Jharkhand: खून की कमी दूर करना बन रहा चुनौती, ब्लड बैंक से ले रहे पर रक्तदान से कतरा रहे लोग
कोरोना को भूलकर लोग अब पुराने लाइफ स्टाइल में वापस आ रहे हैं। ब्लड बैंक खून की कमी झेल रहा है। गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को समय पर खून नहीं मिल पा रहा है। थैलेसीमिया के मरीज व प्रसूति महिलाओं को परेशानी अधिक है।
रांची, जासं। धीरे-धीरे कोरोना का कहर खत्म होता जा रहा है। लोग अपने पुराने लाइफ स्टाइल में वापस आ रहे है। दिनचर्या भी पहले के अनुकूल ढल रहा है, लेकिन इन सब से परे लोग अब भी रक्तदान करने से डर रहे हैं। अब भी लोगों में रक्तदान करने से कोरोना संक्रमण हो जाएगा का डर सता रहा है। साल 2019 में 32 हजार यूनिट से अधिक खून ब्लड डोनेशन कैंप की मदद से ब्लड बैंक पहुंचे।
इस साल 10 महीने में यह आंकड़ा 10 हजार भी नहीं पहुंच सका है। ब्लड बैंकों में खून की इतनी भारी कमी है कि मरीजों को समय पर खून नहीं मिल पा रहा है। नतीजन मरीजों की जान जाने की नौबत आ रही है। सबसे अधिक परेशानी थैलेसीमिया के मरीज, प्रसूति महिलाओं व अस्पताल में भर्ती गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को हो रही है। बुधवार तक के रिकॉर्ड के अनुसार, रांची जिले के पांच प्रमुख ब्लड बैंकों में उपलब्ध खून को मिलाकर भी कुल स्टॉक 250 यूनिट नहीं है।
सामान्य दिनों में सिर्फ रिम्स ब्लड बैंक की एक दिन की खपत 100 से 120 यूनिट ब्लड की है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को जरूरत के समय खून क्यों नहीं मिल पा रहा है। रिम्स ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ सुषमा कुमारी ने बताया कि कोविड के वजह से लोग रक्तदान करने से कतरा रहे हैं। लोगों को डर है कि रक्तदान करने से उन्हें कोरोना ना हो जाए। उन्होंने कहा कि रक्तदान करने वालों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ब्लड बैंक की ओर से पूरी सावधानी बरती जाती है। किसी भी तरह से संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता।