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खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर कम करें लागत

राची और आसपास के इलाके में सालो भर फूलगोभी का उत्पादन होता है। लेकिन सही मूल्य नही मिल पाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 12:15 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 12:15 AM (IST)
खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर कम करें लागत
खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर कम करें लागत

जागरण संवाददाता, राची : राची और आसपास के इलाके में सालो भर फूलगोभी का उत्पादन होता है। इससे यहा के लोकल बाजार में उत्पाद की कीमत सीजन में काफी कम हो जाती है। किसानों के लिए लागत भी निकालना कठिन हो जाता है। ऐसे में फूलगोभी किसानों को सरकारी पहल की आस है। किसानों को उत्तम क्वालिटी का बीज, सिंचाई के लिए पानी, खाद आदि में मदद की जरूरत है। इसके साथ ही सबसे जरूरी बात किसान लंबे असरे से सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की माग कर रहे हैं। मगर अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है। किसानों के सामने बाजार की समस्या और स्टोरेज की दिक्कत भी है। हालाकि पिछले बजट में कृषि मंत्री ने ब्लॉक स्तर पर कोल्ड स्टोरेज खोलने की घोषणा की है। मगर जब तक जिले में एग्रोइंडस्ट्रीज और किसानों के लिए उत्पाद बेचने की समस्या का हल निकाला नहीं जाता तब तक किसानों की स्थिति में सुधार की कोई संभावना नहीं है।

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हर ब्लॉक में उन्नत बीज करा रहे उपलब्ध

राची जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा बताते हैं कि वर्तमान में फूलगोभी किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कोई विशेष योजना नहीं है। मगर हॉर्टिकल्चर विभाग के द्वारा अन्य कई योजना चल रही है जिसका लाभ किसान फूलगोभी के उत्पादन के लिए ले सकते हैं। फूलगोभी की खेती से किसानों की आय में वृद्धि हो इसके लिए हम बाजार में उन्नत किस्म की बीज को उपलब्ध करा रहे हैं। किसान केवीके या स्टोर से विभाग के द्वारा प्रमाणित बीज खरीद सकते हैं। सब्जियों की खेती में प्रमाणिक रुप से ड्रिप सिंचाई काफी उपयोगी सिद्ध हुई है। फूलगोभी की खेती करने वाले किसान इसका लाभ विभाग की मदद से ले सकते हैं। इसके साथ ही फसल की बीमा की सुविधा भी सरकार के द्वारा किसानों की दी जा रही है। इससे किसी भी तरह से फसल के खराब होने पर किसान को पैसे दिये जाते हैं। कृषि विभाग किसानों की मदद के लिए हर कदम पर खड़ी है।

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भंडारण की हो व्यवस्था

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग के अध्यक्ष डॉ. केके झा ने कहा कि फूलगोभी किसानों के सामने बाजार और भंडारण ही सबसे बड़ी दो समस्या है। इन दोनों समस्या का समाधान केवल सरकार के हाथों में है। इसके अलावा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और इसके अंतर्गत संचालित होने वाले केवीके के शोध प्रक्षेत्र से किसानों के लिए उन्नत बीज उपलब्ध कराई जा रही है। वर्तमान में भी गोभीवर्गीय सब्जी के जीनोटाइप पर रिसर्च चल रहे हैं। मगर उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती पर लागत को कम करना होगा। इसके लिए उन्हें नयी तकनीक सीखने और मशीनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके साथ ही कम से कम रासायनिक खाद का इस्तेमाल करें।

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हमारे इलाके में उपज अच्छी है। मगर संशाधनों की कमी की वजह से खेती में मुनाफा नहीं होता है। हमने दूसरे राज्यों में काम किया है। सरकार अगर संशाधन दे तो वहा के स्कील का यहा इस्तेमाल करेंगे।

सरदीप साहू, मजदूर

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दूसरे राज्य में जाकर काम करना किसी को पसंद नहीं होता। मगर मजबूरी में जाना पड़ा था। सरकार हमारे लिए कुछ करे तो हम अपने राज्य के विकास में योगदान देंगे। दूसरे राज्य क्यों जायेंगे।

प्रसाद साहू, मजदूर

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उत्तर प्रदेश में कालीन का काम करने वाले आधा से ज्यादा लोग झारखंड के हैं। मगर हमारे यहा इसका कोई व्यापार ही नहीं है। हमने वहा से कई चीजें सीखी है। अगर मौका मिले तो यहीं काम करेंगे।

चुनु उराव, मजदूर

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हमारे खेत छोटे-छोटे हैं। खेती करना काफी मुश्किल है। मजबूरी में दूर देश में कमाने गये थे। अब लौट आये है। इतना कष्ट हुआ है कि अब वापस जाने की हिम्मत नहीं है। यहीं कुछ काम मिल जाये तो बेहतर होगा।

परमेश्वर साहू, मजदूर

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खेती में मुनाफा निश्चित नहीं होता इसलिए नौकरी करते हैं। कभी कम बारिश तो कभी ज्यादा। फसल खराब हुई तो नुकसान अलग। दूसरे राज्य में काम करना तो मजबूरी है।

सुखदेव उराव, मजदूर


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