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सावन का आखिरी सोमवार आज, अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्म योग में करें महादेव की पूजा; पूरी होगी सभी मनोकामना

सावन की आखिरी सोमवारी की धूम शहर में देखने को मिल रही है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकारी आदेश के तहत शहर के बड़े शिव मंदिर बंद हैं। हालांकि छोटे शिव मंदिरों में सुबह पांच बजे से ही पहुंचने लगे हैं।

By Vikram GiriEdited By: Published: Mon, 16 Aug 2021 07:15 AM (IST)Updated: Mon, 16 Aug 2021 07:15 AM (IST)
सावन का आखिरी सोमवार आज, अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्म योग में करें महादेव की पूजा; पूरी होगी सभी मनोकामना
सावन का आखिरी सोमवार आज, अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्म योग में करें महादेव की पूजा। जागरण

रांची, जासं । सावन की आखिरी सोमवारी की धूम शहर में देखने को मिल रही है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकारी आदेश के तहत शहर के बड़े शिव मंदिर बंद हैं। हालांकि छोटे शिव मंदिरों में सुबह पांच बजे से ही पहुंचने लगे हैं। पिछले एक सप्ताह में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अपने घरों पर ही भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पं अजित मिश्रा बताते हैं कि शिव पुराण के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव धरती लोक में होते हैं। इसलिए भगवान को प्रसन्न करने का इससे बेहतर महीना कोई नहीं है।

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ज्योतिषाचार्य पं अजित मिश्रा बताते हैं कि सावन के आखिरी सोमवार को अनुराधा नक्षत्र और देवता मित्र नामक आदित्य योग के अलावा ब्रह्म योग का विशेष संयोग है। इसे 12 आदित्यों में एक माना गया है। अनुराधा नक्षत्र में अगर भगवान शिव की पूजा की जाए तो उससे रोग, दोष और सभी दुख दूर होते हैं। ऐसे मान्यता है कि अगर पूरे सावन शिव को जल अर्पण नहीं किया या सोमवार का व्रत नहीं रखा है, तो सावन के आखिरी सोमवार को शिव की पूरे मन से पूजा करने से पूरे माह के शिव भक्ति का फल प्राप्त होता है। शिव पुराण के अनुसार अनुराधा नक्षत्र में भगवान शिव का दुध में शहद मिलाकर पीपल के पत्ते से धीरे-धीरे अभिषेक करना चाहिए। आज ये शुभ संयोग पूरे दिन रहेगा।

इन सामग्रियों से करें महादेव की पूजाः

ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए केवल एक लोटा जल ही काफी। भगवान बहुत जल्दी संतुष्ट और प्रसन्न हो जाते हैं। हालांकि शास्त्रों में भगवान की पूजा के लिए विभिन्न फूल और फल आदि के समर्पण का विधान है। भगावन शिव की पूजा में पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि का विधान है।

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04.19 सुबह से 05.01सुबह

अभिजित मुहूर्त- 11.59 सुबह से 12.51 दोपहर

विजय मुहूर्त- 02.42दोपहर से 03.36 शाम

गोधूलि मुहूर्त- 06.58 शाम से 07.22शाम

अमृत काल- 08.00 रात से 09:49 रात

राहु काल- 07.32 सुबह से 09.09 सुबह


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