सीयूजे में कर्मियों की नियुक्ति में भी घोटाला, प्रति कुलपति का इस्तीफा
नियमों को ताक पर रखकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की भी नियुक्ति की गई है।
जागरण संवाददाता, रांची। केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड में नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों की ही नहीं बड़ी संख्या में शिक्षकेतर कर्मचारियों की भी नियुक्ति की गई है। पूर्व कुलपति डीटी खटिंग ने जाते-जाते अपनी सुविधा के लिहाज से कर्मचारियों की नियुक्ति की। मौजूदा कुलपति के द्वारा की गई जांच के आंकड़ों की मानें तो 30 से भी अधिक शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति में भारी घोटाला हुआ है।
पूर्व कुलपति डीटी खटिंग ने विश्वविद्यालय में अपने अंतिम दिनों में जमकर नियमों का उल्लंघन किया। केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से इन सभी कर्मचारियों और शिक्षकों की नियुक्ति की फाइल सीबीआइ को सौंपी जाएगी। दरअसल, 1 मार्च 2009 से लेकर 31 दिसंबर तक डीटी खटिंग का कार्यकाल रहा। दो महीने का उन्हें एक्सटेंशन भी मिला था। 28 फरवरी 2010 तक एक्सटेंशन पर रहे।
आंकड़ों की मानें तो सबसे अधिक नियुक्ति इसी अवधि के दौरान हुई। पूर्व कुलपति ने अपने नजदीकियों को सीयूजे में भर्ती किया। उन्होंने अनुबंध पर आधारित कर्मचारियों की भी नियुक्ति चुपके से कर दी। सीयूजे के नए कैंपस के निर्माण में भारी घोटाला का मामला तो उनके जाने के साथ ही सामने आ गया था, लेकिन नियुक्ति घोटाले की परतें अब खुलनी शुरू हुई हैं।
16 से अधिक शिक्षकों और 30 से अधिक शिक्षकेतर कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई
शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को मिलाकर कुल 46 लोगों की नियुक्ति जांच के घेरे में है। सीबीआइ जांच के बाद कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। आने वाले दिनों में इन पदों पर फिर से नए सिरे से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कुलपति नंद कुमार यादव के अनुसार सीबीआइ की जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के प्रति कुलपति ने दिया इस्तीफा
केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के प्रति कुलपति विजय कांत दास ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया गया। दास ने इस्तीफे के पीछे पारिवारिक कारण बताया है। परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है।
उन्होंने 8 महीने पहले ही कार्यभार संभाला था। प्रोफेसर विजय कांत मुंगेर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई भागलपुर से की है। भागलपुर विश्र्वविद्यालय में इंग्लिश शिक्षक के तौर पर उन्होंने योगदान भी दिया था। अचानक उनके इस्तीफे का फैसला सीयूजे में चर्चा का विषय बना रहा। इस्तीफे के साथ ही वे भागलपुर के लिए रवाना हो गए।
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