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10 महीने से कोविड वार्ड में कर रही है मरीजों की सेवा, टीका लेने के बाद फिर संक्रमितों के बीच लौटी नर्स रामरेखा

रिम्स की नर्स रामरेखा राय ने 1102 मिनट में टीका लगवाया। 1140 बजे वह कोविड सेंटर पहुंच गई। कोविड सेंटर में अब भी तीन दर्जन से अधिक संक्रमित मरीज भर्ती है। नर्स रामरेखा ने खुद से जाकर अपने दैनिक कार्य के अनुरूप उन्हेंं दवाई दी।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 09:22 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 09:31 AM (IST)
10 महीने से कोविड वार्ड में कर रही है मरीजों की सेवा, टीका लेने के बाद फिर संक्रमितों के बीच लौटी नर्स रामरेखा
10 महीने से कोविड वार्ड में कर रही है मरीजों की सेवा। जागरण

रांची, जासं । रिम्स की नर्स रामरेखा राय ने 11:02 मिनट में टीका लगवाया। 11:40 बजे वह कोविड सेंटर पहुंच गई। कोविड सेंटर में अब भी तीन दर्जन से अधिक संक्रमित मरीज भर्ती है। नर्स रामरेखा ने खुद से जाकर अपने दैनिक कार्य के अनुरूप उन्हेंं दवाई दी, स्लाइन की बोलत लगाई। जो संदिग्ध थे उनका सैंपल भी जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग भिजवाया।

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बताते चले कि नर्स रामरेखा राय पिछले 10 महीने से कोविड वार्ड में ही ड्यूटी कर रही है। इस बीच वे खुद भी संक्रमित हो गई लेकिन हौसला कम नही हुआ। राज्य भर के गरीब मरीज से लेकर हाई प्रोफाइल संक्रमितों तक का इलाज इन्होंने बखूबी किया। कोविड में बेहतर काम के लिए नर्स रामरेखा को कई बार सरकार के स्तर से सम्मानित भी किया जा चुका है।

वैक्सीन लेने के बाद रामरेखा ने राज्य और केंद्र सरकार को कोरोना वैक्सीन के लिए धन्यवाद दिया। कहा वैक्सीनेशन लेने के बाद उनका हौसला और बढ़ा है। अब दुगुनी ऊर्जा के साथ वे मरीजों की सेवा करेगी। अपना खुद का उदाहरण देते हुए बाकी लोगों से भी वैक्सीनेशन में हिस्सा लेने का आग्रह किया।

क्रिटिकल मरीजों की खुद करनी पड़ती है निगरानी, विभाग के हेड डा. भट्टाचार्य टीका के बाद पहुंचे जान बचाने

जैसे-जैसे स्वास्थ्यकॢमयों को कोरोना का टीका मिलता गया, आधे घंटे ऑब्जर्वेशन में रहने के बाद सभी अपने काम में लौटते गए। रिम्स क्रिटिकल केयर के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य वैक्सीन लेने के बाद ट्रॉमा सेंटर में भर्ती मरीजों को देखने पहुंच गए। दो घंटा मरीजों के बीच बिताने के बाद मेडिकल स्टूडेंट्स को लेक्चर देने के लिए आनलाइन माध्यम से पहुंच गए। डा. भट्टाचार्य के ऊपर रिम्स के अधिकांश गंभीर मरीजों की जिम्मेदारी है। पूरा क्रिटिकल केयर विंग इनके जिम्मे है। इन्हें दूसरे पर निर्भर रहने की आदत नही है। जब तब ये खुद मरीजों की निगरानी ना कर लें इनका मन नही मानता। वैक्सिनेशन का अनुभव पूछने पर बताया कि टीका पूरी तरह से सुरक्षित है। टीकाकरण के बाद किसी तरह की शारीरिक समस्या महसूस नहीं हुई। उन्होंने दूसरे स्वास्थ्यकॢमयों से भी आग्रह किया कि जब संक्रमित मरीज का इलाज बिना डरे कर लिया तो वैक्सीन लेने में भी किसी तरह की डर नहीं होनी चाहिए।

यहां भी अपना फर्ज आगे :: खुद नर्स बन दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को लगाया वैक्सीन, फिर आखिरी में डा. देवेश ने लिया वैक्सीन

रिम्स में कोविड हीरो के नाम से प्रसिद्ध चिकित्सक डा. देवेश ने टीकाकरण के दौरान भी अपना फर्ज निभाते रहे। वैक्सीनेशन सेंटर में भले ही कोई दायित्व ना मिली हो, बावजूद वे सुबह 9:30 बजे से ही पूरे जोश के साथ वैक्सीन को लेकर लोगों की संशय दूर करने में लगे रहे। जैसे ही रिम्स में वैक्सीनेशन सेंटर में टीकाकरण शुरू हुआ, वे स्वास्थ्यकर्मियों को परेशानी न हो इसके लिए परेशान होते रहे। शुरूआत में नर्सो ने वैक्सीन लगाना शुरू किया। जब भीड़ बढ़ती गई तो इन्होंने खुद ही मोर्चा संभाल लिया। एक हाथ में कोविशिल्ड वैक्सीन की छोटी सी सीसी, दूसरे में सीरिंज। खुद से सीरिंज में 0.5 एमएल वैक्सीन भरी और स्वास्थ्यकर्मियों को लगाने लगे। दर्जन भर से अधिक लोगों को इन्होंने टीका लगाया। सूची में इनका नाम पहले था, लेकिन डा. देवेश ने आखिरी में अपना टीका लगवाया।

वैक्सीन सुरक्षित जरूर लेकिन लगवाने के लिए किसी पर दबाव बनाना सही नही

डा. देवेश ने वैक्सीनेशन के बाद अपना अनुभव साझा किया। बताया कि वैक्सीन लेने के बाद कोई कमजोरी नही हुई। लेकिन गाइडलाइन के अनुरूप जो आधा घंटा ऑब्जर्वेशन निर्धारित की गई है उसका सभी को पालन करना चाहिए। वैक्सीन भले ही टेस्टेड है, लेकिन किसके शरीर में इसका क्या प्रभाव हो कहना मुश्किल है। इसलिए वैक्सीन लेने के बाद थोड़ा आराम करें। अगर लगे आप पूरी तरह स्वस्थ है तो अपने दैनिक काम पर वापस लौट सकते है। उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर किसी पर दबाव बनाना सही नही है।


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