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Ranchi News: जिस बच्चे के लिए सबसे असहनीय दर्द सहा, उसे ही क्यों छोड़ देती है ममता की मूरत, मां

Ranchi News भारतीय परंपरा और संस्कृति में हमेशा से एक बात कही जाती है कि कोई भी महिला तभी संपूर्ण होती है जब वो मां बनती है. लेकिन इस दुनिया में कई ऐसी औरतें भी होती हैं जो मां नहीं बन पाती हैं।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 12:28 PM (IST)
Ranchi News: जिस बच्चे के लिए सबसे असहनीय दर्द सहा, उसे ही क्यों छोड़ देती है ममता की मूरत, मां
Ranchi News: जिस बच्चे के लिए सबसे असहनीय दर्द सहा, उसे ही क्यों छोड़ देती है ममता की मूरत, मां

रांची, जासं: भारतीय परंपरा और संस्कृति में हमेशा से एक बात कही जाती है, कि कोई भी महिला तभी संपूर्ण होती है, जब वो मां बनती है. लेकिन इस दुनिया में कई ऐसी औरतें भी होती हैं, जिन्हें दुनिया की सारी सुख सुविधाएं तो मिल जाती है, फिर भी वो मां नहीं बन पाती हैं. ऐसे हजारों उदाहरण हर समाज में देखने को मिल जाएंगे।

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मां शब्द सुनते ही किसी का भी मन भावविभोर हो जाता है। मां होती है ऐसी है, अक्सर ऐसा कहा जाता है, कि भगवान हर किसी के साथ हमेशा उसका ख्याल रखने के लिए नहीं रह सकते हैं, इसीलिए उन्होंने मां बनाई है। मां, जो हर हाल में अपने बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाना चाहती है। मां, जिनके स्पर्श मात्र से ही खुशी की अनुभूति होना लाजमी है।

लेकिन क्या आप कभी ये सोच सकते हैं, कि कोई मां, अपने नवजात नौनिहाल को बेसहारा और अकेला छोड़ दे। 100 में से 99 लोग यही कहेंगे, अरे ऐसा कैसे हो सकता है। जिस बच्चे को मां ने 9 महीने अपनी कोख में रखा, अपने शरीर में बच्चे के होने की अनुभूति की, उसे कोई भी मां कैसे खुद से दूर कर सकती है, वो भी तब जब सबसे ज्यादा जरूरत उस नौनिहाल को मां की होती है.

ये सच है, कि कोई भी मां अपने जिगर के टुकड़े को खुद से दूर नहीं करना चाहती है। लेकिन ऐसे भी सैंकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे, जब ममता की मूरत कही जाने वाली मां ने अपने नवजात बच्चे को जन्म लेते ही फेंक दिया हो। रांची में भी ऐसा ही हुआ है। रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में एक मां ने अपने जिगर के टुकड़े को जन्म के बाद ऐसे ही अकेला छोड़ दिया और चली गई अपने लाल को भगवान के भरोसे छोड़कर।

15 दिन पहले जन्में बच्चे ने तो अभी दुनिया पूरी तरह से देखी भी नहीं थी, उसे कहां, पता था, कि जिस मां की दूध की जरूरत उसे इस वक्त सबसे ज्यादा है, वो उसे अनाथ और अकेला छोड़कर चली गई है। लेकिन कहते हैं ना, कि जन्म और मृत्यू सब भगवान के हाथ में है। उनकी मर्जी के बगैर कहां, कुछ हुआ है। जरूरत पड़ने पर भगवान वो हमेशा आपके साथ खड़े होते हैं, कभी प्रत्यक्ष तो कभी परोक्ष। किसी ना किसी माध्यम से वो हमेशा आपकी मदद के लिए आ ही जाते हैं। और ऐसे ही माध्यम को देवदूत या फरिश्ता कहा जाता है।

इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। जिस दुधमुंहे बच्चे को उसकी मां ने अकेला छोड़ दिया। उसके लिए रिम्स के डॉक्टर किसी देवदूत की तरह आए। दरअसल, बच्चे को एक जन्मजात बीमारी है। इस बीमारी को ओक्सीपीटल मेंनेजो एंसफलोसेले कहा जाता है। बच्चे को जन्म के साथ ही सिर से जुड़ा हुआ अलग हिस्सा भी था। जिसका अगर ऑपरेशन नहीं किया जाता, तो शायद कुछ दिनों की जिंदगी ही बच्चे को काल के गाल में समा देती।

लेकिन फरिस्ता बनकर आए डॉक्टर देवेश ने ना सिर्फ ऑपरेशन करवाया, बल्कि उस नवजात को अपना खून भी दिया। डॉ. देवेश ने बताया कि बच्चे को ऑपरेशन से पहले खून की जरूरत थी, जब ये जानकारी उन्हें मिली तो बिना देर किए वो ब्लड बैंक गए और अपना खून दिया। रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. सीबी सहाय ने कहा कि डॉक्टरों की टीम ने दो घंटे तक ऑपरेशन किया गया और अगले तीन घंटे तक चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाएगा।

बच्चे का ऑपरेशन तो हो गया, लेकिन सवाल ये था कि बच्चे के माता-पिता का कैसे पता लगाया जाए। अमूमन ऐसे केस में प्रशासन प्रसव के दौरान अस्पताल में दिए गए पते पर जाकर उनका पता लगाती है, लेकिन यहां तो माता-पिता ने पहले ही अपना गलत पता लिखवा दिया था। शायद उन्हें पहले से इस बात का आभास था, कि बच्चे में कोई कमी है। या फिर जानबूझकर इस बच्चे को भगवान भरोसे छोड़ चले गए. खैर, ये तमाम अटकलें सिर्फ शंका के आधार पर है। असली वजह क्या है, ये तो उनके मिलने के बाद ही पता लग पाएगा। फिलहाल बच्चे को करुणा संस्था के हवाले कर दिया गया है, जहां, उसकी देखरेख हो रही है।

यहां सबसे ज्यादा गौर करने वाली जो बात है, वो ये है, कि आखिर जिस बच्चे के लिए मां ना जाने कितना जतन करती है। बच्चा नहीं होने पर दिन रात भवान से यही दुआ करती है, कि उसकी भी गोद भर जाए। नौ महीने तक अपने गर्भ में रखने और प्रसव के दौरान की पीड़ा, हम, आप तो शायद उस दर्द का अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी, जिसकी वजह से उसने अपने आंख के तारे को खुद से दूर कर दिया। या लोग ऐसा कर देते हैं।

क्या ये कोई मजबूरी है, या फिर जानबूझकर किया गया जघन्य अपराध। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, और हम बिना इसकी जांच के किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहते हैं। क्योंकि मामला संवेदनशील है, भावनात्मक है। हम इसकी पूरी कहानी आपको बताएंगे लेकिन उसके लिए आपको थोड़ा इंतजार करना होगा।

(आगे की कहानी अगले संस्करण में)


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