Coronavirus Lockdown: मुस्लिम परिवार बोले, संकट के समय संघ के स्वयंसेवक ही काम आए
Coronavirus Lockdown लॉकडाउन में तरह-तरह की मुश्किलों से दो-चार हो रहे मुस्लिम परिवारों की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति धारणा बदली है। वे स्वयंसेवकों को सच्चा मददगार बता रहे।
रांची, [संजय कुमार]। Rashtriya Swayamsevak Sangh राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमेशा कहा है कि वह समाज के हर तबके के बीच बिना भेदभाव के समान रूप से काम करता है लेकिन कुछ लोगों में एक धारणा बनी हुई है कि संगठन हिंदुओं के हितों की रक्षा करता है। उनका ही मददगार है। कोरोना के कहर के बीच लॉकउाउन में फंसे लोगों की मदद कर आरएसएस कार्यकर्ताओं ने सभी के लिए सच्चे मददगार की अपनी छवि को और मजबूत किया है।
मदद से गदगद कई मुस्लिम परिवारों ने खुले तौर पर कहा कि संघ के कार्यकर्ताओं ने हमारी आंखें खोल दी हैं। कुछ लोग हमें उनके बारे जो बताते थे, यह उसके बिल्कुल उलट है। मुस्लिम के साथ जनजातीय परिवारों के लोगों के लिए भी संघ के कार्यकर्ता राहत कार्य चला रहे हैं। पहाड़ों पर बसे जनजातीय परिवारों के बीच भी तीन से चार किमी पैदल चलकर मदद पहुंचाई जा रही। झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी सिदो कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू इनकी मदद से गदगद हैं। कहा, जरूरत के समय खाने के सामान से राहत मिली नहीं तो स्थिति बहुत खराब होती।
कुछ लोग संघ को बदनाम करने का काम करते हैं
रांची के जगन्नाथपुर मंदिर के पास एक बिल्डर के यहां बिहार के अररिया जिले के मजदूर लॉकडाउन होने के बाद से फंसे हैं। सभी मुस्लिम समुदाय के हैं। जैसे ही संघ के स्वयंसेवकों को उनकी परेशानी के बारे में सोशल मीडिया से जानकारी मिली, राशन सामग्री लेकर उस इलाके के नगर कार्यवाह के नेतृत्व में मदद को पहुंच गए। राशन मिलने के बाद मोहम्मद कुर्बान, नुहू, आलमगीर आलम आदि ने कहा कि पहली बार किसी ने हमलोगों की सुध ली है। विपरीत परिस्थिति में काम आने वाला ही सच्चा मददगार है और साथी भी। संघ के प्रति हमारी धारणा बदल गई है।
संघ प्रमुख ने भी किया था आह्वान
इसी तरह रांची के बूटी इलाके में गुरुवार को 89 मुस्लिम परिवारों के बीच राशन सामग्री बांटने का काम स्वयंसेवकों ने किया। देवघर में दुर्गापुर के रहने वाले मुस्लिम समुदाय के 25 परिवारों के फंसे होने की सूचना जैसे ही स्वयंसेवकों को मिली, तुरंत राशन पहुंचा कर मदद की गई। यह तो उदाहरण मात्र है, देश के हर कोने में ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं। पिछले दिनों संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों से भी आह्वïान किया था कि बिना भेदभाव के समाज के सभी लोगों की मदद करनी है। पूरे देश में तीन लाख से अधिक स्वयंसेवक 52 लाख से अधिक परिवारों तक राशन पहुंचा चुके हैं।
जनजातीयों की भी कर रहे हैं मदद
झारखंड के गोड्डा जिले के सुदूर 55 किलोमीटर उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वन एवं पर्वतों से घिरा हुआ अत्यंत पिछड़ा प्रखंड बोआरिजोर है। यहां प्राय: अत्यंत गरीब एवं अनुसूचित जाति समाज से आने वाले स्वयंसेवक हैं। ये ऐसे हैं जिन्हेंं अपने जीविकोपार्जन हेतु नित्य संघर्ष करना पड़ता है। इसके बावजूद उस इलाके में संथाल एवं पहाडिय़ा परिवार भूखा न रहे की भावना से राशन किट वितरण करने का काम कर रहे हैं। इसके लिए राशन सामग्री लेकर 17 किलोमीटर दूर साइकिल से चलने के बाद तीन से चार किमी कंधे पर राशन सामग्री उठाकर पैदल ही पहाड़ों पर चलना पड़ता है। इसी तरह देवघर, साहिबगंज जिले में भी पहाड़ों पर बसे संथाल जनजाति के बीच स्वयंसेवक राशन सामग्री पहुंचा रहे हैं।