40 पर पहुंच गया था ऑक्सीजन लेबल, फिर इस कमाल ने 93 पर पहुंचा दिया... भाग खड़ी हुई मौत
Ranchi News रांची के सदर अस्पताल में कमाल हुआ है। कोरोना संक्रमण के खतरे को स्वीकार करते हुए तीन चिकित्सकों ने एक महिला की मौत टाल दी। उसका ऑक्सीजन लेबल 40 पर पहुंच गया था। तीन घंटे की मेहनत के बाद डॉक्टरों ने उसे 93 पर पहुंचा दिया।
रांची, [ब्रजेश मिश्र]। Ranchi News चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता है। सोमवार को रांची के सदर अस्पताल में यह कहावत एक बार फिर चरितार्थ हो गई। तीन चिकित्सकों ने अपने संक्रमण का खतरा मोल लेकर कोरोना पीड़ित महिला की मौत टाल दी। गंभीर रूप से बीमार महिला रांची के बहु बाजार की रहने वाली है। उसकी उम्र करीब 57 वर्ष है। हालात लगातार खराब होने के कारण महिला को पहले ऑक्सीजन बेड पर रखा गया था। इसके बाद मास्क वेल वेंटिलेटर पर डाल दिया गया था। इसके बावजूद महिला का ऑक्सीजन लेबल लगातार नीचे गिरता जा रहा था।
ऑक्सीजन लेबल 40 पर पहुंच गया। महिला का एबीजी टेस्ट कराया गया। पता चला कि स्थिति बेहद खराब हो गई है। मामले की जानकारी होने के बाद आइसीयू के चिकित्सकों का पैनल चर्चा के लिए बैठा। इसमें यह बात साफ हो गई कि अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया तो महिला अब बस कुछ मिनटों की मेहमान है। जान बचाने के लिए चिकित्सकों ने बेहद कठिन फैसला लिया।
तय किया गया कि महिला के मुंह के रास्ते ट़्यूब डालकर इनवेसिव वेंटिलेटर पर डाला जाए। इससे पहले यह विधि अस्पताल में कभी नहीं अपनाई गई थी। लिहाजा उच्चाधिकारियों से अनुमति लेने की जरूरत महसूस की गई। इस बीच महिला की हालात लगातार खराब हो रही थी। ऐसे में सारी औपचारिकताएं और जोखिम लेते हुए आइसीयू में तैनात चिकित्सक डा. राजकुमार, डा. अजीत कुमार और डा. विकास वल्लभ ने यथाशीघ्र यह प्रक्रिया पूरी की। फिलहाल महिला की हालात स्थिर बनी हुई है। महिला का ऑक्सीजन लेवल 93 पर पहुंच गया है।
जान बचाने के लिए चिकित्सकों ने उठाया दोहरा जोखिम
महिला की जान बचाने के लिए तीनों चिकित्सकों ने दोहरा जोखिम अपनाया। चिकित्सका विधि में परिवर्तन करने के दौरान ट्यूब महिला के मुंह, गले से होते हुए फेफड़े तक पहुंचाना था। इस दौरान कोरोना वायरस कहीं अधिक संख्या में बाहर आने का खतरा रहता है। यही कारण है कि बेहद चुनिंदा मामलों में ही चिकित्सक यह जोखिम उठाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मौजूद लोगों के संक्रमित होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। इसके अलावा इस विधि में कुछ मिनटों के लिए मरीज की ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने का खतरा रहता है। चिकित्सकों ने इन दोनों चुनौतियों को स्वीकार करते हुए यह कार्य किया। महिला की मौत को तत्काल टालने में सफलता प्राप्त कर ली।
हां, यह सही है कि सोमवार को सदर अस्पताल के आइसीयू में बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुकी एक महिला की जान बचाने के लिए चिकित्सकों की टीम ने प्रयास किया। हमें इसमें सफलता मिली। देररात तक महिला की हालात स्थित है। ऑक्सीजन लेबल 93 पर आ गया है। डा. अजीत कुमार
हमारे चिकित्सकों की प्रतिभा पर हमें भरोसा रखना चाहिए। जिस तरह से सदर अस्पताल के तीन चिकित्सकों ने संक्रमण के खतरे को स्वीकार करते हुए एक महिला की जान बचाने का प्रयास किया। वह वाकई में प्रशंसा योग्य कार्य है। गरिमा सिंह, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, सदर अस्पताल, रांची