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रिम्स में एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज की दोनों किडनी खराब

जागरण संवाददाता रांची रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में शुक्रवार को एंजियोप्लास्टी के बाद दोनां किडनी खराब हो गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 12:39 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:14 AM (IST)
रिम्स में एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज की दोनों किडनी खराब
रिम्स में एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज की दोनों किडनी खराब

जागरण संवाददाता, रांची : रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में शुक्रवार को एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज की दोनों किडनी खराब होने का मामला सामने आया है। परिजनों ने इसके लिए डाक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। हजारीबाग निवासी थानेश्वर प्रसाद को 15 नवंबर को हृदयघात के बाद इलाज के लिए रिम्स में भर्ती कराया गया था। थानेश्वर के भांजे अजय कुमार ने बताया कि तब डा प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा था कि मरीज को हार्ट अटैक हुआ है। एंजियोप्लास्टी होगी तो ठीक हो जाएगा। 19 तारीख को मामा की एंजियोप्लास्टी की गई। लेकिन गलत एंजियोप्लास्टी से उनकी सेहत खराब होती चली गई। दूसरे दिन स्थिति और बिगड़ी। उन्हें स्टेंट लगाने के बाद उल्टी होने लगी। बीपी काफी कम हो गया। टेस्ट में पता चला कि सोडियम, पोटेशियम कम हो गया है। क्रिएटनिन भी काफी बढ़ गई है। जब स्थिति और बिगड़ गई तो डाक्टर ने बताया कि मरीज की दोनों किडनी खराब हो चुकी है। मरीज को निजी अस्पताल में ले जाकर डायलिसिस कराना होगा। आनन फानन में उनको किसी तरह लेकर राज अस्पताल पहुंचे हैं। यहां अभी वे जिंदगी व मौत से जूझ रहे हैं।

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अजय ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब मामा को भर्ती कराया गया था तो उनको किडनी बिल्कुल ठीक थी। डाक्टर के गलत एंजियोप्लास्टी करने के कारण ही उनकी किडनी खराब हुई। शुक्रवार देर शाम सेहत बिगड़ने पर कई बार डाक्टर प्रवीण श्रीवास्तव को को बुलाया, लेकिन वह एक बार भी मरीज को देखने तक नहीं पहुंचे। फोन पर बात हुई तो डाक्टर ने कहा कि मरीज की स्थिति काफी खराब हो चुकी है, मरीज को किसी निजी अस्पताल में ले जाओ। मरीज की जान बचाने के लिए परिजन मरीज को आनन-फानन में ले जाकर राज अस्पताल में भर्ती कराया।

कोट

एंजियोप्लास्टी के लिए जो कंट्रास्ट उपयोग किया जाता है, उसके साइड इफेक्ट से मरीज की किडनी में प्रभाव पड़ सकता है। यह कॉमन है। परिजनों को इसकी जानकारी पहले से दी गई थी। मरीज को तीन दिनों से डायलिसिस की बात कही जा रही थी, लेकिन वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे। ऐसे में मरीज की स्थिति ज्यादा बिगड़ गई।

-डा. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, रिम्स।


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