सरयू राय पर सबकी निगाहें, अपने दल से किसे पहुंचाएंगे नफा-नुकसान; पढ़ें यह खास खबर
Jharkhand Political News झारखंड की राजनीति में सरयू राय की अनदेखी नहीं की जा सकती। भाजपा से मोहभंग के बाद अब उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय जनतंत्र मोर्चा को निर्वाचन आयोग में पंजीकृत करा लिया है। इसके जरिए उनकी राजनीतिक सक्रियता राज्य में भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती है।
रांची, [प्रदीप सिंह]। लंबे अरसे तक भाजपा संग जुड़कर राजनीतिक सफर तय करने वाले सरयू राय अब अपनी राजनीतिक पार्टी को विस्तार देने की तैयारी में हैं। 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव के दरम्यान इन्हें टिकट नहीं मिला तो बतौर निर्दलीय प्रत्याशी तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय किया। उनके अप्रत्याशित फैसले ने उस वक्त भाजपा सहित तमाम राजनीतिक दलों को चौंकाया था। चुनाव में इन्हें कई दलों व राजनेताओं का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन मिला। सरयू राय ने जीत हासिल की।
भाजपा के हाथ से झारखंड की सत्ता फिसल गई। हालांकि यह अटकलें भी लगाई जाती रही कि वे भाजपा में लौट सकते हैं, लेकिन नए दल का पंजीकरण कराकर उन्होंने यह संकेत दे दिया है कि उनकी राजनीतिक राह अलग होगी। वे भारतीय जनतंत्र मोर्चा का संगठनात्मक विस्तार करेंगे। एक सप्ताह के भीतर जिलाध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। सरयू राय का असर भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं पर ज्यादा है।
इसलिए संभावना जताई जा रही है कि वे उन भाजपाइयों को अपने साथ ला सकते हैं जो हाल के दिनों में हाशिये पर चले गए हैं। विधानसभा चुनाव हारने के बाद तीन विधानसभा उपचुनावों में भी भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। सत्ता से बाहर रहने की वजह से संगठन में थोड़ा बिखराव भी है। इसका फायदा भारतीय जनतंत्र मोर्चा को मिल सकता है। भाजपा के इतर अन्य दलों के लोग भी सरयू राय से जुड़ सकते हैं।
भ्रष्टाचार उजागर कर बनाई पहचान
सरयू राय की पहचान भ्रष्टाचार को उजागर कर लोगों के समक्ष लाने वाले नेता की है। कुख्यात चारा घोटाले का उन्होंने पर्दाफाश किया था। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कार्यकाल में हुए घोटालों की भी उन्होंने परतें खोली। उनकी खासियत यह है कि वे किसी को बख्शते नहीं हैं। उन्होंने झारखंड में लौह अयस्क खदानों के गलत आवंटन को लेकर भी मुहिम चला रखा है।
राजनीति से इतर वे पर्यावरण हित के प्रबल पैरोकार हैं। उनके प्रयास से औद्योगिक प्रदूषण का शिकार दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने में सफलता मिली। वे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के काफी करीबी हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बेहतर ताल्लुक हैं। वे अक्सर बातचीत में जिक्र करते हैं- किसी को खुश रखना उनके जीवन का उद्देश्य नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत अभियान उनका मिशन है।