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Ranchi News: क्या है सिकल सेल एनीमिया और थैलेसिमिया, क्यों इसे गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जा रहा है।

Ranchi News राज्य में सिकल सेल एनीमिया और थैलेसिमिया जैसी बीमारी को लेकर काफी मरीज इलाजरत हैं। रक्त विकार की इस बीमारी को अभी तक गंभीर बीमारी के तौर पर नहीं रखा गया है। लेकिन अब मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में लाने की तैयारी की जा रही है

By Madhukar KumarEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 11:04 AM (IST)
Ranchi News: क्या है सिकल सेल एनीमिया और थैलेसिमिया, क्यों इसे गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जा रहा है।
Ranchi News: क्या है सिकल सेल एनीमिया और थैलेसिमिया, क्यों इसे गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जा रहा है।

रांची (अनुज तिवारी) : राज्य में सिकल सेल एनीमिया और थैलेसिमिया जैसी बीमारी को लेकर काफी मरीज इलाजरत हैं। रक्त विकार की इस बीमारी को अभी तक गंभीर बीमारी के तौर पर नहीं रखा गया है। लेकिन अब सिकल सेल एनीमिया को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में लाने की तैयारी की जा रही है। गंभीर बीमारी योजना में इस बीमारी के आने के बाद पीड़ितों को पांच लाख रुपये तक की सरकारी मदद मिल सकेगी। इस बीमारी को योजना में शामिल करने को लेकर रांची सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य विभाग से आग्रह किया है। स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने भी सिकल सेल एनीमिया बीमारी को गंभीर बीमारी योजना में शामिल करने पर अपनी सहमति दी है।

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अभी तक विभिन्न जिलों से करीब 400 मरीज को चिन्हित किया गया है। अभी भी ऐसे मरीजों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है। जिसमें हर जिले की मदद ली जा रही है। सिविल सर्जन डा विनोद कुमार बताते हैं कि इस बीमारी को गंभीर बीमारी में रखने की काफी जरूरत है। ताकि ऐसे मरीजों को लाभ मिल सके। इस बीमारी का इलाज है लेकिन इसमें काफी खर्च आता है। इलाज महंगा होने के कारण आम लोग नहीं करा पाते हैं।

मालूम हो कि अभी तक गंभीर बीमारी योजना में कैंसर, लीवर और किडनी की बीमारी रखी गई है। बाकी बीमारियों को आयुष्मान योजना में डाल दिया गया है। मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक की सलाना आमदनी आठ लाख रुपये से कम होना चाहिए।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही है इसका इलाज : सिकल सेल एनीमिया का एकमात्र इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट है। हर एक ट्रांसप्लांट में तीन से पांच लाख रुपये का खर्च आता है। इससे पहले कई तरह की रक्त जांच किया जाता है, जो डोनर होते हैं उसकी जांच की जाती है। फिलहाल रांची में जो सैंपल लिए जाते हैं उसकी जांच के लिए उसे जर्मनी भेजा जाता है। जहां से कुछ सप्ताह में रिपोर्ट आती है।

सदर अस्पताल की डा. अदिति बताती हैं कि अस्पताल में अभी 150 सिकल सेल एनेमिया के मरीज निबंधित हैं। इनका इलाज चल रहा है। इसके बाद भी हर दिन ओपीडी में चार से पांच ऐसे मरीज आते हैं। ऐसे मरीजों को हर माह बुलाया जाता है और उनकी जांच की जाती है। अस्पताल की ओर से मरीजों को दवा, रक्त आदि की सुविधा मुहैया करायी जा रही है।

14 बच्चों की बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने की तैयारी : बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल की ओर से 20 बच्चे चिन्हित किए गए थे, जिसमें से 14 बच्चों को चुना गया है। मुम्बई से विशेषज्ञ डा सुनील भट्टा को सदर अस्पताल बुलाया गया था। जिन्होंने इन बच्चों के सैंपल लेकर उसे जर्मनी भेजा गया है जो दो माह में अपनी रिपोर्ट भेजेगा। डा अदिति ने बताया कि इन सभी बच्चों को सीएसआर के तहत कोल इंडिया से इलाज करवाने के लिए 10 लाख रुपए दान करने का आग्रह किया गया है। यदि कोल इंडिया ये पैसा डोनेट करता है तो इन 14 बच्चों को नया जीवन मिल सकेगा।

क्या है सिकल सेल एनीमिया

यह एक आनुवंशिक रक्त विकार है। सिकल सेल एनीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन) के कारण होने वाली रक्त की एक आनुवंशिक विकार है। असामान्य हीमोग्लोबिन के वजह से लाल रक्त कोशिकाएं सिकल के आकार की हो जाती हैं । यह उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करता है। ऐसे मरीजों को हर माह हीमोग्लोबिन की जांच करानी पड़ती है, कभी -कभी सप्ताह में भी बीमारी के अनुरूप जांच करानी पड़ती है।

अगर सिकल सेल एनीमिया को इस योजना से जोड़ दिया जाए तो इससे राज्य के सभी पीड़ितों को इससे लाभ मिलेगा। इस पर काम किया जा रहा है, जल्द ही विभाग की ओर इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी, इसके लिए इस मामले को कैबिनेट में ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।


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