संस्कार से सफलता की राह होती है आसान
बच्चों में संस्कार डालने की जरूरत है। जागरण संवाददाता, रांची : संस्कार वह चीज है जो इंसान को कभी अपने पथ से भटकने नहीं दे
जागरण संवाददाता, रांची : संस्कार वह चीज है जो इंसान को कभी अपने पथ से भटकने नहीं देगा। साथ ही संस्कारवान व्यक्ति भटके हुए लोगों को भी उचित मार्गदर्शन कर सही रास्ते पर ला सकते हैं। संस्कार के बिना जीवन का मूल उद्देश्य समझना कठिन है। हमें अपने जीवन का उद्देश्य समझने के लिए सबसे पहले खुद को जानना जरूरी है, हम क्या हैं, क्यों और किस काम के लिए पैदा हुए हैं। जिस दिन हम खुद के बारे में जान जाएंगे उस दिन से हमारे कर्तव्य का मार्ग खुद प्रशस्त होता चला जाएगा। हमारा समाज संस्कारी हो, समाज में मान-सम्मान, आदर, अपनापन, व्यवहार, शालीनता की नीव मजबूत हो। हमारे बच्चे पूर्ण संस्कारी होकर परिवार, समाज व देश का मान सम्मान बढ़ाए, इसी उद्देश्य से दैनिक जागरण संस्कारशाला अभियान के माध्यम से पिछले कई वर्षो से हमारे समाज के बच्चों में संस्कार का बीज बोने का काम कर रहा है। यह बातें मोटिवेशनल स्पीकर व लेखन मिलन सिन्हा ने कही। बुधवार को आदर्श विद्या मंदिर तिरिल कोकर में दैनिक जागरण के संस्कारशाला अभियान के तहत आयोजित स्टोरी टेलिंग कार्यक्रम में वह बोल रहे थे। उन्होंने कहानी के माध्यम से बच्चों को संस्कार की मूल बातें समझाया। कहा, संस्कार से ही हमारा पहचान बनता है। हम कहीं भी जाते हैं तो सबसे पहले पहनावा, बोलचाल, स्वभाव और शिष्टाचार से हमारे व्यक्तित्व को परखा जाता है। इसके लिए बचपन से ही बच्चों में संस्कार की जड़ मजबूत होनी चाहिए। उन्होनें जीवन में संस्कार की महत्व को बताते हुए कहा की हमें असफलता से कभी नहीं डरना चाहिए। संस्कार वो सच्चाई है जो हमें आत्म विश्वास से भर देता है। हमें अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार बनाता है। संस्कार के बल पर हमारा जीवन सफल हो पाता है। संस्कार हमारे अंदर नकारात्मक विचारधारा पैदा नहीं होने देती है।
प्राचार्य मनोज कुमार ने कहा की आज के दौर में संस्कार को दरकिनार करने की स्थिति पैदा हो गई है। हमारे समाज के बच्चे तभी पूर्ण संस्कारित होंगे जब हमारे समाज के बुजुर्ग बच्चों को संस्कार की राह में मार्गदर्शन करेंगे। बच्चों को हमेशा सही और गलत के बारे में मार्गदर्शन की जरुरत है। प्रतिक्रिया-
बच्चे गिली मिट्टी के समान होते हैं। उसे जिस सांचे में ढाला जाए आसानी से ढल जाते हैं। इसलिए बच्चों को बचपन से ही अच्छी-अच्छी आदतें सिखाना चाहिए। हमारे बच्चे संस्कारी हो इसके लिए माता पिता, समाज व शिक्षकों को पहल करनी चाहिए।
- मनोज कुमार, प्राचार्य। हमारे समाज में संस्कार की नीव मजबूत हो, इस दिशा में जागरण बेहतर पहल कर रहा है। आज हमारे समाज से संस्कार का स्तर गिरता जा रहा है। जिसका असर बच्चों पर रहा है। हम सबको बच्चों को सही दिशा देने के लिए आगे आने की जरूरत है।
- मनीष निशाद, उप प्राचार्य। जीवन में शिक्षा के साथ संस्कार का समावेश बहुत जरुरी है। आज के एकल परिवार के कारण बच्चों में संस्कार का स्तर गिरता जा रहा है। माता पिता को बच्चों के साथ भरपूर समय बिताकर उन्हें संस्कार के महत्व के बारे में बताना चाहिए।
- अखौरी परवेश कुमार, शिक्षक। आज के भागमभाग भरी जीवन में माता-पिता दोनों कामकाजी हो चुके हैं। एकल परिवार के कारण बच्चों को अब दादा-दादी से कहानी के माध्यम से संस्कार की बातें सिखने को नहंी मिल रही है। हमारे बच्चे संस्कारी हो इस दिशा में जागरण बेहतर काम कर रहा है।
- निहारिका गुप्ता, शिक्षिका। हमें अपने से बड़े को हमेशा आदर व सम्मान देना चाहिए। माता पिता की बातों को हमेशा पालन करना चाहिए। कहानी सुनकर बहुत अच्छा लगा।
- शिला कुमारी। संस्कार के बदौलत हमें अपने समाज में अलग पहचान बनानी है। कभी भी गुस्सा नहीं करना है। किसी के साथ भी बुरा व्यवहार नहीं करना है।
- प्रिया कुमारी। हमें अपने माता-पिता व गुरुजनों की हमेशा सम्मान करना है। कोई भी ऐसा काम नहीं करना है जिससे दूसरों को तकलीफ हो।
- मौसम कुमारी। हमें अपने से बड़े से अच्छी-अच्छी आदत सीखना चाहिए। कभी भी बुरी संगत में नहीं जाना है। संस्कारवान होकर खुद को कामयाब करना है।
- अभिषेक कुमार।