यहां डॉक्टर भी हो रहे बीमार, रांची के रिम्स में रेडिएशन का खतरा; कॉर्डियोलॉजी के कैथलैब ने बढ़ाईं मुश्किलें
RIMS Ranchi. रेडिएशन को लेड फ्लैब्स के अभाव में रोकना संभव नहीं है। रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण पिछले चार वर्षों से कैथ लैब की सुविधा ओटी टेबल पर उपलब्ध नहीं कराई गई है।
रांची, [शक्ति सिंह]। रिम्स का कैथ लैब ही चिकित्सा कर्मियों को अब बीमार कर रहा है। कैथलैब से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन से चिकित्सक और अन्य कर्मी काम करने के दौरान थकान महसूस कर रहे हैं। इसका कारण कैथलैब में लेड फ्लैब्स की व्यवस्था का नहीं होना है। रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण पिछले चार वर्षों से कैथ लैब की सुविधा ओटी टेबल पर उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस कारण सीआर्म के निचले हिस्से से निकलने वाले रेडिएशन को लेड फ्लैब्स के अभाव में रोकना संभव नहीं है, जो प्रत्यक्ष तौर पर काम करने वाले चिकित्सा कर्मियों को नुकसान पहुंचाता है।
यही नहीं मरीजों को भी इस समस्या से गुजरना पड़ता है। ओटी टेबल पर लेड फ्लैब्स को लगाकर रेडिएशन को फैलने से रोका जाता है। हालांकि, चिकित्सक काम करने के दौरान लेड एप्रन पहनते हैं। लेकिन, पूरी तरह से कारगर नहीं है और कई बार थोड़ी-सी लापरवाही पर इसका नुकसान स्वास्थ्य पर पड़ता है। चिकित्साकर्मी भी इस बात को मानते हैं कि देर तक काम करने से थकान और आंखों से आंसू निकलते हैं।
एटोमिक रिसर्च रेगुलेटरी बोर्ड की आपत्ति के बावजूद बरती जा रही है लापरवाही
एटोमिक रिसर्च रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) ने कार्डियोलॉजी विभाग के कैथलैब पर भी सवाल उठाया है। कैथलैब में ओटी टेबल में लेड फ्लैब्स लगाने को कहा है, ताकि मरीजों पर प्रत्यक्ष तौर पर रेडिएशन का असर न पड़े। लेकिन अब तक इस समस्या का निदान नहीं निकाला जा सका है।
कैथलेब के रिनेवल लाइसेंस को एईआरबी ने रखा है होल्ड पर
एटोमिक रिसर्च रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) ने रिम्स द्वारा आवेदन किए गए लाइसेंस को होल्ड पर रख दिया है। बोर्ड का कहना है कि जब तक कैथ में लेड फ्लैब्स की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती, लाइसेंस की दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं होगी। कैथलैब के साथ-साथ रेडियोथेरेपी विभाग में वी-मैट प्रोग्रामर (रेडिएशन उपकरण) से जुड़ी कमियों पर आपत्ति जताई है। इसे लेकर दो विभागों का मामला अब पेंच में है।
ढाई साल पहले लैड फ्लैब्स की खरीदारी के लिए मंगवाया गया था कोटेशन
ढाई साल पहले लेड फ्लैब्स की खरीदारी के लिए रिम्स प्रबंधन की ओर कंपनी से कोटेशन मंगवाया गया था। करीब दस लाख रुपये की लागत से फ्लैब्स की खरीदारी होनी थी। लेकिन मामले पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई और इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
'एईआरबी का जो साइट ब्लॉक खुल गया है, बोर्ड को संबंधित दस्तावेज भेजा जा रहा है। इस मामले में भी चर्चा हुई है। इसे लेकर रिम्स प्रयासरत है। जल्द ही इन कमियों को दूर कर लिया जाएगा। डॉ. डीके सिंह, निदेशक, रिम्स।