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आत्मनिर्भर भारत के तहत सेल ने विकसित की निकल-क्रोमियम-कॉपर ग्रेड रेल की वेल्डिंग तकनीक

Jharkhand News SAIL News भारतीय रेलवे की सर्टिफाइंग एजेंसी रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनामिक सर्विस लिमिटेड (राइट्स) ने भिलाई स्टील प्लांट में 260 मीटर रेल के उत्पादन के लिए निकल-क्रोमियम-कापर ग्रेड के ऑनलाइन वेल्डिंग प्रक्रिया को मंजूरी दी है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 09:31 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:43 AM (IST)
आत्मनिर्भर भारत के तहत सेल ने विकसित की निकल-क्रोमियम-कॉपर ग्रेड रेल की वेल्डिंग तकनीक
आत्मनिर्भर भारत के तहत सेल ने विकसित की निकल-क्रोमियम-कॉपर ग्रेड रेल की वेल्डिंग तकनीक। जागरण

रांची, जासं। भारतीय रेलवे की सर्टिफाइंग एजेंसी रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनामिक सर्विस लिमिटेड (राइट्स) ने भिलाई स्टील प्लांट में 260 मीटर रेल के उत्पादन के लिए निकल-क्रोमियम-कापर ग्रेड के ऑनलाइन वेल्डिंग प्रक्रिया को मंजूरी दी है। इस अनूठी वेल्डिंग और पोस्ट वेल्ड प्रौद्योगिकी प्रणाली का विकास बीएसपी और आरडीसीआईएस, सेल, रांची द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इस वेल्डिंग तकनीक को राइट्स द्वारा मंजूरी मिलने से पहले कई चरणों में कड़ी गुणवत्ता जांच गुजारा गया है।

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आरडीसीआईएस और बीएसपी, भिलाई के टीम प्रयास पर बधाई और सराहना देते हुए सेल के आरडीसीआईएस एन.बनर्जी, ने कहा कि गर्मी प्रभावित क्षेत्र में कठोरता और सूक्ष्म संरचना की चुनौती को सरलता और अनुसंधान दोनों के साथ दूर किया गया था। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए सीजीएम (रोलिंग टेक्नोलाजी) डीके जैन, डीजीएम एस कुमार और पूरी टीम को धन्यवाद दिया। वहीं भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक, ए दासगुप्ता ने बीएसपी और आरडीसीआईएस इंजीनियरों की टीम को बधाई देते हुए कहा था कि सेल के लिए यह एक गर्व का क्षण है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि आने वाले समय में कई और नए रेल ग्रेड उत्पादित होंगे जो विश्व में सेल की साख रखेगा।

क्या होगा फायदा

भारत में ट्रेन को हर मौसम और देश के अलग-अलग मौसम से गुजरना पड़ता है। इसके साथ ही देश में पटरियों का एक बड़ा और विशाल नेटवर्क है। समुद्री इलाकों में हवा में नमक और केमिकल की वजह से ट्रेन के बोगी और पटरियों के ज्वाइंट पर की जाने वाली वेल्डिंग को खुलने की संभावना रहती है। इसपर जंग लगकर क्षरण भी तेज होता है। इसकी देखरेख और मरम्मत में रेलवे को बड़ा धन और मानव संशाधन खर्च करना पड़ता है। नयी वेल्डिंग तकनीक में निकल-क्रोमियम-कापर का मिश्रण होने से क्षरण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके साथ ही वेल्डिंग की मजबूती कई गुणा बढ़ जाएगी।


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