रांची : महज एक से डेढ़ मिनट का समय मिलने से परेशान हैं ड्राइविंंग लाइसेंस बनवाने वाले युवा, परिवहन विभाग से आवेदकों ने लगाई गुहार
सुबह में 11 बजे मात्र एक से दो मिनट समय दिया जा रहा है वह भी बुक नहीं हो रहा है। कई युवा दलालों के चक्कर में पड़ कर सात से आठ हजार रुपये दे चुके हैं। अब दलाल भी हाथ खड़े कर रहे हैं।
संवाद सूत्र, लापुंग (रांची) : रांची जिले के कई ग्रामीण क्षेत्र के युवा इन दिनों परेशान नजर आ रहे हैं। परेशानी की वजह है ड्राइविंंग लाइसेंस। लाइसेंस बनवाने के लिए तय स्लाट बुकिंंग की गलत नीतियां उन्हें परेशान कर रही हैं। इससे दलालों की चांदी है। लापुंग प्रखंड क्षेत्र के अमृत कुमार, रोशन कुमार, समिर गुप्ता और दशरथ महली कहते हैं कि परिवहन विभाग ने स्लाट बुकिंंग के लिए सुबह 11 बजे का समय तय कर रखा है। यह मात्र एक से डेढ़ मिनट का ही है। यह बेहद कम समय है। ग्रामीण क्षेत्र से किसी आवेदक की बुकिंंग नहीं हो पा रही है। आवेदकों की यही परेशानी है। अब आवेदक कैफे का चक्कर काट रहे हैं। वहीं, दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। काम कराने का वादा कर जरूरतमंदों से मोटी रकम वसूल रहे हैं।
ग्रामीण अमृत कुमार ने कहा कि ड्राइविंग टेस्ट देने वाले दर्जनों आवेदकों को वाहन टेस्ट देनी है, लेकिन स्लाट बुकिंग की गलत नीतियों का खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। कैफे का चक्कर काटने के बावजूद स्लाट बुकिंंग में परेशानी आ रही है। लाकडाउन के बाद यानी सात माह बाद वाहन चालन टेस्ट की शुरुआत की गई है। इसलिए आवेदकों की भीड़ भी बढ़ गई है। अगर सबको समय मिल जाता तो भीड़ कम हो जाती। इसलिए स्लाट बुकिंंग की नीति बदलने की जरूरत है।
ग्रामीण रोशन कुमार ने बताया कि 31 दिसंबर के बाद प्रशिक्षु लाइसेंस की वैधता भी समाप्त हो जाएगी। ऐसे में परेशान कई युवा आवेदक दलालों के चक्कर में पड़ गए हैं। दलाल सात से आठ हजार रुपये वसूल रहे हैं। हालांकि, दो तीन दिनों से दलालों ने भी हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं। कई आवेदकों को फिर से ड्राइविंग टेस्ट के लिए फीस भुगतान करनी पड़ सकती है। कई आवेदकों को करनी भी पड़ी है। परिवहन विभाग को स्लाट बुकिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहिए। साथ ही समय के लिए कई विकल्प देना चाहिए। मात्र एक दिन का विकल्प देने से भी परेशानी बढ़ी है। एक से डेढ़ मिनट के अंदर बुकिंग करने पर बुकिंग फुल बता रहा है। कई परेशान आवेदकों ने राज्य सरकार से इस ओर ध्यान देने की मांग की है।
ककरिया गांव के समिर गुप्ता कहते हैं कि एक ओर सरकार लाइसेंस नहीं रहने पर चालान काट रही है, दूूसरी ओर लाइसेंस बनाने की प्रकिया को काफी जटिल बना दिया है। साल भर पहले आवेदन देने बाद लाइसेंस नही बना है।