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विवादित कुडुख ग्रंथ से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की अनुशंसा Ranchi News

Jharkhand. गृह विभाग के आग्रह पर डाॅ. राम दयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान ने जांच के बाद अनुशंसा की है। अब कुड़ुख ग्रंथ की फाइल मुख्यमंत्री के पास।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 10:49 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 10:49 AM (IST)
विवादित कुडुख ग्रंथ से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की अनुशंसा Ranchi News
विवादित कुडुख ग्रंथ से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की अनुशंसा Ranchi News

रांची, [दिलीप कुमार]। कुड़ूख ग्रंथ नामक पुस्तक पर डा. राम दयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान ने गृह विभाग को अपना मंतव्य भेज  दिया है। संस्थान ने अपने मंतव्य में इस पुस्तक से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की अनुशंसा की है। बहरहाल गृह विभाग ने संबधित फाइल मुख्यमंत्री के पास भेज दी है। अब मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई होगी। इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग झारखंड की जनजाति सुरक्षा मंच ने की थी।

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मंच ने मुख्यमंत्री को भी पत्राचार कर बताया था कि कुड़ूख ग्रंथ नामक पुस्तक जिसका प्रथम संस्करण 2011 व द्वितीय संस्करण 2015 में आया। इसके मुद्रक कैथोलिक प्रेस कामिल बुल्के पथ हैं। इस ग्रंथ के लेखक अधिवक्ता ए. मिंज, प्रो. प्रवीण उरांव (राष्ट्रीय महासचिव, राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा) एवं इनके सहयोगी बंधन तिग्गा, फादर अगुस्टीन केरकेट्टा व अन्य हैं। मंच का आरोप है कि पुस्तक में उरांव समुदायों के मौलिक एवं धार्मिक मूल तत्वों को दरकिनार कर बाइबल ग्रंथ की बातों को लिखा गया है।

इसमें उरांव रीति-रिवाज, परंपरा, धार्मिक विश्वास एवं आस्था के साथ खिलवाड़ है। इतना ही नहीं, ऐसी और भी कई पुस्तकें छपी हैं जो क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा विभाग में पढ़ाई जा रही है, जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी दिग्भ्रमित हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री से पत्राचार करने वालों में जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक संदीप उरांव, केंद्रीय युवा सरना विकास समिति के अध्यक्ष सोमा उरांव व झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा के अध्यक्ष मेघा उरांव शामिल थे। प्रतिबंध की मांग पर गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने राम दयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान से पहले ही पत्र लिखकर मंतव्य मांगा था। लेकिन, मंतव्य देने में लेटलतीफी पर गृह विभाग ने उसे  रिमाइंडर भेजा था।

ग्रंथ पर इन कारणों से है आपत्ति

ग्रंथ में पूजा-पाठ, सामाजिक संस्कार, बड़े-छोटे के साथ व्यवहार, करम राजा को हे करम आत्मा कहना, सिरा सीता नाले को जननेंद्रिय कहना, उरांव समुदाय के सृष्टि स्थल पर गलत टिप्पणी आदि पर मंच की आपत्ति है।

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