रांची विवि के कर्मचारी बैठे धरना पर, कामकाज रहा ठप
सातवा वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को विवि और कॉलेज के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इससे कामकाज ठप है।
जागरण संवाददाता, रांची : सातवा वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को विवि और कॉलेजों के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। विवि कैंपस में ही धरना पर बैठे। हड़ताल की सबसे खास बात थी कि अलग-अलग गुट के कर्मचारी एक मंच पर थे। अल्पसंख्यक कॉलेजों से लेकर अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारी भी इसमें शामिल थे। इन सभी को एक मंच पर लाने में सिंडिकेट सदस्य अर्जुन राम का अहम रोल रहा। कर्मचारियों की हड़ताल से विवि मुख्यालय के सभी सेक्शन में सन्नाटा पसरा रहा। कर्मचारियों ने कार्यालय संबंधित सभी कार्य पूरी तरह से ठप कर दिए थे। छात्र-छात्राएं मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद वहां की स्थिति को देखते ही वापस हो रहे थे। सर्टिफिकेट, माइग्रेशन, प्रोविजनल सर्टिफिकेट सहित किसी भी तरह का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हुआ। हड़ताल का समर्थन करने कांग्रेस के कुछ नेता भी पहुंचे थे। सिंडिकेट सदस्य अर्जुन राम का कहना था कि शिक्षकों को सातवा वेतनमान मिल गया, लेकिन कर्मचारी अभी भी इसका इंतजार कर रहे हैं। विवि प्रशासन व सरकार कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रही है। झारखंड विवि एवं कॉलेज कर्मचारी महासंघ के महामंत्री शिवजी तिवारी ने कहा कि समस्याओं का निराकरण जल्द नहीं हुआ तो उग्र आदोलन होगा। मौके पर उग्रेस प्रसाद, पवन जेडिया, संतोष, यूके वर्मा सहित सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष कर्मचारी थे। हड़ताल प्रभावी, लेकिन हुई परीक्षाएं
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि में भी हड़ताल प्रभावी रहा। लेकिन परीक्षाएं हुई। धरना पर बैठने के करीब आधे घंटे बाद ही कुलपति डॉ. एसएन मुंडा धरना स्थल पर पहुंचे और कर्मचारियों की समस्याएं सुनीं। कर्मचारी नेता उदय प्रसाद ने वीसी मागों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा। मौके पर अध्यक्ष राजू साव, उपाध्यक्ष मंगला प्रसाद, अजय मुंडा, रोहित सहित अन्य थे। वीसी ने राजभवन जाकर बताया मांगों के बारे में
रांची विवि मुख्यालय में धरना पर बैठे कर्मचारियों से मिलने कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचे। इधर कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडेय राजभवन जाकर विवि और कॉलेज कर्मचारियों की लंबित मांगों के बारे में बताया। वहां मुख्य सचिव भी थे। कुलपति शुक्रवार को कर्मचारियों से मिलेंगे। ये हैं मुख्य मांगें
-एक जनवरी 2016 से तत्काल सातवा वेतनमान दिया जाए।
-एक जनवरी 1996 से पंचम वेतनमान के तहत एसीपी तथा एक जनवरी 2006 से छठे वेतनमान के तहत एमएसीपी का लाभ दें।
-अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों की सेवा नियमित किया जाए।
-वर्ष 1996 से 2000 के बीच के बकाया राशि का भुगतान अविलंब करें।