पारंपरिक करियर को छोड़ जोखिम लेने वाले युवा भी हो रहे सफल
युवा परिवर्तन को अवसर के तौर पर लें।
जागरण संवाददाता, रांची : युवा परिवर्तन को अवसर के तौर पर लें। इसे अच्छे तरीके से लागू कर सकते हैं तो निश्चित तौर पर सफल होंगे। भविष्य के सभी करियर संभावनाओं में परिवर्तन हो रहे हैं। हर एक विषय क्षेत्र में विशेषज्ञता होने से अवसरों की कमी कभी नहीं होगी। एमबीए स्टूडेंट्स अपरंपरागत मार्ग अपना रहे हैं और बहुत अच्छा भी कर रहे हैं। ये बातें शकर ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज के निदेशक प्रवीण शकर पंड्या ने कही। वे रविवार को डॉ. रामदयाल मुंडा कला भवन खेलगांव के सभागार में आइआइएम रांची के 11वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले समारोह की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्जवलन से हुई। आइआइएम रांची के निदेशक प्रो. शैलेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आइआइएम राची के दस साल के सफर के बारे में बताया। बीते वर्ष उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कनुप्रिया, सुरभि, जसमीत, राहुल सिन्हा व हुतांशु को पुरस्कृत किया गया। आयोजन को सफल बनाने में फैकल्टी डॉ. जयंत त्रिपाठी, डॉ. मानस, जय एंड टीम का अहम योगदान रहा।
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असफलता से उठने का साहस रखें
लार्सन एंड ट्रूबो के इलेक्ट्रिकल एंड ऑटोमेशन हेड डॉ. हसित जोशपुरिया ने कहा कि ज्ञान अब प्रतिस्पर्धी लाभ का स्त्रोत नहीं है। टेक इंटेलिजेंस के साथ-साथ इनोवेशन आगे का रास्ता है। सेनोफी इंडिया के पूर्व एमडी डॉ. शैलेष अयंगर ने कहा कि हमेशा असफलता के बाद उठने और चुनौतियों से पार पाने का साहस रखें। किसी की विफलता को प्रबंधित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया में, धैर्य रखें और हर कदम पर जीवन का आनंद लें। उन्होंने छात्रों को कड़ी मेहनत और शोध करने के लिए प्रेरित किया।
आइआइएम की कल्चरल कमेटी के तत्वाधान में छात्र-छात्राओं ने गीत, गजल, नाटक व डांस की शानदार प्रस्तुति दी। लघु नाटिका बात का बतंगड़ में छात्र-छात्राओं ने दिखाया कि समाज में बेटे-बेटियों के करियर चयन में भी दकियानुसी सोच झलकती है। बेटियां है तो रसोई क्यों पसंद नहीं है और बेटा को कराटे की जगह रसोई क्यूं पसंद है। बेटी को कराटे क्यूं पसंद है। लोग क्या कहेंगे। इसी सोच से निकलने की बात बात का बतंगड़ में दिखाया। लघु नाटिका में पूजा, दीप सरकार, रिदिमा, मालविका, वल्लभ, वैष्णवी, संजीत व ट्रेनर इमोन की भूमिका को सभी ने सराहा। इसके बाद विद्यार्थियों ने पायो जी मैंने राम रतन धन पायो..की प्रस्तुति दी।