मूर्तिकारों की रोजी-रोटी पर छाए संकट के बादल, कोरोना के कारण सार्वजनिक पूजा से बच रहे लोग
Koderma News पहले बसंत पंचमी से 20 दिन पहले से मूर्तियों की बुकिंग होने लगती थी। साथ ही कुछ लोग आर्डर देकर अपने अनुसार मूर्ति बनवाते थे। उन्होंने निराशा जताते हुए कहा कि कोरोना के कारण सभी पर्व-त्योहार बहुत छोटे रूप में मनाए जा रहे हैं।
कोडरमा, जागरण संवाददाता। कोरोना की तीसरी लहर मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे मूर्तिकारों की कमाई पर ग्रहण बनकर आई। राज्य में काेरोना के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं। ऐसे में धार्मिक आयोजनों पर भी पाबंदी से मूर्ति की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। जिले में मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे मूर्तिकारों का कहना है कि पिछले दो सालों में कोरोना के कारण बेहद कम कमाई हुई है।
सरस्वती पूजा पर कोरोना का साया
पहले बसंत पंचमी से 20 दिन पहले से मूर्तियों की बुकिंग होने लगती थी। साथ ही कुछ लोग आर्डर देकर अपने अनुसार मूर्ति बनवाते थे। उन्होंने निराशा जताते हुए कहा कि कोरोना के कारण सभी पर्व-त्योहार बहुत छोटे रूप में मनाए जा रहे हैं। साथ ही जगह-जगह होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों की संख्या में भी बेहद कमी आई है। उन्होंने बताया कि वे छोटी-छोटी प्रतिमाएं बना कर कम मूल्य में ही बेच रहे हैं। इसके बाद भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मूर्तिकारों के चेहरे पर छाई मायूसीमूर्तिकार राजू पंडित, राजेश पंडित, दीपक पंडित, अजय मूर्तिकार ने बताया कि साल भर सिर्फ मूर्ति बनाने का काम करते हैं।
मूर्तिकारों के लिए मुसीबत बनी कोरोना
कोरोना के आने से पहले उनकी अच्छी कमाई हो जाती थी। अब परिवार का पेट पालने के लिए काम खोजना पड़ रहा है। इस बार भी मां सरस्वती की प्रतिमा की बिक्री कम रहने की संभावना है। राजू ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए उसने छोटी मूर्तियां ही बनाई हैं। दो से पांच फीट की मूर्तियों की कीमत एक हजार से चार हजार रुपये तक है। इसके बाद भी खरीदार नहीं आ रहे हैं। वहीं मूर्तिकार राजेश पंडित ने बताया कि गत वर्ष की अपेक्षा सामग्रियों की कीमत में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके बाद भी प्रतिमाओं के रेट वही हैं। हर साल करीब दो सौ प्रतिमा बनाते थे। इस बार 150 से भी कम प्रतिमाएं बनाई हैं। उसमें भी केवल 40 की बुकिंग हुई है। स्कूल कालेज बंद होने से नहीं लग रहा कि ज्यादा बुकिंग होगी। उन्हें परिवार के पालन-पोषण की चिंता अभी से सताने लगी है। मूर्तियां बन रही, नहीं पहुंच रहे खरीदारमूर्तियां बनाने के लिए कोलकाता से मिट्टी व रंग लाया जाता है। इस समय मूर्ति बनाने के सभी सामानों की कीमत में वृद्धि हो गई है। मूर्तिकारों के पास खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं। जो लोग पहुंच रहे हैं वे भी छोटी मूर्ति ही खरीद रहे हैं। इस बार उन्हें काफी नुकसान होने की चिंता सता रही है।