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Positive India: राष्ट्र सेविका समिति की बहनें महिलाओं की कर रहीं मदद, घोर जंगलों के बीच जाकर पहुंचा रहीं राशन

Positive India. आरएसएस की महिला इकाई पूर्वोत्‍तर में लॉकडाउन में सेवा कार्य में जुटी हैं। नागपुर सहित देश के कई शहरों में गर्भवती महिलाओं की चिंता कर रही हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 09:26 AM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 09:30 AM (IST)
Positive India: राष्ट्र सेविका समिति की बहनें महिलाओं की कर रहीं मदद, घोर जंगलों के बीच जाकर पहुंचा रहीं राशन
Positive India: राष्ट्र सेविका समिति की बहनें महिलाओं की कर रहीं मदद, घोर जंगलों के बीच जाकर पहुंचा रहीं राशन

रांची, [संजय कुमार]। कोरोना वायरस को लेकर देश में आई इस संकट की घड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरह महिलाओं के बीच काम करने वाला संगठन राष्ट्र सेविका समिति की बहनें भी लगातार सेवा का काम कर रही हैं। पूर्वोतर के गुवाहाटी सहित कई जिलों में जंगलों के बीच बसे गांवों में जाकर सेविकाएं राशन बांटने का काम कर रही हैं। कई गांवों में बहनें बुजुर्गों के लिए दवा के साथ-साथ पशुओं के चारे की भी चिंता कर रही हैं। पूर्वोत्तर सहित देश के कई जिलों में गर्भवती महिलाओं का भी खयाल रख रही हैं।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार की प्रेरणा से ही महिलाओं की अलग शाखा लगाने व उनके बीच काम करने के लिए जिस राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना 1936 की गई थी, उस संगठन की सेविकाएं इस संकट की घङी में पूरे देश में लोगों की मदद कर रही हैं। लाॅकडाउन के समय जहां महिलाएं घर से निकल नहीं रही हैं, उस स्थिति में भी संगठन से जुड़ी बहनें घरों से निकलकर जरूरतमंदों की मदद कर रही हैं। पूर्वोत्तर भारत के कई जिलों में बहनें सुदूर जंगलों में निवास करने वाले परिवारों के बीच जाकर राशन बांट रही हैं। जहां वाहन जाने की सुविधा नहीं है, वहां पैदल व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक की मदद से राशन सामग्री लेकर जाती हैं।

असम के कई जिले तो ऐसे हैं जहां जंगलों के बीच बसे लोगों के बीच जाकर राशन पहुंचाने का काम बहनें कर रही हैं। गायों के लिए भोजन की भी चिंता करने के क्रम में अब तक 21000 पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करा चुकी हैं। मठ मंदिरों के पुजारियों को भी राशन देने का काम कर रही हैं। गुवाहाटी के छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं की देखभाल भी कर रहे हैं। महाराष्ट्र के लातूर, संभाजीनगर, धाराशिव, ठाणे, पनवेल आदि जिलों में वनवासियों व सेवा बस्ती में रहने वाले लोगों की भी मदद की जा रही है।

राष्ट्र सेविका समिति के पूर्वोत्तर भारत की प्रभारी व प्रचारिका अखिल भारतीय सह कार्यवाह सुनीता हल्देकर बातचीत में कहती हैं, पूर्वोत्तर भारत के जंगलों में निवास करने वाले लोगों की स्थिति इस समय काफी खराब है। उनकी स्थिति की जानकारी मिली, तब हमलोगों ने मदद करने का निश्चय किया। ये बहनें घर का काम करके  निकलती हैं और शाम तक अपने घरों में लौटती हैं।

17 लाख परिवारों में पहुंचाई गई राशन सामग्री

वहीं गुजरात की रहने वाली अखिल भारतीय सेवा प्रमुख व प्रचारिका संध्या टिपरे ने बातचीत में कहा कि इस समय घरों से महिलाओं के नहीं निकलने के कारण सैनिटरी पैड मिलने में परेशानी हो रही है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी कठिनाई हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए नागपुर में गर्भवती, बुजुर्ग व दूसरी महिलाओं के लिए अलग-अलग कीट तैयार किया गया। वहां की बहनों ने घर-घर जाकर कीट पहुंचाने का काम किया है। उस प्रयोग को दूसरी जगहों पर भी शुरू किया गया है। अब तक पूरे देश में संगठन की ओर से 17 लाख परिवारों में राशन पहुंचाया गया। 10 लाख मास्क का वितरण किया गया, वहीं एक लाख से अधिक लोगों को भोजन भी कराया गया है। इसके साथ ही 22 लाख रुपये पीएम केयर फंड में भी जमा कराया गया है।


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