुई। दो दिनों से मां सरस्वती की चरणों में रखी किताब-कॉपी फिर से स्टडी टेबल पर पहुंच गई है। मां का आशीर्वाद मिल गया, अब शिक्षकों सेआशीर्वाद लेने की बारी है। परीक्षा सिर पर है। मां का आसरा है। मोरहाबादी स्थित रांची यूनिवर्सिटी के हर हॉस्टल में बड़ी धूमधाम से पूजा होती है। पिछले दस दिन पूजा की व्यवस्था में ही निकल गए। पहले चंदा। कहीं प्यार से, कहीं बलजोरी से।
फिर पूजा, प्रसाद, डीजे डांस, विसर्जन...इन सब में समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। अब सभी रिविजन में लग गए हैं। टाइम मैनेजमेंट इस तरह करने लगे हैं कि देर रात कमरे की लाइट जलती रहती है और अहले सुबह भी देख लें तो कंबल के भीतर ही हाथ में नोट्स लिए पढ़ाई जारी रहती है। जिस तरह ग्रुप बनाकर पूजा और मौज-मस्ती की, अब स्टडी के लिए भी ऐसे ही ग्रुप बन गए हैं।
चर्चा में मंत्री जी की चाय
मास्टर साहब हों या बड़े अधिकारी, सभी नई सरकार के नए मंत्री जी से रिश्ता जोडऩे में लगे हैं। मंत्री जी वर्षों तक विधायक रहे हैं। जब विधायक थे तो उस समय भी तेवर कम नहीं थे, अब तो मंत्री ही बन गए हैं। सभी उनके विधायक वाले तेवर याद करके ही परेशान हैं कि कब किस पर डंडा चल जाए, पता नहीं। डंडा अनुशासन वाला। हालांकि वे जनहित में हर तरह का डंडा चलाने में उस्ताद रहे हैं।
धरती से जुड़े हैं। दबंग छवि के हैं। ऐसे में कई पुरानी जान-पहचान याद करने की कोशिश में लगे हैं। वैसे इन सबके बीच नामकुम में शिक्षा वाले एक कार्यालय के सचिव महोदय खुश हैं। मंत्री जी से जब वे मिलने गए, तो भीड़ के बीच उन्हें पहचान लिया और चाय भी पिलाई। कहते हैं सचिव महोदय बोकारो में थे तो उस समय मंत्री जी से जान-पहचान थी। इसके बाद से सचिव महोदय कूल हैं।
माल अंदर, सर्दी छूमंतर
रांची विश्वविद्यालय में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खूब खेल चल रहा है। सब सेटिंग में लगे हैं। कुछ महीने पहले लड़ाई-झगड़ा हुआ, तो बॉस ने कई कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया। अधिकतर कर्मी मुख्यालय से सीधे विभागों में भेजे गए थे। लेकिन विभाग में तो मुख्यालय वाला न अकड़ दिखाने का मौका मिलता था और न ही पॉकेट गर्म होती थी। सर्दी का सितम अलग है। गरमाहट की आस में सभी वापस अपनी पुरानी जगह लौटने की जुगत में लग गए।
धीरे-धीरे इसमें कुछ को कामयाबी भी मिल गई। यह सब कुछ बॉस की मर्जी के बिना संभव नहीं है। चर्चा हो रही कि बॉस को जब सर्दी-गर्मी से कुछ लेना-देना नहीं है, तो फिर इन सभी को वापस क्यों मुख्यालय ला रहे हैं। कौन-सा और कहां का दबाव काम कर रहा है। मुख्यालय में नए कर्मचारी जब आए थे तो बिना चढ़ावा लोगों का अच्छा-भला काम हो रहा था।
साहब हो गए हैं रेस
शिक्षा विभाग के दो अधिकारी रेस हो गए हैं। आगे निकलने की होड़ है। जब भी मौका मिलता है छात्रों-शिक्षकों के बीच न सिर्फ पहुंच रहे हैं, बल्कि अपना कीमती समय भी दे रहे हैं। कोशिश रहती है कि फील्ड में नजर आएं या कार्यालय में ही हैं तो दिखे कि काम तेजी से हो रहा है। कुछ दिन पहले डायरेक्टर साहब ने राज्यस्तरीय प्रदर्शनी में बच्चों के साथ घंटों समय बिताया।
फिर इंजीनियरिंग में प्रवेश वाला रिजल्ट आया तो तुरंत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कोचिंग संस्थान में पहुंच गए। बच्चों का उत्साह बढ़ाया। साथ फोटो सेशन हुआ। सब ठीक-ठाक। यह सब देख दूसरे साहब भी पीछे रहने वाले कहां थे। उन्होंने फरमान जारी कर दिया कि परीक्षा समाप्त होने के बाद बच्चों को स्वादिष्ट व विशिष्ट भोजन कराएं। अब कोई यह न पूछे कि भोजन कितना स्वादिष्ट और विशिष्ट था। यह राज तो सिर्फ बच्चे ही जानते हैं।