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राज्य के 21 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में तैयार होंगे रीडिंग जोन

राज्य के 21 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में रीडिंग जोन डेवलप करने की योजना तैयार की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में राज्य के 1000 विद्यालयों को चिन्हित कर वहां मौजूद संसाधनों के सहारे रीडिंग जोन डेवलप किया गया है

By Jagran News RanchiEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 09:37 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 09:37 AM (IST)
राज्य के 21 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में तैयार होंगे रीडिंग जोन
राज्य के 21 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में तैयार होंगे रीडिंग जोन

रांची, कुमार गौरव । राज्य के 21 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में रीडिंग जोन डेवलप करने की योजना तैयार की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में राज्य के 1000 विद्यालयों को चिन्हित कर वहां मौजूद संसाधनों के सहारे रीडिंग जोन डेवलप किया गया है। जहां बच्चों को रुटीन क्लासेस के बाद पठन पाठन में रुचि बढ़ाने के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस और पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए विद्यालय के शिक्षकों को शिक्षा सचिव के द्वारा दिशा निर्देश भी दिया गया है। ताकि बच्चों में रीडिंग हैबिट को बढ़ावा दिया जा सके। यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो बेशक इसे सभी 21 हजार विद्यालयों में लागू किया जाएगा। इसके लिए बाकायदा टीम का गठन भी किया गया है और विद्यालयों में बच्चों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।

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राज्य शिक्षा परियोजना के पदाधिकारी करेंगे मानिटरिंग

राज्य शिक्षा परियोजना के पदाधिकारी इसकी मानिटरिंग कर रहे हैं। इसमें बच्चे खुलकर अपनी बात व भावनाओं को भी शिक्षकों के समक्ष रख सकेंगे। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर यह निर्णय लिया गया है। जहां बच्चे अपनी रुटीन पढ़ाई के अलावे अतिरिक्त गतिविधियों पर भी शिक्षकों से बात कर सकेंगे। चिन्हित विद्यालयों में लकड़ी का सेल्फ और बैग की व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों को सिलेबस की किताबों के साथ साथ बाहरी दुनिया से जुड़ी किताबें भी मिल सके। आमतौर पर ऐसी सुविधा निजी स्कूलों में ही देखने को मिलती है लेकिन अब राज्य के सरकारी विद्यालयों में भी बच्चों को यह सुविधा मिलेगी।

रीडिंग व हैप्पीनेस जोन से बढ़ेगी बच्चों की तार्किक शक्ति

इस बारे विशेषज्ञ बताते हैं कि रीडिंग व हैप्पीनेस जोन में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने से इनकी तार्किक शक्ति में विकास होगा। जो कि पढ़ाई के लिए बेहद जरुरी है। इस संबंध में राज्य के सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे रीडिंग जोन को बेहतर तरीके से डेवलप कर अमल में लाएं। निजी स्कूलों में भी इसे सख्ती से लागू करने को कहा गया है। रीडिंग जोन के माध्यम से बच्चों की काउंसिलिंग भी कराई जाएगी। पहले चरण के लिए चिन्हित सभी विद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि इससे संबंधित सभी रिपोर्ट हर महीने साझा करेंगे। सभी विद्यालय प्रबंधन परिसर में ही रीडिंग जोन बनाएंगे। जहां बच्चे अपने मन की बात रख सकेंगे। इसमें शिक्षकों की एक टीम रहेगी जो बच्चों से मन की बात जानने का प्रयास करेगी। बता दें कि गर्मी छुट्टी के बाद खुले विद्यालय में आने वाले बच्चे के व्यवहार में पहले की अपेक्षा कोई बदलाव नजर आता है तो उस पर यह टीम विशेष नजर रखेगी। साथ ही बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर उससे इस बारे में जानने की कोशिश करेगी। हर विषय के शिक्षक अपने पाठ से मानसिक स्वास्थ्य कल्याण से संबंधित चीजों को सामने लाते हुए बच्चों के साथ साझा करेंगे। इसके साथ ही नकारात्मक व्यवहार किस तरह नुकसानदायक है, इसके लिए बच्चों की काउंसिलिंग भी की जाएगी।

टीम के सदस्य करेंगे मानिटरिंग

झारखंड के शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि राज्य में पहले चरण में 1000 विद्यालयों को चिन्हित कर पायलट प्रोजेक्ट के तहत रीडिंग जोन डेवलप किया जा रहा है। यदि बच्चों में रीडिंग हैबिट को डेवलप करने में सफलता मिलती है तो बेशक सभी 21 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में इसे अमल में लाया जाएगा। इसके लिए टीम का गठन किया गया है। जो लगातार मानिटरिंग कर रही है।


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