आठ शिक्षकों के वेतन पर रोक से 248 का वेतन रुका
आठ शिक्षकों के वेतन पर रोक लगने से रांची जिले के मध्य विद्यालय से 248 शिक्षकों के वेतन पर रोक लग गई है।
जागरण संवाददाता, रांची : आठ शिक्षकों के वेतन पर रोक लगने से रांची जिले के मध्य विद्यालय से लेकर प्लस टू स्कूल के 248 शिक्षकों का दो माह का वेतन रुक गया है। दरअसल कोरोना महामारी में संक्रमितों की सेवा से लेकर आम लोगों को कम से कम परेशानी हो, इस बात का ध्यान रखते हुए जिला प्रशासन ने विभिन्न स्थलों पर शिक्षकों की ड्यूटी लगाई। गलती यह हुई कि कुछ शिक्षकों को एक की जगह दो-तीन स्थलों पर ड्यूटी लगा दी गई। कई शिक्षक ड्यूटी के दौरान कोरोना पॉजिटिव हो गए। उन्होंने इसकी सूचना वरीय पदाधिकारी को भी दी। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से इन शिक्षकों को शोकॉज जारी करते हुए वेतन पर रोक लगा दी गई। गौरतलब है कि मुख्य सचिव की ओर से 10 मई को एक पत्र जारी हुआ है उसमें कहा गया है सभी विभाग अपने कर्मियों को बकाया वेतन 25 मई तक जारी कर दें। इस कारण सभी का रूका है वेतन
14 स्कूलों की डीडीओ (ड्राइंग एंड डिसबर्समेंट ऑफिसर) मारवाड़ी स्कूल की प्राचार्या हैं। इन स्कूलों में हाई स्कूल के 155 और प्लस टू के 81 शिक्षक हैं। इन सभी का बिल एक ही साथ बनता है। हाई स्कूल पिस्का में 9 शिक्षक हैं। डीडीओ इसी स्कूल के प्राचार्य हैं। इन सभी स्कूलों के पांच ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें शोकॉज हुआ है। इसके अलावा मवि बारीडी ओरमांझी से धर्मेद्र प्रसाद, मवि पालू, ओरमांझी से पंचित बेदिया और रातू से एक शिक्षक जयप्रकाश प्रसाद हैं। इन सभी को भी 10 मई को शोकॉज करते हुए वेतन पर रोक लगा दी गई। स्कूल ने 9 मई को डीइओ कार्यालय को और यहां से 11 मई को ट्रेजरी में वेतन भुगतान का बिल चला गया। इधर ट्रेजरी में उपायुक्त कार्यालय से भी वेतन पर रोक लगाने का आदेश वाला पत्र आ गया था। ऐसे में वेतन रोक दिया गया। तीन जगह लगाई गई ड्यूटी
शिक्षक पंचित बेदिया की ड्यूटी 19 अप्रैल को डोरंडा आयुष कार्यालय में बेड मैनेजमेंट सेल में लगाई गई। इसके बाद 24 अप्रैल को एक आदेश जारी कर उन्हें मेडिकल स्टोर में मजिस्ट्रेट की ड्यू्टी दी गई। पंचित बेदिया ने आयुष कार्यालय को बताया कि उनका नाम दो अलग-अलग जगह ड्यूटी में है। वहां के पदाधिकारी ने कहा कि आप मेडिकल स्टोर की ड्यूटी में चले जाएं। इसके बाद 30 अप्रैल को एक और आदेश जारी हुआ इसमें पंचित बेदिया को सदर अस्पताल में कोविड सेंटर में ड्यूटी लगाई गई। इसपर उन्होंने जिला प्रशासन के गोपनीय शाखा में लिखित आवेदन दिया कि वे पहले से ड्यूटी कर रहे हैं। इसके बावजूद 10 मई को शोकॉज कर वेतन रोक दिया गया। धर्मेंद्र प्रसाद की भी दो जगह ड्यूटी लगा दी गई।