Jharkhand Budget Session: घोषणा पत्र पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने, माहौल गरमाया
Jharkhand Assembly Budget Session झारखंड विधानसभा के सदन में आज तारांकित प्रश्न और उत्तर दिया गया। विधायक उमाशंकर अकेला ने चौपारण प्रखंड के विभिन्न गांवों में लिफ्ट इरिगेशन नहीं होने का सवाल उठाया। घोषणा पत्र को लेकर पक्ष और विपक्ष के नेता आमने-सामने आ गए।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Budget Session राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव से पूर्व की जाने वाली घोषणाओं पर झारखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गुरुवार को कुछ देर के लिए जिरह की स्थिति देखी गई। विपक्ष ने पेंशन को लेकर किए गए सत्ता पक्ष के वादे को आधार बनाकर उनके निश्चय पत्र की याद दिलाई तो संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने पलटवार करते हुए विपक्ष के सदस्यों को उनका घोषणापत्र याद दिलाकर पूछा कि दो करोड़ नौकरी का क्या हुआ?
दरअसल, तारांकित प्रश्न काल के दौरान भाजपा विधायक अमित मंडल ने बुर्जुगों और दिव्यांगों को पेंशन की राशि न मिलने का मामला उठाते हुए सवाल उठाया कि सरकार ने वृद्धा पेंशन ढाई हजार रुपये प्रतिमाह करने की घोषणा अपने घोषणापत्र में की थी, उसका क्या हुआ। इसपर महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी ने बताया कि घोषणा नहीं विचार करने की बात कही गई थी। सरकार पेंशन की राशि बढ़ाने पर विचार करेगी। अमित मंडल और भाजपा के अन्य सदस्यों द्वारा इस मामले पर स्थिति स्पष्ट किए जाने की मांग की गई।
इस बीच स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने विपक्ष को समझाने का प्रयास किया कि आप सरकार से सवाल कर रहे हैं, इसे घोषणापत्र से कैसे जोड़ रहे हैं। घोषणापत्र क्या होता है और सरकार का एजेंडा क्या होता है यह आपको मालूम होना चाहिए। इस पर सीपी सिंह ने सरकार का घोषणापत्र दिखाते हुए कहा कि आपका निश्चय पत्र हमारे हाथ में हैं। कहा, जब आप घोषणा करते हैं तो आम जनता को यह विश्वास होता है कि सरकार इस पर अमल करेगी। अब आप कहते हैं कि नहीं करेंगे, इसका मतलब आपने धोखा दिया।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि घोषणापत्र विधानसभा में पेश नहीं किया जाता। विपक्ष की ओर इशारा कर कहा कि घोषणापत्र आप भी पेश करते हैं। सभी के खाते में 15 लाख रुपये देने और दो करोड़ नौकरी देने का क्या हुआ। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष स्थिति स्पष्ट करने की मांग करने लगे तो सत्ता पक्ष की ओर से भी कुछ विधायक खड़े होकर जवाब देने लगे। फिर स्पीकर ने प्रश्न काल को आगे बढ़ाते हुए स्थिति को संभाला।
लोबिन ने की अपनी ही सरकार की खिंचाई, कहा- पदाधिकारी उल्टा-सीधा जवाब देते हैं, आप वही पढ़ देते हैं
सिंचाई योजना से जुड़े एक सवाल के जवाब से असंतुष्ट विधायक लोबिन हेम्ब्रम अपनी ही सरकार के मंत्री से खफा नजर आए। उन्होंने मंत्री मिथिलेश ठाकुर से कहा कि कहा कि पदाधिकारी उल्टा-सीधा जवाब देते हैं वही आप पढ़ देते हैं। लोबिन की इस टिप्पणी पर विपक्ष के विधायकों ने मेज थपथपा कर सरकार की खिंचाई की। लोबिन ने साहिबगंज जिले के प्रखंड मंडरो के गडरा पंचायत के अंतर्गत रमना नदी पर निर्मित डैम के संबंध में कहा कि यह डैम पिछले 10 वर्षों से टूटा पड़ा है। लोगों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिला रहा है। सरकार उक्त स्थल पर डैम निर्माण का विचार रखती है या नहीं। प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि यह बांध सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित नहीं है। फिलहाल इसके अगल-बगल में चेकडैम का निर्माण कर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जैसे ही बजटीय प्रविधान होगा इसका निर्माण कराया जाएगा। इस पर लोबिन भड़क गए।
एक माह में बहाल होगी सिंचाई की सुविधा, अर्जुन डैम का जीणोद्धार कराएगी सरकार
स्वर्णरेखा परियोजना के चांडिल बाईं नहर, धालभूमगढ़ प्रखंड के मौजा रावताड़ा स्थित रघुनाथ मुर्मू चौके के बगल नहर पर सिंचाई सुविधा के लिए बनाए गए पंप हाउस का निर्माण कराकर सरकार एक माह के अंदर क्षेत्र के लोगों को सिंचाई की सुविधा मुहैया करा देगी। रामदास सोरेन के जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सदन को यह भरोसा दिलाया। इस बीच प्रभारी मंत्री ने नलिन सोरेन के एक सवाल के जवाब में यह विश्वास दिलाया कि दुमका जिले के रानेश्वर प्रखंड स्थित अर्जुन बांध का जीर्णोद्धार सरकार शीघ्र कराएगी।
लिफ्ट इरिगेशन की सुविधा न होने पर भड़के उमाशंकर अकेला
हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के विभिन्न गांवों में लिफ्ट इरिगेशन की सुविधा बहाल न होने पर उमाशंकर अकेला नाराज हो गए। वे सरकार के जवाब से भी असंतुष्ट दिखाई दिए। मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बहुत जल्द इस दिशा में काम होगा।
सर्वे करा सिंचाई की संभावना तलाशेगी सरकार
धनबाद जिले की पीट कोयला माइंस में एकत्र जल की उपयोगिता सिंचाई के लिए सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार सर्वे कराएगी। मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने इंद्रजीत महतो के सवाल के जवाब में स्वीकारा कि उक्त माइंस के पानी के उपयोग के लिए कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार के बीच एमओयू हुआ था, लेकिन वह पेयजल विभाग के साथ हुआ था। अब वहां सिंचाई की संभावना है या नहीं यह जानने के लिए बहुत जल्द एक सर्वे कराया जाएगा।