कमीशन के फेर में रिम्स में खरीदे बजट से चार गुना अधिक के उपकरण
महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार रिम्स डेंटल कॉलेज में मशीन-उपकरणों की खरीद के लिए 9.29 करोड़ रुपए का ही प्रस्ताव था जिसपर शासी परिषद से स्वीकृति ली गई थी लेकिन रिम्स के तत्कालीन निदेशक ने 28.44 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट तैयार कर भेज दिया।
राज्य ब्यूरो, राची : रिम्स डेंटल कॉलेज में मशीन-उपकरणों की खरीद में हुए घोटाले में एक से एक चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। कमीशन के फेर में रिम्स के तत्कालीन अफसरों ने वित्तीय नियमों को धता बताते हुए मशीन-उपकरण खरीदे। अब यह बात भी सामने आ रही है कि रिम्स डेंटल कॉलेज में स्वीकृत प्रस्ताव तथा अनुमानित बजट से कई गुना अधिक के मशीन-उपकरण खरीद लिए गए।
महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार रिम्स डेंटल कॉलेज में मशीन-उपकरणों की खरीद के लिए 9.29 करोड़ रुपए का ही प्रस्ताव था, जिसपर शासी परिषद से स्वीकृति ली गई थी, लेकिन रिम्स के तत्कालीन निदेशक ने 28.44 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट तैयार कर भेज दिया। इतना ही नहीं, मशीन एवं उपकरण कुल 37.42 करोड़ रुपये के खरीद लिए गए। इस तरह शासी परिषद से स्वीकृत प्रस्ताव से चार गुना तथा अनुमानित बजट से 32 फीसद अधिक राशि के मशीन और उपकरण खरीदे गए। सबसे बड़ी बात यह है कि बड़ी संख्या में मशीन और उपकरण बिना जरूरत के ही खरीद लिए गए। महालेखाकार की जाच टीम ने निरीक्षण में पाया कि उनमें से अधिसंख्य मशीनें और उपकरण डिब्बों में बंद वैसे ही पड़े थे जैसे आपूíत होकर रिम्स पहुंचे थे।
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स्वास्थ्य विभाग भी रहा लापरवाह
रिम्स में हो रहे गड़बड़झाला को रोकने में स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह रहा। महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार रिम्स ने मशीन उपकरणों की खरीद के लिए कोई विस्तृत प्लान ही तैयार नहीं किया था। न ही मशीन उपकरणों की जरूरत का कोई संस्थागत अध्ययन कराया। सिर्फ तदर्थ आधार पर बजट तैयार कर लिया गया। दरअसल रिम्स अपने सभी विभागों के विकास के लिए एक वार्षिक बजट तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को भेज देता है। विभाग भी बिना कोई समन्वय या पत्राचार के उसपर स्वीकृति दे देता है और एक निर्धारित राशि ग्राट मद में रिम्स को आवंटित कर देता है।
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केस-1
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के नार्म्स के तहत 123 बेसिक डेंटल चेयर की जरूरत थी, लेकिन अफसरों ने ऐसे कुल 135 बेसिक डेंटल चेयर खरीद डाले। इससे 1.71 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए।
केस-2
20 अल्ट्रासोनिक स्केलर्स 2.29 लाख रुपये की दर से अधिक खरीदे गए। इसी तरह 25 लाइट केयर यूनिट उपकरणों की अधिक खरीद हुई, जिससे 47.65 लाख रुपये अतिरिक्त खर्च हुआ।
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